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दो तालाब चोरी, तीसरा भी आधा गायब
डिजिटल डेस्क, नागपुर। केंद्रीय जल-शक्ति मंत्रालय ने हाल ही में देश भर के जलस्रोतों की स्थिति को लेकर एक रिपोर्ट जारी की है। इसमें अतिक्रमण से लेकर जलस्रोतों के उपयोग आदि पर भी प्रकाश डाला गया है। आरटीआई मेंशहर के लिए एक और बड़ी जानकारी सामने आई है। मनपा रिकार्ड में शहर में 11 तालाब बताए गए हैं। वास्तविकता देखी जाए तो शहर में सिर्फ 8 तालाब अस्तित्व में हैं। ऐसे में 2 तालाब चोरी होने का आरोप लग रहा है, जिसका शहर में काेई नामोनिशान नहीं है, जबकि तीसरा तालाब आधे से भी कम हिस्से में सिमट कर रह गया है। अस्तित्व में सिर्फ 8 तालाब हैं और इनमें से भी कुछ अस्तित्व बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
सूचना अधिकार में मिली जानकारी : सूचना के अधिकार अंतर्गत मनपा से शहर में तालाबों की संख्या और उनके आराजी की जानकारी मांगी गई थी। आरटीआई एक्टिविस्ट सचिन बिसेन द्वारा मांगी गई जानकारी बताया गया कि शहर में 11 तालाब हैं। इसमें अंबाझरी, पांढराबोड़ी, फुटाला, गोरेवाड़ा, गांधीसागर, लेंडी, नाईक, बिनाकी मंगलवारी, सोनेगांव, पुलिस लाइन टाकली, सक्करदरा तालाबों को रिकार्ड में दिखाया गया है। विशेष यह कि मौजूदा स्थिति में पांढराबोड़ी और बिनाकी मंगलवारी तालाब का कोई नामोनिशान नहीं बचा है।
नाईक तालाब को सीवेज टैंक बना दिया : लेंडी तालाब जैसी कुछ-कुछ स्थिति नाईक तालाब की भी है। हालांकि नाईक तालाब को प्रशासन ने सुरक्षा दीवार बनाकर एक तरह सुरक्षित रखा है। लेकिन इसके आसपास इतने बड़े पैमाने पर अतिक्रमण हुआ है कि लोगों ने अपने घरों की सीवेज लाइन सीधे तालाब से जोड़ दी है। ऐसे में तालाब की बजाए यह सीवेज टैंक बन गया है। इसे दोबारा तालाब बनाने के लिए कठिन परिश्रम की जरूरत है। सरकार ने इसके सौंदर्यीकरण की योजना तैयार की है, लेकिन कोई गतिशीलता नहीं दिख रही है। पुलिस लाइन टाकली तालाब जलकुंभी से पटा पड़ा है। जिसे न देखने लोग आते हैं और न सौंदर्यीकरण और साफ-सफाई होती है।
गोरेवाड़ा, अंबाझरी बचा रहे लाज : सिर्फ दो तालाब हैं, जो शहर की लाज बचाए हुए हैं। गोंडराजे के समय का गोरेवाड़ा तालाब शहर की प्यास बुझाने का सबसे बड़ा जलस्रोत है। इसके अलावा अंबाझरी पर्यटन स्थल के रूप में बरकरार है।
लेंडी तालाब की दिलचस्प कहानी : लेंडी तालाब अब आधे से भी कम हिस्से में बचा है। 1970 के पहले लेंडी तालाब 27 एकड़ में था। अब सिर्फ 6.5 एकड़ में बचा है। लेंडी तालाब की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। यह दो मौजा में बंटा है। हंसापुरी और नागपुर मौजा। हंसापुरी मौजा में तालाब के बाहर का हिस्सा है। यहां 70 साल पहले ही बस्तियां बस गई हैं, जबकि नागपुर मौजा में तालाब क्षेत्र है। सिटी सर्वे के रिकार्ड में अब तालाब सिर्फ 12 एकड़ क्षेत्र में है। अतिक्रमण और तालाब भरने के कारण मनपा क्षेत्र में सिर्फ 6.50 एकड़ में तालाब दिखाया जा रहा है। विशेष यह कि तालाब के कैचमेंट एरिया में अतिक्रमण होने से मनपा को इन्हें नोटिस देकर खाली कराना था, लेकिन मनपा कैचमेंट एरिया को छोड़कर यानी हंसापुरी मौजा में 70 साल पहले बसे लोगों को बार-बार नोटिस देकर तालाब का क्षेत्र खाली कराने कह रही है, जबकि यह अतिक्रमण क्षेत्र से बाहर का इलाका है। तालाब के अतिक्रमण क्षेत्र में बाहरी लोगों का बसेरा होने का भी दावा किया गया है, जहां 2 से 3 बार एटीएस और पुलिस ने सर्चिंग ऑपरेशन भी किया है। इसे संवेदनशील क्षेत्र माना जाता है। हालांकि मनपा इस क्षेत्र को खाली कराने में अब तक कामयाब नहीं हुई है। इस संबंध में तहसीलदार ने भी मनपा को पत्र लिखकर तालाब के अतिक्रमण क्षेत्र से लोगों को हटाने को कहा है, लेकिन अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई।
मैदान बन गए गांधीसागर, सोनेगांव, सक्करदरा तालाब : गांधीसागर, सोनेगांव और सक्करदरा कुछ साल पहले तक एक बड़े तालाब के रूप में पहचाने जाते थे। सरकार ने इनके सौंदर्यीकरण के लिए योजना बनाई। सौंदर्यीकरण के तहत तीनों तालाब का पानी निकालकर उसे सूखाकर गहराईकरण किया गया। बस, सौंदर्यीकरण यहीं अटक गया। बात इससे आगे नहीं बढ़ पा रही है। तीनों तालाब किसी बड़े मैदान के रूप में तब्दील हो गए हैं। गांधीसागर तालाब दो साल से एक जैसी स्थिति में है। सक्करदरा तालाब में पांच साल से कोई बदलाव नहीं दिख रहा है। सोनेगांव में भी कमोबेश यही स्थिति है।
फुटाला भी सिकुड़ रहा है : फुटाला तालाब शहर का सबसे सुंदर तालाब कहलाता है। म्यूजिकल फाउंटेन के जरिये इसे अंतरराष्ट्रीय ख्याति दी जा रही है, लेकिन इस तालाब के साथ भी अतिक्रमण की समस्या है। तालाब के वायुसेना मार्ग पर िमट्टी डालकर एक बड़े हिस्से को भर दिया गया है। वहां लॉन, रेस्टोरेंट आदि चल रहे हैं। मनपा ने इस संबंध में कई नोटिस दिए हैं, किन्तु उसका कोई असर दिख नहीं रहा है।
Created On :   19 May 2023 11:47 AM IST