वर्षा पूर्व तैयारियों पर नगरपालिका का कागजी प्रयास, बारिश में बढ़ी फजीहत

वर्षा पूर्व तैयारियों पर नगरपालिका का कागजी प्रयास, बारिश में बढ़ी फजीहत

डिजिटल डेस्क, शहडोल। वर्षा पूर्व तैयारियों को समय पर अमल पर लाने के मामले में नगर पालिका के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, पार्षद व अधिकारी-कर्मचारी सोते रह गए यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा। इस साल बारिश में नागरिकों को आवागमन के दौरान कीचड़ में फजीहत नहीं हो। सडक़ के गड्ढे से हादसे का जोखिम नहीं रहे इसके लिए कायाकल्प योजना से लेकर अन्य योजनाओं में तीन करोड़ रूपए से ज्यादा का प्रावधान किया गया। जानकर ताज्जुब होगा कि नगर पालिका के अधिकारियों को टेंडर के बाद जिन कार्यों को बारिश पूर्व करवा लेना चाहिए था, उसे समय पर नहीं करवा पाए। नालियों की भी सफाई नहीं हुई। इस मामले में नगर पालिका के ज्यादातर कार्य कागजों तक ही सीमित रह गए।

लापरवाही के ये भी उदाहरण

> 2.5 करोड़ रूपए का टेंडर कायाकल्प योजना में निकाला गया। इसमें बसस्टैंड के समीप सडक़ पर जल भराव के साथ ही जयस्तंभ चौक से बूढ़ीमाई मंदिर मार्ग व शहर के अन्य मार्गों पर डामरीकरण होना था।

> 45 लाख रूपए का प्रस्ताव शहर के अलग-अलग वार्ड में ड्रेनेज सफाई व अन्य कार्यों के लिए रखा गया।

> सफाई के दौरान जेसीबी की कमीं नहीं हो इसके लिए नई जेसीबी क्रय का प्रस्ताव परिषद ने पास किया, नई मशीन खरीदी की प्रक्रिया भी फाइलों से बाहर नहीं निकली।

नगर पालिका की नाकामी का बड़ा उदाहरण यह तस्वीर

न्यू गांधी चौक के समीप दुकान सामने पानी भरने की यह तस्वीर 26 जून की है। यहां बारिश के मौसम में पानी भरने की समस्या हर साल सामने आती है। इस साल नगर पालिका पुलिया की ऊंचाई बढ़ाने की तैयारी की। सवा करोड़ रूपए का प्रस्ताव भी बना। यह प्रस्ताव मंजूरी के लिए भोपाल तक नहीं जा सका, बल्कि नगर पालिका में अलग-अलग टेबल में घूमता रहा।

5 साल, एक करोड़ से ज्यादा खर्च, फिर भी समस्या

शहडोल नगर पालिका क्षेत्र में बारिश के मौसम में कीचड़, जाम नालियां, सडक़ों पर पानी भरने की समस्या कोई एक साल की नहीं है बल्कि यह समस्या बीते 5 साल से भी ज्यादा समय से चली आ रही है। वर्षा पूर्व तैयारियों के लिए छोटे कार्य जिसे मैन पावर करवाया जाता है, उसके लिए भी हर साल लगभग 20 लाख रूपए खर्च हो रही है, यानी पांच साल में 1 करोड़ रूपए। इसके बाद भी समस्या जस की तस है।

जानिए, क्या कहते हैं जिम्मेदार

नगर पालिका के उपाध्यक्ष प्रवीण शर्मा ने कहा कि कायाकल्प का पहला टेंडर मई में हुआ, ठेकेदार ने काम नहीं किया। टेंडर 6 जून को मेच्योर हो गया, 11 जून को खुल भी गया। इसमें बाकी प्रक्रिया पूरी कर तत्काल काम करना चाहिए, लेकिन सीएमओ ने ऐसा नहीं किया। अधिकारियों की लेटलतीफी के कारण काम में विलंब हुआ और बारिश आ गई।

नगर पालिका के सीएमओ अमित तिवारी ने कहा कि हमारी पूरी कोशिश होती है कि नगर पालिका में लोगों की सुविधा से जुड़ी सभी कार्य जल्द से जल्द हो। कायाकल्प का काम परिषद ने रिजेक्ट किया, इसलिए ही विलंब हुआ। बाद में कलेक्टर के आदेश पर काम शुरू हुआ तो राशि जमा करने में ठेकेदार ने एक दिन विलंब किया और उसे नोटिस जारी कर दिया गया।

पार्षद राकेश सोनी ने कहा कि नगर पालिका के कार्यों में बड़ा व्यवधान ठेकेदारी में जुड़े पार्षद उत्पन्न करते हैं। इनके मन का ठेकेदार नहीं मिला तो काम में व्यवधान शुरू। कुछ बड़े पदाधिकारी तो जैसे नगर पालिका को जागीर समझ लिए हैं। हर बार चुनाव में पूरी कोशिश ही इसलिए करते हैं कि उनकी मनमानी चलती रही। ऐसा इस बार भी हो रहा है।

पार्षद शक्ति लक्षकार ने कि वर्षा पूर्व तैयारियों के मामले में सीधे तौर पर स्वच्छता निरीक्षक मोतीलाल सिंह की जवाबदेही तय करनी चाहिए। उन्हे बैठक में कई बार कहा गया, फिर भी उन्होंने ध्यान नहीं दिया। आखिर लोगों की समस्या को दूर करने का काम समय पर नहीं होगा तो ऐसे अधिकारियों का नगर पालिका में क्या काम।

Created On :   9 July 2023 7:19 PM IST

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