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मेयो में 10 बेड का एनआईसीयू तैयार, दस का अब भी इंतजार
डिजिटल डेस्क, नागपुर। इंदिरा गांधी शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल (मेयो) में बच्चों के लिए 20 बेड का एनआईसीयू तैयार हो गया है। इसमें 10 बेड का एनआईसीयू शुरू भी हो गया है। शेष 10 बेड का एनआईसीयू नर्सिंग स्टॉफ की कमी पूरी होते ही शुरू कर दिया जाएगा। कोविड-19 के कारण बड़ी संख्या में नर्सिंग स्टॉफ की ड्यूटी कोरोना वॉर्ड सहित अन्य जगह लगी हुई है।
वेंटिलेटर की बड़ी समस्या
यदि किसी नवजात बच्चे को निजी या किसी सरकारी अस्पताल से मेयो या मेडिकल में रेफर किया जाता है, तो उसे वेंटिलेटर की सुविधा नहीं मिल पाती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि दोनों ही अस्पतालों में प्रतिदिन बड़ी संख्या में प्रसव होते हैं। ऐसे में उन नवजात बच्चों को भी वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है। यदि बाहर से रेफर होकर आए किसी बच्चे को वेंटिलेटर पर रखा गया, तो उनके यहां जन्मे बच्चों के लिए समस्या खड़ी हो जाती है। मेयो में ऑउटडोर बॉर्न बेबी के लिए 10 बेड का एनआईसीयू जल्द ही आरंभ हो जाएगा। इससे ऑउट बॉर्न बेबी के साथ भेदभाव होना बंद हो जाएगा।
8 हजार बच्चों का जन्म
मेयो में प्रतिवर्ष करीब 8 हजार बच्चों का जन्म होता है। इसमें 20 से 30 फीसदी बच्चों को एनआईसीयू में रखने की आवश्यकता पड़ती है। इतने ही बच्चे बाहर से रेफर होकर पहुंचते हैं। वहीं शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल (मेडिकल) में 13 हजार से अधिक बच्चों का जन्म होता है। यहां भी इसी अनुपात में बच्चे रेफर होकर पहुंचते हैं।
जल्द ही आउट बॉर्न बेबी को लाभ मिलेगा
आउट बॉर्न बेबी (अस्पताल के बाहर जन्मे नवजात) के लिए अभी तक सरकारी अस्पतालों में वेंटिलेटर नहीं दिया जाता है। यह पहला मौका है जब मेयो में नए एनआईसीयू में उनके लिए काम किया जा रहा है। जल्द ही ऐसे बच्चों को उसका लाभ मिलेगा। -डॉ. चंद्रकांत बोकड़े, बाल रोग विभाग प्रमुख, मेयो
Created On :   20 Oct 2020 9:44 AM GMT