महावितरण का अजब कारोबार, एक कमरे का बिल 50 हजार रुपए भेजा

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महावितरण का अजब कारोबार, एक कमरे का बिल 50 हजार रुपए भेजा

डिजिटल डेस्क, नागपुर। सीए रोड, आर्य भवन स्थित आफिस चेयर की दुकान का बिल (अगस्त-2020) करीब 50 हजार रुपए आया है। इसका साइज करीब 12 बाई17 फीट है। इतनी छोटी सी दुकान के बिल की रकम ने संचालक सुनील झंवर के होश उड़ा दिए हैं। उन्होंने इसकी शिकायत बार-बार की है, पर राहत नहीं मिली है। हां, इतना जरूर है कि वह महावितरण की औपचारिकताओं में फंसकर चक्करघिन्नी जरूर बन गए हैं। 

औसत 1500 आता था बिल
 
सुनील झंवर की दुकान में सिंगल फेज मीटर लगा हुआ है। औसतन दुकान का बिजली बिल 1500 रुपए तक आता था। फरवरी-2020 में करीब साढ़े चार हजार व मार्च-2020 में करीब चार हजार का बिल आया। इसके बाद लॉकडाउन में दुकान बंद रही। मई, जून व जुलाई-2020 में 36-36 यूनिट का आैसत बिल मिला। अगस्त-2020 में महावितरण ने एकदम से 4545 यूनिट का करीब 50 हजार का बिल भेज दिया। 

शिकायत पर गौर नहीं किया 
आरोप है कि महावितरण ने पहली शिकायत पर ध्यान नहीं दिया तो दूसरी बार शिकायत की गई। उसके बाद नवंबर-2020 में नया मीटर लगाया गया। इसके बाद 1500 रुपए तक का ही बिल आ रहा है। पुराने मीटर को जांच के लिए भेजा गया। महावितरण ने दावा किया कि पुराना मीटर जांच में ठीक मिला है।

वायर में खराबी तो अब मीटर कैसे ठीक चल रहा
पहले महावितरण ने तर्क दिया था कि वायरिंग में खराबी व अर्थिंग बराबर नहीं होने से बिल ज्यादा आ सकता है। इसलिए बिल में संशोधन नहीं किया जा सकता है। गौर करने वाली बात यह है कि महावितरण ने केवल मीटर बदला हैै। यहां वायरिंग व अर्थिंग पुरानी ही है। नया मीटर ठीक चल रहा है, तो ज्यादा बिल देनेवाला पुराना मीटर ठीक कैसे? इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है।

मीटर खराब था, पर अफसर नहीं मान रहे
मेरी दुकान है, कोई कारखाना नहीं है। एकदम से बिल बढ़कर आने लगे तो  पहली शिकायत 19 जून 2020 को की। कार्रवाई नहीं हुई तो दूसरी शिकायत 17 अक्टूबर 2020 को की। नया मीटर लगा तो बिल कम आने लगा। इससे साफ है कि मीटर खराब था। हालांकि महावितरण उस मीटर को ठीक बता रहा है।  हमारी वायरिंग या अर्थिंग में कोई परेशानी नहीं है। 20 हजार रुपए बिल भरने के बाद और 55 हजार का बिल बकाया बताया जा रहा है। कोई सुनवाई नहीं हो रही।   -सुनील झंवर, पीड़ित दुकानदार

जो मीटर रीडिंग हुई, उतना बिल भेजा 
हम मीटर रीडिंग के अनुसार बिल भेजते हैं। जितनी रीडिंग हुई, उसका बिल भेजा। जांच में मीटर ठीक मिला है। रीडिंग भी बराबर निकली। मीटर फॉल्टी होने या रीडिंग में गलती होने पर ही हम बिल का रिवीजन कर सकते हैं। अब यह हमारे कार्यक्षेत्र में नहीं है। नया मीटर लगा दिया गया है। उपभोक्ता चाहे तो महावितरण के इंटरनल ग्रीवांस रिड्रेसल कमेटी (आईजीआरसी) में अपील कर सकता है। 
-प्रसन्ना श्रीवास्तव, उपकार्यकारी अभियंता महावितरण महल डिवीजन.

Created On :   26 March 2021 6:04 AM GMT

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