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सावधान - पोस्ट कोविड मरीजों के लिए हाईरिस्क है पोल्यूशन
डिजिटल डेस्क, नागपुर। जिले में कोरोना की दूसरी लहर को लेकर यह आम चर्चा है कि मौसम ठंडा हाेने के कारण खतरा बढ़ जाएगा। दूसरी ओर, विशेषज्ञों ने साफ किया है कि किसी भी शोध में कोरोना वायरस पर तापमान का कोई असर प्रमाणित नहीं हुआ है। ठंड के मौसम में घर ज्यादा बंद रहते हैं। इस वजह से वायरस कमरे में ही रह जाते हैं और संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही, ठंड में प्रदूषण अधिक रहता है। इसके साथ ही दिवाली पर हाेने वाली साफ-सफाई में धूल-मिट्टी और पटाखों (आतिशबाजी) के धुएं के कारण फेफड़ों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। विशेषज्ञों ने बताया कि धुएं से लंग्स में "फाइब्रोसिस" हाेने की आशंका बढ़ जाती है। ऐसे में "पोस्ट कोविड" मरीज दिवाली के समय और बाद में हाईरिस्क जोन में होंगे।
मरीजाें के लंग्स हो रहे कमजोर, कई मरीजों में "फाइब्रोसिस" विकसित हो रहा
ठंड में सतह से 50-60 फीट ऊंचाई तक रहता है प्रदूषण : कोविड मरीजों को निगेटिव हाेने के बाद भी कई तरह की समस्याएं हो रही हैं। यह समस्या कितने समय तक रहती है यह अभी तक प्रमाणित नहीं हो पाया है। ऐसे मरीजों के लिए पोस्ट कोविड ओपीडी शुरू की गई है। इसमें आने वाले अधिकतर मरीजों को सांस लेने में तकलीफ, जल्द थकान और सांस फूलने की समस्या है। दरअसल, कोरोना के कारण मरीजों के लंग्स बहुत कमजोर हो जाते हैं और "फाइब्रोसिस" विकसित होने लगता हैं। ऐसे मरीजों पर प्रदूषण और धुएं का असर सामान्य लोगों की तुलना में कई गुना अधिक होता है। ठंड के समय नमी और ओस के कारण प्रदूषण सतह से 50-60 फीट ऊंचाई पर रहता है। इसी कारण दिवाली के समय और बाद में कोविड मरीज और पोस्ट कोविड मरीज हाईरिस्क जोन में होंगे।
ठंड में घर बंद रहने के कारण संक्रमण का खतरा
जिले में बड़ी संख्या में संक्रमित मिले थे। इसके बाद वर्तमान में प्रतिदिन 200 से 400 मरीज स्वस्थ हो रहे हैं। यह मरीज कोरोना निगेटिव तो हो जाते हैं, लेकिन इसमें से कुछ मरीजों में "फाइब्रोसिस" विकसित हो रहा है। निगेटिव होने के बाद भी ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है। कुछ यूरोपीय और अमेरिकी अध्ययन में साबित हो चुका है कि कोरोना प्रदूषण मल्टीप्लाई करने में मददगार है। साथ ही, डॉक्टरों के मुताबिक आमतौर पर ठंड में फ्लू वाले वायरस ज्यादा सक्रिय रहते हैं। सामान्य फ्लू में भी बुखार, सर्दी, खांसी जैसे लक्षण रहते हैं। ऐसे में संक्रमित होने के बाद भी इन लक्षणों के कारण सामान्य फ्लू मानकर गंभीरता से नहीं लिया जाता। यदि कोई व्यक्ति छींकता या खांसता है तो ड्रॉपलेट नमी के कारण ज्यादा देर तक सतह पर रहते हैं।
अस्थमा और एलर्जी वाले भी सतर्क रहें
धुएं और प्रदूषण के कारण सामान्य और स्वस्थ व्यक्ति को भी समस्या हो सकती है। दिवाली पर जो पटाखे जलते हैं, उससे बहुत ज्यादा धुआं निकलता है। प्रदूषण भी अधिक होता है। ऐसे में "पोस्ट कोविड" मरीज और कोविड मरीज भी हाईरिस्क जोन में होते हैं, क्योंकि मरीजों में "फाइब्रोसिस" विकसित होने की आशंका बढ़ जाती है। साथ ही, जिन मरीजों में पहले से अस्थमा, एलर्जी और फेफड़े से संबंधित बीमारी है, उन्हें ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है।
-मेजर जनरल डॉ. विभा दत्ता, निदेशक, एम्स, नागपुर
दिवाली के एक दिन पहले से बढ़ने लगा था प्रदूषण
पिछले साल 2019 में दिवाली 27 अक्टूबर को थी। पिछले साल की तुलना में इस साल तिथि के अनुसार दिवाली करीब 15 दिन बाद है। साथ ही, मानसून के अंत में अतिवृष्टि होने के कारण ठंड भी अपने समय से करीब 15 दिन पहले शुरू हो चुकी है। पिछले वर्ष के प्रदूषण के आंकड़ों के अनुसार, दिवाली के तीन दिन पहले यानी 24 और 25 अक्टूबर 2019 को एयर क्वालिटी 58 और 84 थी। दिवाली के एक दिन पहले से प्रदूषण बढ़ना शुरू हुआ और एयर क्वॉलिटी 100 के पार चली गई। हालांकि 100 तक स्थिति सामान्य मानी जाती है। इसके बाद 110 तक भी आंकड़ा पहुंचा। दिवाली के दिन तो आंकड़ा 131 पर पहुंच गया था, जो हानिकारक है। इसी तरह, दिवाली के 10 दिन बाद तक एयर क्वालिटी 125 और 130 तक रही। यह आंकड़ा एयर मॉनिटरिंग स्टेशन का है। नागपुर के पांच स्टेशन में 4 मॉनिटरिंग स्टेशन सदर, नॉर्थ अंबाझरी रोड, डिवीजनल कमिश्नर ऑफिस और सिविल लाइंस स्टेशन स्वच्छ क्षेत्र में हैं। केवल एक स्टेशन हिंगना क्षेत्र में है। अगर घनी आबादी में इस तरह के स्टेशन होते तो स्थिति कहीं और बुरी होती।
Created On :   10 Nov 2020 9:44 AM GMT