भाजपा को मेरा इस्तीफा मांगने का अधिकार नहीं - अजित पवार

डिजिटल डेस्क, मुंबई। छत्रपति संभाजी महाराज पर दिए बयान को लेकर सत्तारूढ़ भाजपा के आंदोलन के बीच विधानसभा में विपक्ष के नेता अजित पवार ने स्पष्टीकरण दिया है। अजित ने कहा कि मैं संभाजी महाराज को धर्मवीर नहीं बल्कि स्वराज्य रक्षक बताने वाले बयान पर कायम हूं। स्वराज्य रक्षक में स्वराज्य की स्थापना, समाज, संस्कृति और धर्म की रक्षा भी समाहित है। मगर राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने कहा है कि यदि संभाजी राजे को स्वराज्य रक्षक के अलावा कोई धर्मवीर कहता है तो उसमें कुछ गलत नहीं है। पवार मेरे सर्वोच्च नेता हैं। इसलिए मैं उनकी भूमिका से भी सहमत हूं। भाजपा को मेरा विधानसभा में विपक्ष के नेता पद का इस्तीफा मांगने का अधिकार नहीं है। मैंने संभाजी महाराज के बारे में अपशब्द का इस्तेमाल नहीं किया है और न ही उनका अपमान किया है।
बुधवार को विधानभवन परिसर में पत्रकारों से बातचीत में अजित ने कहा कि भाजपा ने अपने पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को मेरे खिलाफ आंदोलन करने और मेरा इस्तीफा मांगने का आदेश दिया है। लेकिन मुझे भाजपा ने विधानसभा में विपक्ष के नेता का पद नहीं दिया है। मुझे राकांपा के 53 विधायकों ने विपक्ष का नेता पद दिया है। इसलिए भाजपा को मेरा इस्तीफा मांगने का अधिकार नहीं है। अजित ने कहा कि मेरा इस्तीफा वो लोग मांग रहे हैं जिन्हें मैं जवाब देना भी उचित नहीं समझता हूं। मैं ऐसे लोगों के मुंह क्यों लगूं? अजित ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज का अपमान राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी, राज्य के भाजपा के मंत्रियों और सत्तारूढ़ दल के विधायकों ने किया था। मेरा आंदोलन करने वालों से सवाल है कि भाजपा नेताओं द्वारा महापुरुषों के खिलाफ अपमान को लेकर उनकी क्या भूमिका है? उन्हें यह राज्य की जनता को बताना चाहिए। अजित ने कहा कि जब मैंने सदन में संभाजी राजे के बारे में बोला तो उस समय सत्तारूढ़ दल की ओर से किसी ने विरोध नहीं किया था।
मेरे खिलाफ आंदोलन करने की रणनीति बनाने वाले मास्टरमाइंड सदन में नहीं थे। भाजपा के नेताओं ने महापुरुषों का जो अपमान किया है उस पर से ध्यान भटकाने के लिए दो दिन बाद मेरे के खिलाफ आंदोलन शुरू किया गया। मुझे भाजपा के कई कार्यकर्ताओं ने फोन किया था। जिसमें उन्होंने बताया कि हम लोगों को आपके खिलाफ आंदोलन करने का आदेश मिला है। जिसमें आपकी तस्वीर पर क्रॉस का निशान बनाने और बैनर- पोस्टर छापकर आंदोलन करने को कहा गया है। आंदोलन का फोटो भाजपा कार्यालय में भेजने के लिए कहा गया है। अजित ने कहा कि राज्य में कम से कम 6 से 8 लोगों ने खुद के नाम के आगे धर्मवीर उपाधि लगाया है। कुछ लोगों ने धर्मवीर नाम से फिल्म भी बनाई है। इस फिल्म का दूसरा भाग भी आने वाला है। अजित का इशारा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की ओर था। यदि कुछ लोग संभाजी महाराज को धर्मवीर कह रहे हैं तो दूसरा व्यक्ति धर्मवीर नहीं हो सकता है। अजित ने कहा कि मैंने 11 मार्च 2022 को तत्कालीन महाविकास आघाड़ी सरकार के उपमुख्यमंत्री तथा वित्त मंत्री के रूप में विधानसभा में साल 2022-23 का बजट पेश किया था। उस बजट भाषण की पहली लाइन में मैंने छत्रपति संभाजी महाराज का उल्लेख स्वराज्य रक्षक के रूप में किया था। मैंने बजट में स्वराज्य रक्षक संभाजी महाराज का पुणे के हवेली तहसील के वढु बुद्रुक में स्मारक बनाने की घोषणा की थी। लेकिन उस समय किसी ने इसका विरोध नहीं किया था। एक सवाल के जवाब में अजित ने कहा कि मैंने कब कहा कि मेरे चाचा तथा राकांपा अध्यक्ष पवार को जाणता राजा कहिए। जो लोग पवार को जाणता राजा कहते हैं उनसे जाकर पूछिए कि वे पवार का उल्लेख ऐसा क्यों करते हैं।
Created On :   4 Jan 2023 7:39 PM IST