मुआवजा मिलने तक दूसरा विवाह करने से नहीं रोक सकते
डिजिटल डेस्क, नागपुर। पत्नी के निधन के बाद दूसरा विवाह करने वाले पति को मुआवजे से वंचित नहीं रखा जा सकता। न ही उससे यह अपेक्षा की जा सकती है कि, वह मुआवजा मिलने तक दूसरा विवाह नहीं करे। युवा अवस्था में पत्नी की मृत्यु किसी युवक के लिए कितनी दु:खद घटना है, यह भी सोचना चाहिए। भारतीय कानून में मुआवजे का प्रावधान ही इसलिए किया गया है, ताकि पीड़ित व्यक्ति का किसी तरह कम किया जा सके। इस निरीक्षण के साथ हाईकोर्ट ने यवतमाल निवासी अनुज को 22.40 लाख रुपए के मुआवजे का हकदार माना है। नेशनल इंश्योरेंस कंपनी को यह रकम अदा करने का आदेश दिया गया है।
यह है मामला : दर्ज मामले के अनुसार यह हादसा 13 मार्च 2010 को हुआ था। याचिकाकर्ता की पत्नी की उम्र 22 साल थी। घटना के दिन वह स्कूटी चला कर कहीं जा रही थी। तब ही ट्रक ने उसे टक्कर मार दी। उसकी मृत्यु हो गई थी। दुर्घटना के 9 माह पूर्व ही उसका विवाह हुआ था। वह आर्किटेक्चर की पढ़ाई भी कर रही थी और उसने कुछ निजी व्यवसाय भी शुरु किया था। पति ऑस्ट्रेलिया में नौकरी कर रहा था। मृतका के पति ने मुआवजे के लिए ट्रिब्यूनल की शरण ली थी। ट्रिब्यूनल ने इंश्योरेंस कंपनी और वाहन मालिक को पीड़ित परिवार को 9.47 लाख रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया था, लेकिन पति ने इससे असंतुष्ट होकर हाईकोर्ट की शरण ली। इंश्योरेंस कंपनी और वाहन मालिक से 21.50 लाख रुपए मुआवजा दिलाने की प्रार्थना की। इंश्योरेंस कंपनी ने अपने बचाव में दलील दी कि, हादसे के पहले महिला लापरवाही से गाड़ी चला रही थी। उसने हेल्मेट नहीं लगाया था और वह फोन पर बात कर रही थी। लिहाजा, इंश्योरेंस कंपनी इस हादसे के कारण मुआवजा देने के लिए बाध्य नहीं है। साथ ही महिला की आमदनी इतनी नहीं थी कि, उसके परिवार को 21.50 लाख रुपए मुआवजा दिया जाए। मामले में सभी पक्षों को सुनकर कोर्ट ने उक्त फैसला दिया है।
Created On :   29 March 2023 12:44 PM IST