नायलॉन मांजे को लेकर कोर्ट ने फिर पूछा- हादसों  से बचाने क्या किए गए उपाय 

Court again asked about nylon mange - what measures were taken to prevent accidents
नायलॉन मांजे को लेकर कोर्ट ने फिर पूछा- हादसों  से बचाने क्या किए गए उपाय 
नायलॉन मांजे को लेकर कोर्ट ने फिर पूछा- हादसों  से बचाने क्या किए गए उपाय 

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में गुरुवार को प्रदेश पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रधान सचिव ने शपथ-पत्र देकर बताया है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के 21 जनवरी 2020 के आदेशानुसार प्रदेश में नायलॉन मांजा व अन्य संबंधित उत्पादों की खरीदी-बिक्री पर प्रतिबंध लगाया गया है। इस आदेश को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए 1 और 13 जनवरी को महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सभी स्थानीय स्वराज संस्थाओं को पत्र लिखकर नायलॉन मांजा बेचने वालों पर कार्रवाई की अपील की थी।

राज्य स्तर पर मंत्रालय ने सभी विभागों के पुलिस आयुक्तों व जिला पुलिस अधीक्षकों को टास्क फोर्स बना कर नायलॉन मांजा पर बैन को सख्ती से लागू करने के भी निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा भी राज्य सरकार नायलॉन मांजा के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने के लिए विविध स्तरों पर प्रयास कर रही है। इस पर हाईकोर्ट ने प्रश्न पूछा है कि आखिर एनजीटी के प्रतिबंध व राज्य सरकार के प्रयासों के बावजूद नायलॉन मांजा की खरीदी बिक्री क्यों जारी है। इससे होने वाले हादसों को रोकने के लिए क्या किया जा सकता है? प्रधान सचिव से इस पर तीन सप्ताह में शपथ-पत्र प्रस्तुत करने के आदेश दिए गए हैं। 

यह है मामला : उल्लेखनीय है कि शहर में नायलॉन मांजे से हो रही दुर्घटनाओं का संज्ञान लेकर सू-मोटो जनहित याचिका दायर की गई है। बता दें बीती जनवरी में इमामवाड़ा परिसर में प्रणय प्रकाश ठाकरे (21) की नायलॉन मांजा गले में फंसने से मृत्यु हो गई थी। मानेवाड़ा में सौरभ पाटणकर (22) भी नायलॉन मांजे से बाल-बाल बचा। बीते दिसंबर में झिंगाबाई टाकली परिसर में भी नायलॉन मांजे से ऐसी ही दुर्घटना हुई थी। इसके अलावा पशु-पक्षियों के भी नायलॉन मांजे में उलझकर घायल होने और मृत्यु का शिकार होने के कई मामले सामने आए हैं।

प्रदेश में प्रतिबंध के बावजूद इस जानलेवा मांजे की खुलेआम बिक्री और इस्तेमाल जारी है। ऐसे में हाईकोर्ट ने इसका संज्ञान लेकर सू-मोटो जनहित याचिका दायर की है। हाईकोर्ट में प्रणय ठाकरे के परिजनों ने मुआवजे के लिए मध्यस्थी अर्जी दायर की थी। लेकिन कोर्ट ने उन्हें इस मुद्दे पर स्वतंत्र याचिका दायर करने के आदेश दिए हैं। एड.देवेन चौहान की न्यायालयीन मित्र के रूप में नियुक्ति की गई है। राज्य सरकार की ओर से सरकारी वकील दीपक ठाकरे व मनपा की ओर से एड.जैमिनी कासट ने पक्ष रखा। 

Created On :   5 Feb 2021 4:18 AM GMT

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