करोड़ों की फूलगोभी फसल को बर्बाद कर रही डीबीएम तितली, काम नही आ रहे कोई प्रयोग

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करोड़ों की फूलगोभी फसल को बर्बाद कर रही डीबीएम तितली, काम नही आ रहे कोई प्रयोग
करोड़ों की फूलगोभी फसल को बर्बाद कर रही डीबीएम तितली, काम नही आ रहे कोई प्रयोग

डिजिटल डेस्क, छिन्दवाड़ा/पांढुर्ना। विकासखंड के ग्राम हिवरासेनाडवार, सिराठा, राजना, सिवनी, बड़चिचोली और आसपास के कई गांवों के किसानों के आजीविका की प्रमुख फूलगोभी की फसल डीबीएम तितली नामक कीट के प्रकोप से बर्बाद हो रही है। आजीविका की एकमात्र फसल पर तितली के प्रकोप ने किसानों को चिंता में डाल दिया है। फसलों को बचाने किए जा रहे प्रयोग भी बेअसर साबित हो रहे है।

ग्राम हिवरा सेनाडवार के वरिष्ठ किसान वासुदेव टोपले बताते है कि क्षेत्र के 90 प्रतिशत किसान फूलगोभी  फसल  के ही भरोसे है। इस साल फूलगोभी फसल पर डीबीएम तितली का प्रकोप बना है, जिससे फसलें गल रही है और क्वालिटी बिगड़ रही है।  अधिकांश किसानों ने एक एकड़ से लेकर बड़े रकबों में गोभी बोई है। किसान शेख सत्तार, शामराव टोपले, चंद्रभान टोपले का कहना है कि जून महीने में फसलें रोपी है। जिसका उत्पादन हो रहा है। जून से लेकर अप्रैल महीने तक अलग-अलग वैरायटी की गोभी का उत्पादन बना रहता है। पर तितली के प्रकोप से वर्तमान फसल की क्वालिटी और उत्पादन बिगड़ रहा है।

रोजाना निकल रही थी चार से पांच लाख की फसल
किसान वासुदेव टोपले ने बताया कि उत्पादन के शुरूआती दौर से अबतक गोभी भरकर आठ से दस गाडिय़ां रायपुर भेजी जा रही है। इसके अलावा यूपी-बिहार के व्यापारी भी सीधे खरीदी कर रहे है। शुरूआत में अच्छे भाव के चलते चार से पांच लाख रूपए की फसल रोजाना निकल रही थी। पर तितली के प्रकोप से बिगड़ी फसल की क्वालिटी से इसके भाव लगातार टूट रहे है। किसानों के खेतों से गाडिय़ां तो रोजाना निकल रही है, पर पहले जैसे भाव नही मिल रहे। किसानों ने बताया कि डीबीएम तितली के प्रकोप से फुलगोभी की ग्रोथ टूट रही है, पत्ते भी गल रहे है। अच्छी क्वालिटी की गोभी बनने में तितलियां रूकावट बन रही है।

कम बारिश को भी बता रहे कारण
अधिकांश जानकार किसानों का कहना है कि पिछले साल भी तितली ने फसल पर असर दिखाया था। पर अच्छी बारिश से असर कम रहा, वहीं किसानों ने भी उपचार के माध्यम से फसलें बचा ली थी। इस बार कम बारिश के कारण फूलगोभी पर ज्यादा असर दिख रहा है। किसानों का कहना है कि तेज बारिश के कारण तितली का असर फसलों से धुल जाता है, वहीं तितली तेज पानी में पनप नही पाती। किसानों ने बताया कि छिंदवाड़ा के वैज्ञानिकों से फसल को डीबीएम तितली से बचाने की सलाह मांगी, पर उनके द्वारा बताए गए उपाय भी काम नही आ रहे है। किसान शेख सत्तार, शामराव टोपले, चंद्रभान टोपले ने फसलों को बर्बाद होता देख खेतों में बन रही गोभी पर रोटावेटर चला दिया।

रोज छिड़क रहे 25-30 हजार की दवाईयां
विभिन्न खाद-बीज कंपनियों के सलाहकारों की सलाह पर गोभी उत्पादक किसान रोज 25 से 30 हजार रूपए तक की दवाईयों का छिड़काव कर फसलों को बचाने की कवायद कर रहे है। इसके अलावा अपने तजुर्बों के आधार पर गोभी को तितली से बचाने और इसकी क्वालिटी सुधारने पर भी मेहनत कर रहे है। किसानों के अनुसार कृषि अनुसंधान केन्द्र चंदनगांव के अलावा नईदिल्ली में फोन पर वैज्ञानिकों से चर्चाकर फसलों की स्थिति के बारे में बताया, पर वैज्ञानिकों की सलाह भी कुछ खास राहत नही दे रही है। अनुसंधान केन्द्र के वैज्ञानिकों ने फसलों की फोटो भेजने और उसको देखने के बाद कुछ कहने की बात कही।

क्या है डीबीएम तितली
फुलगोभी पर असर कर रही डीबीएम तितली का वैज्ञानिक नाम डाईमंड बैक मौथकोल है। यह तितलियां फसलों को पतझड़ की भांति झड़ाने का काम करती है। हरे रंग का तितलीनुमा कीट फसल के पत्तों के हरे ऊतकों को खा जाता है। जिससे पत्तों पर सफेद धब्बे दिखाई देने लगते है। बड़ी होकर तितलियां पत्तों पर छेद कर देती है और लगातार पत्ते झडऩे लगते है। जिससे क्वालिटी और उत्पादन पर असर होता है।

इनका कहना
फुलगोभी में पहली बार यह प्रकोप देखने मिल रहा है। तितलियों का असर शाम को अधिक रहता है। उस समय लाईट ट्रैप और अन्य मैनुअल विधि से ही इन पर अंकुश पा सकते है। किसानों को सलाह दी जा रही है। दवाओं की अपेक्षा मैनअुल विधी ही अपनानी चाहिए।
-किशोर गजभिए, अधीक्षक, उद्यानिकी विभाग पांढुर्ना।

Created On :   2 Sep 2018 12:24 PM GMT

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