विदेश में पढ़ाई के लिए क्रीमीलेयर की शर्त लगाने से असंतोष बढ़ा

Dissatisfaction with condition of creamy layer for study abroad increased
विदेश में पढ़ाई के लिए क्रीमीलेयर की शर्त लगाने से असंतोष बढ़ा
विदेश में पढ़ाई के लिए क्रीमीलेयर की शर्त लगाने से असंतोष बढ़ा

डिजिटल डेस्क, नागपुर। विदेशों में उच्च शिक्षा के लिए जाने वाले पिछड़े वर्ग के विद्यार्थियों के भविष्य पर राज्य की महाविकास आघाड़ी सरकार ने ग्रहण लगा दिया है। महाविकास आघाड़ी ने इसमें क्रीमीलेयर की शर्त जोड़ दी है। 6 लाख वार्षिक आय वाले अनुसूचित जाति के विद्यार्थी ही इस योजना के लिए पात्र होंगे। इससे अधिक वाले आवेदन ही नहीं कर पाएंगे। सरकार इसके लिए छात्रवृत्ति प्रदान करती है। इससे पहले भाजपा सरकार ने अपने कार्यकाल में क्रीमीलेयर की यह शर्त हटा दी थी। इस वजह से विद्यार्थी समेत उनके अभिभावकों को राहत मिली थी। राज्य की महाविकास आघाड़ी सरकार के सामाजिक न्याय विभाग ने झटका दिया है। विदेश में पढ़ने जाने वाले विद्यार्थियों के लिए क्रीमीलेयर की शर्त जोड़ने से विभिन्न संगठनों में नाराजगी है। अ.भा. असंगठित कामगार कांग्रेस और रिपाई ने इस निर्णय को तुरंत बदलने की मांग उठाई है

सरकार से निर्णय बदलने की मांग
कांग्रेस से संलग्नित संगठन अ.भा. असंगठित कामगार कांग्रेस ने भी इस निर्णय को रद्द करने की मांग की। संगठन के राष्ट्रीय समन्वयक त्रिशरण सहारे ने कहा कि योजना में बदलाव कर 6 लाख की क्रीमीलेयर शर्त जोड़ना विद्यार्थियों के लिए अन्यायकारक है। इससे अनुसूचित जाति के सैकड़ों विद्यार्थियों का विदेश में शिक्षा प्राप्त करने का सपना टूट जाएगा। सहारे ने मुख्यमंत्री से मांग की कि राजर्षि शाहू महाराज विदेश छात्रवृत्ति योजना में लागू की गई क्रीमीलेयर की शर्त हटाई जाए

मध्यमवर्गीय विद्यार्थियों को झटका 
रिपाई (ए) के विदर्भ अध्यक्ष महेंद्र मानकर ने  कहा कि इस निर्णय के कारण राज्य में मध्यमवर्गीय विद्यार्थियों को झटका लगा है। लाखों नागरिक हैं, जिनकी आय 6 लाख से कुछ अधिक है। विदेश में शिक्षा का खर्च 40 से 80 लाख रुपए से अधिक होने के कारण वे अपने बच्चों को विदेश में उच्च शिक्षा के लिए भेज नहीं पाते हैं। यह निर्णय अनुसूचित जाति पर अन्याय है। मानकर ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से विनती की है कि सरकार का यह आदेश त्वरित रद्द किया जाए। 

यह है योजना
राज्य के अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों को विदेश के नामी विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा के लिए राजर्षि शाहू महाराज छात्रवृत्ति दी जाती है। 2004 से यह योजना चल रही है। इसके तहत शुरुआत में 25 विद्यार्थियों का चयन किया जाता था। अब हर साल 75 विद्यार्थी विदेश भेजे जाते हैं। सरकार का दावा है कि सक्षम परिवार के विद्यार्थियों को ही इसका अधिक लाभ मिलता है। गरीब व प्रतिभाशाली विद्यार्थी वंचित रहते हैं। राज्य में छह लाख से कुछ अधिक आय वाले लाखों परिवार हैं। विदेश में पढ़ाई का खर्च 40 से 80 लाख तक जाता है। ऐसे में इस खर्च को वहन करना आसान नहीं है। अब 6 लाख की क्रीमीलेयर शर्त जोड़ दी गई है, जिसके  कारण सैकड़ों विद्यार्थी इस योजना से वंचित रह जाएंगे।

Created On :   19 May 2020 9:50 AM GMT

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