1.25 लाख बच्चों को नहीं मिली गणवेश: रंग बिरंगे कपड़ों में दिखते हैं छात्र-छात्राएं! आधा शिक्षण सत्र बीता, महिला समूहों को मिली थी जिम्मेदारी

Even though government make many of claims but condition of school is worse
1.25 लाख बच्चों को नहीं मिली गणवेश: रंग बिरंगे कपड़ों में दिखते हैं छात्र-छात्राएं! आधा शिक्षण सत्र बीता, महिला समूहों को मिली थी जिम्मेदारी
1.25 लाख बच्चों को नहीं मिली गणवेश: रंग बिरंगे कपड़ों में दिखते हैं छात्र-छात्राएं! आधा शिक्षण सत्र बीता, महिला समूहों को मिली थी जिम्मेदारी

डिजिटल डेस्क, शहडोल। सरकारी स्कूलों की व्यवस्था सुधरने के सरकार और शासन भले ही लाख दावे करे, लेकिन हकीकत यह है कि अब भी स्कूलों व्यवस्थाएं बद से बदतर बन हुयी हैं। मामला मप्र के शहडोल जिले का है। शिक्षण सत्र 2017-18 आधा बीत चुका है, लेकिन जिले की 1.25 लाख छात्र-छात्राएं अब भी बगैर गणवेश के शाला पहुंच रहे हैं। कक्षाओं में बच्चे रंग-बिरंगे कपड़ों में दिखायी देते हैं, जो सरकारी व्यवस्थओं की पोल खोलने के लिए काफी हैं। बताया तो यह तक जाता है कि जिनको गणवेाश सिलने का जिम्मा दिया गया था, उनके द्वारा अभी कार्य प्रारंभ भी नहीं किया गया है, ऐसे में इस शिक्षण सत्रमें बच्चों को गणवेश मिलना मुश्किल ही दिखायी दे रहा है। वहीं अधिकारी दंभ भर रहे हैं कि शीघ्र ही बच्चों को गणवेश का वितरण कर दिया जाएगा।

15 सितम्बर तक मिलनी थी बच्चों को यूनीफार्म-
बताया जाता है कि इस बार समूहों के माध्यम से ड्रेस सिलवाकर वितरण की योजना बनाई गई थी, जो सफल नहीं हो सकी है। जिले के 2125 प्राथमिक व माध्यमिक विद्यालयों में अध्ययनरत बच्चों को गणवेश 15 सितम्बर तक दी जानी थी।  बताया जाता है कि जिलों में भी जिला प्रशासन ने अजीविका मिशन के माध्यम से स्व सहायता समूहों की गणवेश सिलने  कहा गया था लेकिन समूह कपड़े नहीं सिल सके हैं। बताया जाता है कि समूहों को कपड़ा भी समय पर नहीं मिला है, जिसके कारण यूनीफार्म नहीं सिल सकी है।
समूहों की क्षमता पर सवाल-
जानकारी के अनुसार महिला समूहों की माली हालत में सुधार के साथ महिलाओं को रोजगार से जोडऩे के लिए जिले के एक लाख 30 हजार से अधिक बच्चों को ड्रेस सिलाई का कार्य सौंपा गया। जिले के करीब 800 एसएसजी समूहों की 1004 से अधिक महिलाओं को काम पर लगाया गया, लेकिन अभी तक समूह द्वारा आधे बच्चों के भी यूनीफार्म तैयार नहीं की गई है।

नए नियम से परेशानी-
उल्लेखनीय है कि पिछले शिक्षण सत्र तक छात्रों के खातों में रकम डाली जाती थी। अभिभावक अपने तरीके से ड्रेस की व्यवस्था कर लेते थे। पड़ोसी जिलों में पूर्व की तरह बच्चों के खातों में गणवेश की राशि डाल दी गई। जिला शिक्षा केन्द्र, मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन और जिला पंचायत के बीच मामला अटकता गया। खामियाजा सवा लाख बच्चों को भुगतना पड़ रहा है। जिसके कारण उन्हें अब तक यूनीफार्म नहीं मिल सकी है।

इन समूहों को मिली थी जिम्मेदारी
जिला शिक्षा केन्द्र द्वारा अपने विभागीय पत्र में जिले के सोहागपुर में जागृति स्व सहायता समूह, गोहपारू के आशा स्व सहायता समूह,  ब्यौहारी के स्वेदश, बुढ़़ार के उन्नति एवं जयसिंहनगर के उदय लक्ष्मी समूहों को गणवेश सिलकर विद्यालयों में देने के आदेश दिये गये थे। इसमें जिले के 1627 प्राथमिक और 498 माध्यमिक विद्यालयों में अध्ययनरत 64674 बालक  और 66196 बालिकाओं को गणवेश मिलनी थी। विभागीय सूत्रों के अनुसार प्रति छात्र 600 रूपये गणवेश की राशि छात्र संख्या के हिसाब से संबंधित समूहों को दे दी गई है।

नका कहना है
यह बात सही है कि ड्रेस सिलकर वितरण किया जाना है। लेकिन चुनाव के चलते कुछ देरी हुई। प्रयास है कि 20 दिसंबर तक विद्यार्थियों तक ड्रेस पहुंचा दिए जाएं। -पुष्पेंद्र सिंह, जिला समन्वयक एनआरएलएम

Created On :   10 Dec 2018 8:24 AM GMT

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