अलग विदर्भ के लिए"मुंबई' को समझाना होगा"दिल्ली' को हिलाना होगा

For a separate Vidarbha, Mumbai will have to be explained; Delhi has to be shaken.
अलग विदर्भ के लिए"मुंबई' को समझाना होगा"दिल्ली' को हिलाना होगा
प्रशांत किशोर ने कहा अलग विदर्भ के लिए"मुंबई' को समझाना होगा"दिल्ली' को हिलाना होगा

डिजिटल डेस्क, नागपुर। विदर्भ राज्य की मांग और आंदोलन के लिए अब तक जो भी रास्ते अपनाए गए हैं, कहीं न कहीं उसमें कमी रही है। इसकी मांग उठाने वाले सत्ता तक पहुंचे और सत्ता हासिल करने के बाद अपनी बात से पलट गए। यही क्रम वर्षों से चलता रहा। इस आंदोलन के कारण कई बड़े नेताओं का जन्म हुआ, मगर उन्होंने भी वही किया जो अन्य राजनीतिक पार्टियां करती आई हैं। इस आंदोलन से जुड़े सभी पुराने लोगों की बातें सुनने के बाद पीके यानी प्रशांत किशोर की बातों का मुख्य सार यही था कि पृथक विदर्भ के लिए ‘मुंबई’ को समझाना होगा और ‘दिल्ली’ को हिलाना होगा। यानी मुंबई से चल रही सरकार और अन्य राजनीतिक दलों को ठीक से इस बात को समझाना होगा कि विदर्भ क्यों चाहिए। दूसरी ओर जब तक आंदोलन की आंच दिल्ली तक नहीं पहुंचेगी, तब तक सफलता नहीं मिलेगी। उन्हें विदर्भ के लिए मजबूर करना होगा। इसके लिए उन्होंने पंजाब के किसानों के आंदोलन का उदाहरण दिया। कांग्रेस के पूर्व विधायक आशीष देशमुख के बुलावे पर वह मंगलवार को नागपुर पहुंचे थे।

मूल मंत्र... जब तक आंदोलन की आंच दिल्ली तक नहीं पहुंचेगी, तब तक सफलता नहीं मिलेगी
आंदोलनकारियों की बात : सभी पार्टियों ने धोखा दिया
 पीके की राय - अब नेताओं पर विश्वास नहीं करें।

विदर्भ से या नागपुर से नेताओं की कमी नहीं है। निश्चित रूप से इस मुद्दे को लेकर कई नेताओं ने अपनी राजनीति चमकाई, मगर उनका भी कसूर नहीं है। पृथक विदर्भ पर बात भी की होगी, मगर कोई सुनने को तैयार नहीं होगा, इसलिए वे भी चुप रह गए या उन्हें चुप करवा दिया गया। इसलिए जनता को अब उन पर विश्वास नहीं करके अपनी शक्ति पर विश्वास करना होगा।
आंदोलनकारियों की बात : विश्वास नहीं है कि विदर्भ राज्य बनेगा।

पीके की राय - जनप्रतिनिधियों को लगना चाहिए कि इस मुद्दे की उपेक्षा करने से वह खतरे में आ सकते हैं।
जब तक सरकार को लगता रहेगा कि इस मुद्दे को टाला जा सकता है, तब तक यह मुद्दा टलता रहेगा। आप लोगों को कुछ ऐसा करना होगा कि जनप्रतिनिधियों को लगने लगे कि इस मुद्दे पर साथ नहीं दिया तो उनकी राजनीति खतरे में आ सकती है। ऐसे में वह खुद इस मुद्दे को उठाएंगे, क्योंकि उन्हें अपनी सीट बचानी है।
आंदोलनकारियों की बात : सब मुंबई पर राज करना चाहते हैं, इसलिए कोई नहीं चाहता विदर्भ राज्य बने।
 
पीके की राय - जनजागृति कर बताना होगा अलग राज्य क्यों चाहिए।
इसके लिए जरूरी है कि छोटे से लेकर बड़े स्तर पर जनजागृति कर यह बताना होगा कि अलग राज्य उन्हें क्यों चाहिए। इसके क्या फायदे होंगे। अभी  क्या नुकसान उठाना पड़ रहा है। जब यह जनसमूह की आवाज बन जाएगी, तो सरकार को भी इस पर ध्यान देना होगा। अलग तेलंगाना, पंजाब के किसानों का आंदोलन इसके उदारण हैं कि जब तक दिल्ली को मजबूर नहीं करेंगे, तब तक केंद्र इस पर कुछ नहीं करेगा।
आंदोलनकारियों की बात : विदर्भ को लेकर सर्वे हुए हैं, जिसमें अधिकांश का मत यही है कि अलग राज्य बनना चाहिए?

पीके की राय - सर्वे से सरकार नहीं बनती।
किसी भी तरह के सर्वे से सरकार नहीं बनती। हम भी कई तरह के सर्वे करते हैं। सर्वे केवल इनपुट का काम करते हैं। पंजाब में भी किसानों के मुद्दे पर सर्वे हुए मगर सरकार ने नहीं सुनी। उसमें से केवल 10 प्रतिशत जब किसान सड़क पर आ गए तो, सरकार को उनकी बात सुननी पड़ी।
आंदोलनकारियों की बात : आखिर हम क्या करें कि विदर्भ राज्य बन जाए। अभी तक के सारे प्रयास तो असफल हुए।

 पीके की राय - ढाई करोड़ की बात केंद्र सरकार तक पहुंचाना होगी।
विदर्भ में ढाई करोड़ लोगों की राय है कि अलग राज्य बनना चाहिए। ऐसे हमने विभिन्न माध्यमों से उनकी बात केंद्र सरकार और जनप्रतिनिधियों तक पहुंचानी होगी। जब सरकार को लगेगा कि लोगों की बात नहीं सुनी तो उन्हें राजनीतिक नुकसान हो सकता है, तो वह सुनेंगे। छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड ऐसे ही अलग राज्य बने। केंद्र को लगा कि ऐसा करने से उन्हें फायदा है, तो उन्होंने बनाया।

विदर्भ के लिए बनेगी संयुक्त कृति 
समिति, जनांदोलन की तैयारी : पीके
बिहार से कम नहीं है विदर्भ में विकास की स्थिति
विदर्भ राज्य निर्माण की मांग के साथ संयुक्त कृति समिति बनाई जाएगी। राजनीतिक कार्यकर्ताओं की सहभागिता में यह समिति पूरी तरह से गैर-राजनीतिक रखी जाएगी। समिति में विदर्भ की सभी ग्राम पंचायतों से प्रतिनिधि शामिल किए जाएंगे। विदर्भ राज्य निर्माण के लिए नए सिरे से जनांदोलन तैयार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि विदर्भ राज्य निर्माण की मांग अनुचित नहीं है। विकास के मामले में नागपुर को छोड़ दिया जाए, तो विदर्भ की स्थिति बिहार के समान है। 

क्रिकेट की रणनीति अपनाएं
पीके ने पुराने आंदोलनों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि जैसे क्रिकेट में बैट्समैन एक बॉल पर हिट नहीं कर पाता तो वह पुरानी बॉल को छोड़कर अगली बॉल पर हिट करने पर फोकस करता है। बस यही रणनीति अपनानी पड़ेगी। विदर्भ के पुराने आंदोलन की असफलता को भूलकर नए सिरे से काम करना होगा। 

कुछ कार्यकर्ताओं ने बीच में नारेबाजी शुरू कर दी
सवाल-जवाब के समय राजनीतिक विषय पर बहस होने लगी। कुछ कार्यकर्ता नारे लगाने लगे। एक कार्यकर्ता ने कहा कि विदर्भ आंदोलन से केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी का संबंध रहा है, लेकिन वे इस मामले में कार्यकर्ताओं से चर्चा करने के बजाय उन्हें पुलिस के माध्यम से बाहर करने लगे हैं। राजेश काकडे ने जिला परिषद क्षेत्र में विकास के मामले के साथ किसानों को विदर्भ आंदोलन से जोड़ने काे कहा। उन्होंने विकास कार्यों पर सवाल उठाए तो शाेर-शराबा होने लगा। डोमा सावजी ने कहा-नागपुर के लोग मुंह लगते हैं, लेकिन दिल के साफ हैं। यहां लता मंगेशकर, रामदेवबाबा को भी कहना पड़ा था कि वे सार्वजनिक कार्यक्रमों के लिए नहीं आएंगे, लेकिन प्रशांत किशोर ऐसा नहीं करेंगे।

विदर्भ राज्य के लिए अपने को समर्पित करना चाहता हूं
प्रशांत किशोर ने कहा कि विदर्भ आंदोलन को बाहर का व्यक्ति नेतृत्व नहीं दे सकता है। यहां के नागरिक ही इस आंदोलन को सफल बनाएंगे। 2-3 माह में आंदोलन की आरंभिक रूपरेखा तैयार करनी होगी। तैयारी ऐसी हो कि जून 2023 तक यह आंदोलन प्रभाव दिखाने लगे। इसके लिए सबसे पहले 50 लोगों का कार्यकारी समूह बनाना होगा। संयुक्त कृति समिति किसी व्यक्ति, दल या परिवार की नहीं होना चाहिए। कई राज्योें मेें चुनाव रणनीतिकार रहे प्रशांत किशाेर ने यह भी कहा कि अब वे चुनाव रणनीति का कार्य नहीं करते हैं। 2 मई 2021 को ही इस संबंध में घोषणा कर चुके है। 10 वर्ष में उन्होंने अनुभव पाया है कि रणनीतिक प्रयासों से राज्यों की सत्ता तो बदल जाती है, लेकिन व्यवस्था नहीं बदल पाती है। उन्होंने अपना पूरा ध्यान बिहार में लोकतांत्रिक दल तैयार करने में लगा रखा है, लेकिन विदर्भ राज्य निर्माण के विषय पर विचार करने के बाद वे इस कार्य के लिए स्वयं को समर्पित करना चाहते हैं। 4 माह तक औपचारिक जानकारियां जुटाने के बाद वे विदर्भ राज्य निर्माण के आंदोलन को गति व दिशा देने के लिए नागपुर आए हैं। चिटणवीस सेंटर में मंगलवार को चर्चा सभा में पूर्व विधायक आशीष देशमुख, नितीन रोंघे, नितीन मोहोड, मुकेश समर्थ, विजय जावंधिया, राजीव जगताप, दिलीप नरवडिया, हरीश इथापे सहित अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।
 

Created On :   21 Sep 2022 5:14 AM GMT

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