वन विभाग : मामूली अपराधों में जुर्माना लेकर रफादफा कर सकेंगे चार अधिकारी

forest department give condensation power to four officers for normal forest crimes
वन विभाग : मामूली अपराधों में जुर्माना लेकर रफादफा कर सकेंगे चार अधिकारी
वन विभाग : मामूली अपराधों में जुर्माना लेकर रफादफा कर सकेंगे चार अधिकारी

डिजिटल डेस्क, भोपाल। भारतीय वन अधिनियम 1927 के अधीन सामान्य वन अपराधों पर अब चार अधिकारियों को प्रशमन यानि समझौता शुल्क लेकर मामला खत्म करने (रफादफा) के अधिकार प्रदान किए गए हैं। इन चार अधिकारियों में वनसंरक्षक, उप वनसंरक्षक, सहायक वनसंरक्षक और वन रेंजर शामिल हैं। इनके अलावा राज्य वन विकास निगम के उक्त समकक्ष श्रेणी के अधिकारियों जिन्होंने सहायक वनसंरक्षक के लिए विभागीय परीक्षा उत्तीर्ण कर ली है, को भी अपने क्षेत्र में प्रशमन की शक्तियां प्रदान की गई हैं। इससे पहले सिर्फ वन विभाग के अनुविभागीय अधिकारी के पास ही प्रशमन की शक्तियां थीं।

सामान्य वन अपराधों में शामिल हैं
वन क्षेत्र में बिना अनुमति कटाई एवं सफाई करना, आग लगाने, बिना अनुमति पशु चराई या ट्रेसपास करने, बिना अनुमति वन क्षेत्र में उत्खनन करने, वनोपज तोडऩा आदि। दरअसल राज्य सरकार ने 91 साल पुराने भारतीय वन अधिनियम 1927 में वर्ष 2009 में संशोधन किया था, जिसे राष्ट्रपति ने स्वीकृति प्रदान कर दी थी। इस संशोधन अधिनियम में ही सामान्य वन अपराधों का प्रशमन करने का प्रावधान किया गया है।

वन अधिनियम के उन प्रावधानों जिसमें वन्य प्राणियोंं को हानि पहुंचाने, अतिक्रमण करने या सीमा रेखा में बदलाव करने आदि में प्रशमन नहीं किया जा सकता है। इन गंभीर वन अपराधों में तो जांच कर कोर्ट में चालान ही पेश करना होता है। इन गंभीर वन अपराधों के अलावा अन्य सामान्य वन अपराधों में ही प्रशमन किया जा सकेगा।

सामान्य वन अपराधों के अंतर्गत अब प्रशमन के लिए अधिकृत वनाधिकारी जब्त की जाने वाली सम्पत्ति के अधिग्रहण करने का आदेश देने के पहले यदि उस जब्त सम्पत्ति के बराबर का मूल्य प्राप्त कर लेता है, तो वह उस सम्पत्ति और अभिरक्षा में लिए गए व्यक्ति को निर्मुक्त  कर देगा। जुर्माने ने की राशि वनोपज के मूल्य से दोगुनी नहीं होगी।

मुख्य वनसंरक्षक कक्ष संरक्षण, वन विभाग मप्र के अपर प्रधान बीके मिश्रा ने मामले में कहा, ‘साधारण वन अपराधों में प्रशमन करने की शक्तियां अब तक अनुविभागीय वन अधिकारी के पास थीं। ऐसे मामलों का समझौता शुल्क लेकर त्वरित निराकरण हो सके, इसलिए अनुविभागीय वन अधिकारी जोकि वनसंरक्षक स्तर का अधिकारी होता है, उसके नीचे के अधिकारियों उप वनसंरक्षक, सहायक वनसंरक्षक एवं वन रेंजर को भी अधिकृत किया गया है। वन निगम के समकक्ष अधिकारियों को भी ऐसे प्रशमन के लिए अधिकृत किया गया है।’

Created On :   12 Jun 2018 5:51 PM IST

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