दुष्कर्म के आरोपी पूर्व विधायक को हाईकोर्ट से झटका

Former MLA accused of rape got a shock from the High Court
दुष्कर्म के आरोपी पूर्व विधायक को हाईकोर्ट से झटका
बंदूक की नोंक पर किया था रेप दुष्कर्म के आरोपी पूर्व विधायक को हाईकोर्ट से झटका

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बंदूक की नोंक पर महिला से दुष्कर्म के आरोपी चिमूर के पूर्व विधायक डॉ. अविनाश वारजुरकर को बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ से झटका लगा है। हाईकोर्ट ने पूर्व विधायक को मामले से बरी करने से इनकार करते हुए अर्जी खारिज कर दी है। 27 जुलाई 2016 को वारजुरकर के खिलाफ भंडारा पुलिस थाने में धारा 366, 376(2)(एन), 323, 504, 506, 341 और आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था। हाईकोर्ट ने मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद पाया कि, आरोपी और पीड़िता के कॉल डिटेल रिकॉर्ड के अनुसार दोनों ने दिए गए वक्त पर एक साथ मौजूद थे, लेकिन इस मामले में सच्चाई पता लगाने के लिए सभी सबूतों और गवाहों की पड़ताल जरूरी है, जो ट्रायल में ही सामने आ सकेगा। इस निरीक्षण के साथ हाईकोर्ट ने सत्र न्यायालय के फैसले को सही माना। आरोपी पूर्व विधायक को मामले से बरी करने से साफ इनकार करते हुए हाई कोर्ट ने उसकी अर्जी खारिज कर दी।  

बंदूक की नोंक पर दुष्कर्म
पुलिस में दर्ज मामले के अनुसार पीड़िता और याचिकाकर्ता दोनों नागपुर निवासी है और एक दूसरे को पहले से जानते हैं। वर्ष 2011 में दोनों ने मिलकर साथ में कुछ व्यवसाय भी किया। इसी दौरान याचिकाकर्ता ने महिला से असभ्य बर्ताव करना शुरु किया। पति को तलाक देकर उसके साथ विवाह करने को कहने लगा। यह भी आरोप है कि, आरोपी ने बार-बार महिला पर शारीरिक संबंध बनाने के लिए भी दबाव डाला। 8 नवंबर 2015 को महिला कहीं यात्रा पर निकली थी और आराम करने के लिए भंडारा के एक निजी होटल में रुकी थी। आरोपी अपने ड्राइवर के साथ इस होटल में आ गया। आरोपी ने बंदूक की नोंक पर महिला के साथ दुष्कर्म किया। किसी को इस बारे में बताने पर महिला के बेटे और परिवार को जान से मारने की धमकी भी दी। कुछ दिन तक महिला ने डर के मारे किसी को कुछ नहीं कहा, लेकिन आरोपी की ज्यादती बढ़ी, तो उसने पुलिस में शिकायत कर दी। 

 यह थी दलील 
आरोपी ने मामले से खुद को बरी करने के लिए भंडारा के अतिरिक्त सत्र न्यायालय में अर्जी दायर की। 21 दिसंबर 2021 को न्यायालय ने यह अर्जी खारिज कर दी। जिसके बाद उसने हाईकोर्ट की शरण ली। हाईकोर्ट में आरोपी की ओर से दलील दी गई कि, यह मामला झूठा है, इसे साबित करने के लिए कोई ठोस सबूत कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत नहीं किए गए। साथ ही 8 माह की देरी से एफआईआर दर्ज की गई है। मामले में पीड़िता ने कोर्ट में दलील दी कि, आरोपी पूर्व विधायक है। अपनी पहुंच का फायदा उठाकर उसने गवाहों को डराया, जांच प्रभावित की। यहां तक की पुलिस को जांच अधिकारी बदलकर वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को जांच सौंपनी पड़ी। मामले में सभी पक्षों को सुनकर हाईकोर्ट ने यह फैसला दिया है। 
 

Created On :   25 March 2023 2:46 PM IST

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