विधवा का दर्द बयां कर गीतांजली श्री ने पहली बार हिंदी को दिलाया बुकर सम्मान, टॉम्ब ऑफ सैंड के साथ दुनिया में रचा कीर्तिमान

Geetanjali Shree received the prestigious Booker Prize for Tomb of Sand
विधवा का दर्द बयां कर गीतांजली श्री ने पहली बार हिंदी को दिलाया बुकर सम्मान, टॉम्ब ऑफ सैंड के साथ दुनिया में रचा कीर्तिमान
हिंदी को बुकर सम्मान विधवा का दर्द बयां कर गीतांजली श्री ने पहली बार हिंदी को दिलाया बुकर सम्मान, टॉम्ब ऑफ सैंड के साथ दुनिया में रचा कीर्तिमान
हाईलाइट
  • विधवा की संघर्ष भरी कहानी पर है उपन्यास

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रसिद्ध राइटर गीतांजली श्री के उपन्यास टॉम्ब ऑफ सैंड को 2022 के बुकर प्राइज से सम्मानित किया है। इस सम्मान से अंतराष्ट्रीय स्तर पर भारत की सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा हिन्दी की प्रतिष्ठा भी बढ़ी है, क्योंकि यह हिन्दी भाषा का पहला उपन्यास है जिसे, इंटरनेशल बुकर पुरस्कार मिला है। इसके साथ ही ये दुनिया की उन 13 किताबों की सूची में शामिल हो गई, जिन्हें अब तक यह सम्मान हासिल हुआ है।

लंदन में आयोजित समारोह में उपन्यास की लेखिका गीतांजली ने यह पुरस्कार ग्रहण किया। गीतांजली को इनाम में 5000 पाउंड विजेता राशि मिली जिसे उन्होंने उपन्यास का अंग्रेजी में अनुवाद करने वाली डेजी रॉकवेल के साथ साझा किया। बता दें कि हिन्दी में यह उपन्यास रेत की समाधि के नाम से प्रकाशित हुआ था। जिसका प्रकाशन राजकमल प्रकाशन ने किया। 

बुकर पाने का सपना नहीं देखा था
सम्मान मिलने के बाद गीतांजली ने कहा, मैनें कभी बुकर जीतने का सपना नहीं देखा था। न ही कभी कल्पना की थी, कि मैं ऐसा कर सकती हूं। इस को पाने के बाद मैं सम्मानित और गौर्वान्वित महसूस कर रही हूं। उन्होंने कहा, टॉम्ब ऑफ सैंड उस दुनिया के लिए एक शोकगीत है जिसमें हम रहते हैं। मुझे विश्वास है कि बुकर के माध्यम से यह और भी कई लोगों तक पहुंचेगा।

बुजुर्ग विधवा की कहानी पर है उपन्यास
रेत की समाधि उपन्यास 80 साल की बुजुर्ग विधवा की कहानी पर है, जो 1947 बंटवारे के बाद अपने पति को खो देती है। पति की मौत के बाद वह गहरे अवसाद में चली जाती है। काफी संघर्ष का सामना करने के बाद वह अपने अवसाद पर नियंत्रण कर पाती है और विभाजन के समय पीछे छूटे अतीत का सामना करने के लिए पाकिस्तान जाने का निर्णय करती है। 

कौन हैं गीतांजली?
बुकर जीतकर इतिहास रचने वाली 64 वर्षीय गीतांजली हिंदी की जानी मानी लेखिका हैं। पहले उनका नाम गीतांजली पांडे था, बाद में उन्होंने अपनी मांं के नाम में लगे पहले अक्षर श्री को अपने नाम के अंत में लगा लिया। रेत की समाधि के अलावा गीतांजली ने  माई, हमारा शहर उस बरस, खाली जगह और तिरोहित जैसे उपन्यास भी लिख चुकी हैं। वह मूल रुप से मैनपुरी, यूपी की रहने वाली हैं। गीतांजली का जन्म 12 जून 1957 को हुआ। उन्होंने अपनी बैचलर की पढ़ाई दिल्ली के लेडी श्रीराम कालेज से और जेएनयू से इतिहास विषय में मास्टर की पढ़ाई की। इसके साथ ही गीतांजली ने सूरत के सेंटर फार सोशल स्टडीज में पोस्ट डॉक्टरल शोध भी किया।   
  
क्या है बुकर सम्मान
हर वर्ष दिए जाने वाला यह पुरस्कार हर वर्ष बुकर कंपनी व ब्रिटिश प्रकाशन संध द्वारा दिया जाता है। इसे नोबेल पुरस्कारों के बाद सबसे बड़ा पुरस्कार कहा जाता है। साल 1969 में शुरु हुआ यह पुरस्कार अंग्रेजी में ट्रांसलेट और ब्रिटेन या आयरलैंड में पब्लिश किसी एक बुक को दिया जाता है। गीतांजली के अलावा अब तक 5 भारतीय या भारतीय मूल के लेखकों बुकर सम्मान मिला है। ये लेखक हैं- 
•    वी.एस. नायपॉल 
•    सलमान रुश्दी
•    अरुंधति रॉय
•    किरण देसाई
•    अरविंद अडिगा
 
 

Created On :   27 May 2022 8:19 AM GMT

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