उच्च न्यायालय ने रद्द की आजीवन कारावास की सजा

High Court canceled the sentence of life imprisonment
उच्च न्यायालय ने रद्द की आजीवन कारावास की सजा
नागपुर उच्च न्यायालय ने रद्द की आजीवन कारावास की सजा

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में पत्नी की हत्या के आरोपी की आजीवन कारावास की सजा रद्द कर 8 साल का सश्रम कारावास किया गया। इस मामले में न्यायमूर्ति महेश सोनक और पुष्पा गणेडीवाला ने सत्र न्यायालय की सजा को भादंवि की धारा 304 भाग 2 सदोष मनुष्यवध के रूप में परिवर्तित कर दिया है। जानकारी अनुसार यवतमाल जिले के महागांव के घोनसारा ग्राम निवासी आरोपी पवन बिल्लू राठोड (23) को पत्नी की हत्या के चलते सत्र न्यायालय ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। पुलिस रिपोर्ट के मुताबिक 29 अप्रैल 2014 को आरोपी का माया के साथ विवाह हुआ था।

विवाह के बाद पवन पत्नी माया के चरित्र पर संदेह करता था। इस विवाद के चलते 27 अप्रैल 2016 को पारिवारिक बैठक हुई। बैठक में आरोपी ने अपने पुत्र के नाम पर तीन एकड़ खेती कर दी थी। इसके साथ ही एक माह बाद  माया को घर लेकर जाने का भी निर्णय हुआ था। 2 मई को दहीवाड़ गांव स्थित ससुराल में पत्नी माया पर धारदार शस्त्र से हमला कर फरार हो गया। वारदात के बाद आरोपी ने जहर खाकर आत्महत्या का प्रयास किया था। पत्नी की हत्या की जानकारी आरोपी चचेरे ससुर उत्तम रामाजी पवार ने महागांव पुलिस को दी। न्यायालय में दोनों पक्षों के युक्तिवाद को सुनने के बाद पुसद के अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने भादंवि की धारा 302 के तहत आरोपी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। आरोपी ने सत्र न्यायालय की सजा को हाईकोर्ट में चुनौती दी। हाईकोर्ट में दो सदस्यों की खंडपीठ ने भादंवि 302 में आजीवन कारावास को रद्द कर धारा 304 (2) में सदोष मनुष्य वध के तहत आठ साल कारावास का आदेश दिया है। आरोपी की ओर से एड. राजेंद्र डागा ने पैरवी की।
 
 

Created On :   2 Dec 2021 9:26 AM GMT

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