सिर्फ समझौते के आधार पर नहीं रद्द कर सकते दुष्कर्म का मामला-हाईकोर्ट

High court cannot cancel rape case only on the basis of agreement
सिर्फ समझौते के आधार पर नहीं रद्द कर सकते दुष्कर्म का मामला-हाईकोर्ट
सिर्फ समझौते के आधार पर नहीं रद्द कर सकते दुष्कर्म का मामला-हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने दुष्कर्म पीड़िता के साथ हुए समझौते के आधार पर एक डॉक्टर के खिलाफ बलात्कार का मामला रद्द करने से इंकार कर दिया है। जबकि डॉक्टर ने याचिका में दावा किया था कि उसने पीड़िता के साथ उसकी सहमति से संबंध बनाए थे। इसलिए उसका कृत्य दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं आता है। उसकी कोई आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं है। 

याचिका में आरोपी डॉक्टर ने कहा था कि शिकायतकर्ता ने भी मामला दर्ज करने को लेकर अपनी रजामंदी जाहिर की है। इसलिए उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा  376,313, 323,504 के तहत दर्ज किए गए मामले को रद्द कर दिया जाए। शिकायतकर्ता (पीड़िता)  ने कोर्ट में दायर हलफनामे में कहा था कि उसने झगड़े के कारण गुस्से में  आकर आरोपी (डॉक्टर) के खिलाफ मामला दर्ज कराया था। अब वह अपने जीवन में आगे बढ़ना चाहती है। इसलिए यदि मामले को रद्द किया जाता है तो उसे कोई अप्पति नहीं है। 

न्यायमूर्ति एस एस शिंदे व न्यायमूर्ति मनीष पीटले की खंडपीठ के सामने आरोपी डॉक्टर के याचिका स्वरूप आवेदन पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ए एस.पई ने याचिका का विरोध किया। उन्होंने कहा कि आरोपी पर गंभीर आरोप है। ऐसे में यदि एफआईआर को रद्द किया जाता है तो समाज पर इसका विपरीत असर पड़ेगा। 

खंडपीठ ने इन दलीलो व मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद पाया कि शिकायतकर्ता ने आरोपी पर शादी का झांसा देकर संबंध बनाने का आरोप लगाया है। शिकायत में शिकायतकर्ता ने कहा है कि आरोपी ने कई बार उससे जबरन भी संबंध बनाए थे और उसकी मर्जी के विपरीत उसका गर्भपात भी कराया था। खंडपीठ ने कहा कि आरोपी पर गंभीर आरोप है। इसलिए महज समझौते के आधार पर मामले को रद्द नहीं किया जा सकता है। यह कहते हुए खंडपीठ ने आरोपी डॉक्टर की याचिका को खारिज कर दिया।
 

Created On :   25 Jan 2021 6:58 AM GMT

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