सांसद निधि को निलंबित करने के खिलाफ दायर याचिका को हाईकोर्ट ने किया खारिज

High court dismisses the petition filed against suspension of MP fund
सांसद निधि को निलंबित करने के खिलाफ दायर याचिका को हाईकोर्ट ने किया खारिज
सांसद निधि को निलंबित करने के खिलाफ दायर याचिका को हाईकोर्ट ने किया खारिज

डिजिटल डेस्क, मुंबई। सांसद निधि को निलंबित किया जाना नागरिकों के  वैधानिक अधिकार को प्रभावित नहीं करता है। दूसरे कार्यों की बजाय कोरोना के खिलाफ लड़ाई को महत्व दिया जाना जरुरी है। यह टिप्पणी करते हुए बांबे हाईकोर्ट ने कोरोना के प्रकोप के मद्देनजर दो साल के लिए निलंबित की गई सांसद निधि के खिलाफ दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया है। यह याचिका पेशे से वकील नीलिमा वर्तक ने दायर की थी।

याचिका में दावा किया गया था कि सांसद निधि निलंबित किए जाने से स्थानीय इलाकों का विकास प्रभावित होता है। जो मतदाताओं के हित के विपरीत है। नियमों के विपरीत जाकर सांसद निधि को निलंबित करने का निर्णय किया गया है। क्योंकि जिस मंत्रालय ने यह फैसला किया है उसके पास इस विषय पर निर्णय लेने के लिए अधिकार नहीं है।  इसलिए सांसद निधि को निलंबित किए जाने को लेकर केंद्र सरकार के सांख्यकी व योजना क्रियान्वयन मंत्रालय की ओर से 8 अप्रैल 2020 को जारी किए गए परिपत्र को रद्द किया जाए।

मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति गिरीष कुलकर्णी की खंडपीठ ने मामले से जुड़े सभी पक्षों को सुनने के बाद दिए गए फैसले में स्पष्ट किया है कि सरकार ने कोरोना से प्रभावी ढंग से मुकाबला करने के लिए व इसके लिए जरुरी स्वास्थ्य सेवाए स्थापित करने तथा उपकरण खरीदने के लिए सांसद निधि को निलंबित किया है। क्योंकि दूसरे कार्यों की अपेक्षा कोरोना के खिलाफ लड़ाई को महत्व दिया जाना जरुरी है। संविधान के अनुच्छेद 282 के तहत केंद्र सरकार के पास निधि को स्थानांतरित करने का अधिकार है। लिहाजा सरकार ने अपने अधिकार क्षेत्र के भीतर रहकर सांसद निधि को निलंबित करने का निर्णय किया है। जो न्यायसंगत दिख रहा है। 

खंडपीठ ने कहा कि निधि को निलंबित किए जाने को लेकर कोई भी सांसद अदालत में नहीं आया है। उलटे सांसदों ने कोरोना का मुकाबला करने के लिए निधि के निलंबन का समर्थन किया है। इसके अलावा याचिकाकर्ता यह दर्शाने में विफल रही है कि कैसे सांसद निधि को निलंबित किया जाना गैर जरुरी था। इसलिए याचिका को खारिज किया जाता है। यहीं नहीं खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई से पहले याचिकाकर्ता को एक लाख रुपए कोर्ट में अनामत राशि के तौर पर जमा करते को कहा था। जिसे हाईकोर्ट ने अब जब्त कर लिया हौ और उसे महाराष्ट्र राज्य विधि सेवा प्राधिकरण के पास जमा करने को कहा है। 

Created On :   11 Dec 2020 12:41 PM GMT

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