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टंट्या भील की शहीद स्थली केन्द्रीय जेल से पवित्र मिट्टी खण्डवा भेजा गया!
डिजिटल डेस्क | जबलपुर जिले के प्रभारी मंत्री एवं लोक निर्माण, कुटीर एवं ग्रामोद्योग मंत्री श्री गोपाल भार्गव के मुख्य आतिथ्य में तथा सांसद श्री राकेश सिंह की अध्यक्षता में आज अमर शहीद टंट्या भील की शहीद स्थली नेताजी सुभाषचन्द्र बोस केन्द्रीय जेल से सम्मानपूर्वक पवित्र मिट्टी का कलश खण्डवा ले जाने का भव्य एवं गरिमामय कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस दौरान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी श्री कोमलचंद्र जैन, विधायक श्री अजय विश्नोई, श्री सुशील तिवारी "इंदू", श्री अशोक रोहाणी, श्रीमती नंदिनी मरावी, पूर्व विधायक व मंत्री श्री शरद जैन, श्री हरेन्द्रजीत सिंह बब्बू , श्री रानू तिवारी सहित कलेक्टर श्री कर्मवीर शर्मा, पुलिस अधीक्षक श्री सिद्धार्थ बहुगुणा तथा अन्य अधिकारी व बड़ी संख्या में नागरिक उपस्थित रहे।
नेताजी सुभाषचंद्र बोस केन्द्रीय जेल से प्रभारी मंत्री सहित सभी जनप्रतिनिधि व गणमान्य नागरिकों ने कलश में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अमर शहीद टंट्या भील की शहीद स्थली की मिट्टी संग्रहित कर मंच स्थल पर विधिवत मंत्रोच्चार के साथ विधि-विधान से मिट्टी संग्रह का अनुष्ठान किया गया। इस दौरान प्रभारी मंत्री श्री भार्गव ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के शहीद स्थल से मिट्टी संग्रहण के कार्यक्रम को ऐतिहासिक व गौरवशाली बताते हुये कहा कि आज का दिन लोगों को स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में सच बताने का दिन है। इतिहास में बहुत से ऐसे गुमनाम शहीद है जो भारत की स्वतंत्रता के लिये अपनी जान न्यौछावर किया लेकिन इतिहास में उन्हें स्थान नहीं मिल पाया। उन्होंने कहा कि ऐसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का इतिहास आमजन तक पहुंचे। जबलपुर आजादी की लड़ाई में एक रणभूमि रही है।
मुगलों और अंग्रेजों से स्वतंत्रता के लिये लड़ते हुये यहॉं कई वीरों ने अपने प्राण गंवाये। स्वतंत्रता की लड़ाई के सिलसिले में केन्द्रीय जेल जबलपुर स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के इतिहास से जुड़ा़ है। इतिहास ही देश का भविष्य बनाता है अत: देश के भविष्य के लिये इतिहास जानना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि आज प्रतीकात्मक रूप से केन्द्रीय जेल जबलपुर से मिट्टी खण्डवा भेजी जा रही है और बलिदानियों के स्मरण की यह परम्परा बनीं रहे। सांसद श्री राकेश सिंह ने आज के दिन को महत्वपूर्ण मानते हुये कहा कि जबलपुर के इतिहास में यह गौरवशाली दिन है क्योंकि टंट्या भील की शहीद स्थली से मिट्टी संग्रहण कर खण्डवा को भेजी जा रही है। उन्होंने कहा कि आजादी की लड़ाई में जनजातियों का महत्वपूर्ण स्थान रहा है और जो स्थान उन्हें मिलना चाहिये वह नहीं मिला। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी व मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में स्वतंत्रता संग्राम के अमर शहीदों की पहचान सुनश्चित कर उनका सम्मान किया जा रहा है। टंट्या भील एक महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे जिसके नाम से अंग्रेज भी भयभीत होते थे।
उन्हे पकड़ने के लिये इंग्लैड से फौज बुलाई गई थी। टंट्या भील स्वतंत्रता की लड़ाई में शहीद हो गये पर कभी सिर नहीं झुकाया। हमे उस पर गर्व हैं। कार्यक्रम के दौरान इतिहासकार श्री आनंद राणा ने टंट्या भील के जीवन पर संक्षिप्त प्रकाश डाला। टंट्या भील उन महान क्रांतिकारियों में से एक थे जिन्होंने बारह साल तक ब्रिटिश शासन के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष किया और विदेशी शासन को उखाड़ फेंकने के अपने अदम्य साहस और जुनून के कारण जनता के लिए खुद को तैयार किया। राजनीतिक दलों और शिक्षित वर्ग ने ब्रिटिश शासन को समाप्त करने के लिए जोरदार आंदोलन चलाया। टंट्या भील, भील जनजाति के सदस्य थे। उनका जन्म 1840 में तत्कालीन मध्य प्रांत के पूर्वी निमाड़ (खंडवा) की पंधाना तहसील के बडाडा गाँव में हुआ था, जो वर्तमान में भारतीय राज्य मध्य प्रदेश में स्थित है।
माना जाता है की वह बचपन से ही साहसी, होशियार थे। टंट्या भील गुरिल्ला युद्ध में निपुण थे। वह एक महान निशानेबाज भी थे और पारंपरिक तीरंदाजी में भी दक्ष थे। “दावा” या फलिया उनका मुख्य हथियार था। उन्होंने बंदूक चलाना भी सीख लिया था। ट्ंटया भील ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह का झंडा बुलंद किया था। वह आदिवासियों और आम लोगों की भावनाओं के प्रतीक बन गए। लगभग एक सौ बीस साल पहले टंट्या भील जनता के एक महान नायक के रूप में उभरे और तब से भील जनजाति का एक गौरव बन चुके है। वे वंचितों के मसीहा थे। उन्हें सभी आयु वर्ग के लोगों द्वारा लोकप्रिय रूप से मामा कहा जाता था। उनका यह संबोधन इतना लोकप्रिय हुआ कि भील आज भी “मामा” कहे जाने पर गर्व महसूस करते हैं। वह चमत्कारिक ढंग से उन लोगों तक पहुंच जाता था %
Created On :   26 Nov 2021 5:13 PM IST