होनहार बेटी के इलाज में बिक गया घर और दुकान, लाखों का कर्ज भी सिर पर चढ़ा

House and shop were sold for the treatment of promising daughter, debt of lakhs also hit the head
होनहार बेटी के इलाज में बिक गया घर और दुकान, लाखों का कर्ज भी सिर पर चढ़ा
सतना होनहार बेटी के इलाज में बिक गया घर और दुकान, लाखों का कर्ज भी सिर पर चढ़ा

डिजिटल डेस्क, सतना। केन्द्र और राज्य शासन की अनेक जनकल्याणकारी योजनाओं के साथ हाल ही में प्रारंभ की गई लाडली बहना स्कीम के बावजूद 6 साल पहले सड़क दुर्घटना में बुरी तरह घायल होकर बिस्तर पर आ गई मेधावी छात्रा को किसी भी योजना का लाभ नहीं मिल सका। उसके पिता ने इलाज में अपनी जमा पूंजी लगाने के साथ घर और दुकान तक बेच डाली। इतना ही नहीं लोगों से कर्ज लेकर इलाज और दवाओं पर खर्च किया, पर जब हिम्मत जवाब दे गई तो ट्रेन के सामने आकर खुदकुशी कर ली। यह मार्मिक हकीकत कोलगवां थाना क्षेत्र के ट्रांसपेार्ट नगर में रहने वाले प्रमोद गुप्ता की है।

तब बिगडऩे लगे हालात ---

कोलगवां थाना क्षेत्र के ट्रासंपोर्ट नगर निवासी प्रमोद कुमार गुप्ता (55) के तीन बच्चे अनुष्का (21), उदय (18) और रैना (12) हैं। बड़ी बेटी अनुष्का बचपन से ही पढ़ाई-लिखाई में होनहार थी, मगर साल 2017 में एक सड़क हादसे में दोनों पैर बुरी तरह जख्मी हो गए, जिससे वह चलने-फिरने में नाकाम होकर बिस्तर पर आ गई। इसके बावजूद उसने परिवार के सहयोग से घर पर रहकर ही पढ़ाई जारी रखी। साल 2022 में प्राइवेट छात्रा के तौर पर दसवीं की बोर्ड परीक्षा में शामिल होकर 76 प्रतिशत अंकों के साथ सफलता भी प्राप्त की। उसकी इस उपलब्धि को सम्मान देते हुए 2 मई 2022 को मेधावी छात्र सम्मान समारोह में कलेक्टर अनुराग वर्मा ने प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया था। उन्होंने यह जिम्मेदारी डिप्टी कलेक्टर नीरज खरे को सौंपी थी, मगर सम्मान समारोह के बाद जब भी प्रमोद गुप्ता ने उनसे सम्पर्क किया तो किसी भी तरह की मदद नहीं की। इतना ही नहीं बीपीएल कार्ड और प्रधानमंत्री आवास योजना के फार्म भी निरस्त कर दिए गए। इस बीच प्रमोद ने अनुष्का का इलाज कराने के लिए घर और दुकान तक बेच डाली, और तो और लोगों से लाखों का कर्ज भी उठा लिया। परिवारजन का दावा है कि जब आर्थिक मदद मिलना बंद हो गई तो खून बेचकर खाने और गैस सिलेंडर का इंतजाम किया था।

एक साल से बिजली बिल और मकान का नहीं दिया किराया ---

पिता को खो चुकी अनुष्का किसी तरह हिम्मत जुटाकर अपना दर्द बयां करते हुए कहती है कि पांच साल पहले उसका परिवार मकान बेचकर किराये के घर में आ गया था, मगर कमाई का कोई जरिया नहीं होने से स्थिति बिगड़ती चली गई। हालात इतने बुरे हो गए थे कि पिता एक साल से बिजली का बिल तक नहीं जमा कर पाए, जिसके चलते 17 अप्रैल को ही बिजली विभाग के कर्मचारियों ने कनेक्शन काटने की बात कही थी।  वे एक साल से किराया भी नहीं दे पाए थे। पिछले काफी समय से देनदार अपनी रकम वापसी के लिए फोन करने के साथ-साथ घर पर भी धमकने लगे थे। इन्हीं सब बातों से परेशान होकर प्रमोद सोमवार रात को तकरीबन साढ़े 10 बजे कुछ देर में लौटने की बात कहकर घर से निकल गए, मगर वापस नहीं आए। अनुष्का ने रूंधे गले से कहा कि यदि प्रशासन और परिवार के लोग थोड़ी-थोड़ी मदद करते तो आज उसके पिता जीवित और साथ में होते।

सुबह साढ़े 4 बजे बेटी को फोन कर कहा अब हम थक चुके हैं ---

परिजन लगातार फोन कर रहे थे, मगर प्रमोद एक बार भी फोन नहीं उठाया। मंगलवार सुबह तकरीबन साढ़े 4 बजे अनुष्का के मोबाइल पर फोन कर कहा कि अब हम थक चुके हैं, तुम्हारा इलाज नहीं करा सकते। मैं अब आत्महत्या करने जा रहा हूं। इतना सुनते ही बेटी ने पिता के दोस्त धर्मेन्द्र और चाचा विनोद गुप्ता को फोन कर खोजने के लिए कहा। दोनों लोग उन तक पहुंच पाते इससे पहले ही 8 बजे खबर आ गई कि प्रमोद ने मुख्त्यारगंज रेलवे क्रासिंग के पास ट्रेन के सामने आकर खुदकुशी कर ली है। इस खबर से पूरा परिवार सदमे में आ गया।

Created On :   19 April 2023 8:38 AM GMT

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