गड़चिरोली में धड़ल्ले से हाे रही भूखंड की अवैध बिक्री!

Illegal sale of plot is happening indiscriminately in Gadchiroli!
गड़चिरोली में धड़ल्ले से हाे रही भूखंड की अवैध बिक्री!
आदिवासियों की भूमि पर गैरकानूनी प्लाट्स गड़चिरोली में धड़ल्ले से हाे रही भूखंड की अवैध बिक्री!

डिजिटल डेस्क, गड़चिरोली। आदिवासी बहुल गड़चिरोली जिला अब भूखंड़ों की अवैध बिक्री के मामले में प्रकाश में आने लगा है। आदिवासियों की खेत भूमि में गैरकानूनी ढंग से प्लाट्स की रचना कर इनकी बिक्री करने के मामले अब चरम पर पहुंच गए हैं, लेकिन इन गंभीर मामलों की ओर अब तक राजस्व विभाग का ध्यान नहीं होने से भूखंड बिक्री करने वालों के हौसले और अधिक बुलंद होते जा रहे हैं। सरकारी नियमों के तहत आदिवासी समाज के लोगों की भूमि गैरआदिवासी को बेचने पर प्रतिबंध लगाया गया है। इसके बावजूद गड़चिरोली में ऐसे मामले अब उजागर होने लगे हैं। ऐसा ही एक मामला गड़चिरोली जिला मुख्यालय में सामने आया है। शहर की पोटेगांव बाय पास सड़क से सटी 77/1 भूमि आदिवासी किसान के नाम पर दर्ज है।

महाराष्ट्र जमीन राजस्व संहिता 1966 की धारा 36 की उपधारा (2) के तहत अनुसूचित जनजाति के लोगों को खेती के लिए प्रदान की गई भूमि की बिक्री जिलाधिकारी की अनुमति के बाद ही की जा सकती है। इस तरह की खेतभूमि की बिक्री के लिए आदिवासियों को उक्त अधिनियम की धारा 36 (अ) के तहत अनुमति की मांग करनी पड़ती है, लेकिन संबंधित किसान से यह भूमि आैने-पौने दाम में खरीदकर कुछ प्रापर्टी डीलर इस भूमि में अवैध रूप से प्लाट्स की रचना कर इसकी बिक्री गैरआदिवासी समाज के लोगों को कर रहे हैं। इस मामले की शिकायत होने के बाद राजस्व विभाग ने मामले की जांच शुरू कर दी है, लेकिन जिले में कई ऐसे भी मामले हैं जिनकी शिकायत अब तक नहीं की गई है। औने-पौने दाम देकर आदिवासियों की जमीनें धड़ल्ले से हड़पने का कार्य यहां शुरू है।

गौरतलब है कि, समूचा गड़चिरोली जिला आदिवासी बहुल के रूप में परिचित है। यहां गोंड, माड़िया, परधान जैसी आदिवासी जनजाति के लोग निवासरत हैं। इन व्यक्तियों को खेती करने के लिए सरकार ने कई वर्ष पूर्व ऐसे व्यक्तियों को भूखंड उपलब्ध कराए हैं, लेकिन शहरी इलाकों में मंजूर आदिवासी किसान ऐसी खेती में फसल नहीं उगाते। इसी का लाभ उठाकर कुछ प्रापर्टी डीलर पैसों का लालच देकर उनसे यह जमीन खरीद रहे हैं। नियमों के अनुसार, यदि ऐसा कोई भी मामला उजागर होता है तो संबंधित राजस्व विभाग उक्त जमीन को सरकारी खाते में जमा करवा सकता है, लेकिन अब तक ऐसा नहीं हो पाया है। सर्वे क्रमांक 77/1 में अब तक पौने छह एकड़ भूमि में अवैध तरीके से प्लाट्स बनाए गए हैं। जिनकी बिक्री प्रक्रिया अब अंतिम चरण में है। इस तरह के मामलों पर सरकार द्वारा गंभीरता से ध्यान देकर कड़ी जांच करने की आवश्यकता है।  यदि आदिवासी किसान द्वारा ऐसे व्यवहार हो रहे हो तो उक्त जमीन को सरकारी स्तर पर जमा करने की आवश्यकता भी यहां महसूस हो रही है। 

Created On :   22 Nov 2021 8:56 AM GMT

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