माता-पिता के अलग होने पर बच्चे का हित सर्वोपरि

In case of separation of the parents, the interest of the child is paramount.
माता-पिता के अलग होने पर बच्चे का हित सर्वोपरि
नागपुर माता-पिता के अलग होने पर बच्चे का हित सर्वोपरि

डिजिटल डेस्क, नागपुर। माता-पिता के अलग हो जाने की स्थिति में बच्चों की कस्टडी किसे सौंपी जाए, यह फैसला लेते वक्त निचली अदालतें ध्यान रखें कि बच्चे का हित ही सर्वोपरि है। फैसला लेते समय ध्यान रखें कि बच्चे का नैतिक कल्याण किसी के साथ रहने से ही होगा। बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने बुलढाणा के प्रधान जिला न्यायाधीश को 6 वर्षीय बच्चे की कस्टडी पर 3 माह में पुनर्विचार करने का आदेश दिया है।

बेटे की कस्टडी मांगी
उक्त दंपत्ति का विवाह 17 जून 2012 को संपन्न हुआ था। उन्हें एक बेटा हुआ, जिसकी तबीयत बहुत खराब रहती है। विवाह के बाद से ही दंपत्ति के बीच संबंध अच्छे नहीं थे। पति के अनुसार पत्नी उसके साथ रहने को तैयार नहीं थी, इसलिए वह पति को छोड़ कर चली गई। उसे वापस लाने के सारे प्रयास व्यर्थ साबित हुए। ऐसे में उसने बुलढाणा के महिला सेल में अर्जी दायर की और दीवानी न्यायालय में पत्नी को वापस लौटने का आदेश देने की प्रार्थना की। यह मामला विचाराधीन ही था कि बच्चा किसके पास रहेगा यह भी मुद्दा उपस्थित हुआ। पति ने प्रधान जिला न्यायधीश के समक्ष दलील दी कि बेटा बीमार रहता है और उसे अच्छे अस्पताल में नियमित इलाज की जरूरत है। पत्नी की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं है कि उसे बेटे की कस्टडी दी जाए। बच्चे की कस्टडी के प्रश्न पर पत्नी ने न्यायालय में कोई उत्तर नहीं िदया। ऐसे में न्यायालय ने एक पक्ष को सुनकर फैसला सुनाया और बच्चे की कस्टडी पिता को सौंपने का आदेश दिया, जिसके खिलाफ पत्नी ने हाई कोर्ट की शरण ली। बगैर अपना पक्ष सुने निचली अदालत द्वारा दिए गए फैसले का विरोध किया था।

Created On :   15 April 2023 5:40 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story