पुरुषों की तुलना में महिलाओं में निद्रानाश का प्रमाण अधिक

डिजिटल डेस्क, नागपुर। जीवनशैली में बदलाव के कारण निद्रानाश आम बात हो चुकी है। निद्रानाश के कारण दूसरी बीमारियां भी होने लगी है। कुल आबादी में 76 फीसदी लोगों काे यह बीमारी होती है। इनमें पुरुषों की तुलना में महिलाओं में निद्रानाश का प्रमाण 40 फीसदी अधिक है। ऐसा मेडिकल से संलग्न सुपर स्पेशालिटी हॉस्पिटल के पल्मनरी मेडिसिन विभाग प्रमुख डॉ. सुशांत मेश्राम ने बताया। उन्होंने निद्रा नाश के कारणों का पता लगाने के लिए पिछले सालभर रिसर्च किया है। इस आधार पर उन्होंने निद्रानाश के कई कारणों का पता लगाया है। मार्च महीने का तीसरा शुक्रवार विश्व निद्रा नाश दिवस के रुप में मनाया जाता है। इस अवसर पर आयोजित पत्र परिषद में डॉ. मेश्राम ने नींद के कई पहलुओं पर प्रकाश डाला।
डॉ. मेश्राम ने बताया कि नींद को लेकर जागरुकता की कमी है। स्वास्थ्य जांच के साथ ही नींद की भी जांच करनी चाहिए। केवल नींद होना जरुरी नहीं है, बल्कि नींद गुणवत्ता पूर्ण होनी चाहिए। कई लोगों को रक्तदाब की बीमारी में दवाएं लेकन सोना पड़ता है। ऐसे लोगों की नींद की जांच जरुरी है। कुछ लोगों को पैर की मालिश करने के बाद नींद आती है। यह रेस्टलेस लेग सिंड्रोम नामक बीमारी है। नींद की अनदेखी की गई तो तनाव, रक्तदाब, मानसिक रोग, पार्किन्सन की संभावना बढ़ जाती है। उम्र के 12 साल तक 10 घंटे नींद होनी चाहिए। बच्चों की पर्याप्त नींद नहीं नहीं हुई तो उनका शारीरिक व मानसिक विकास बाधित होता है। निद्रानाश के चलते फेफड़ों का कैंसर होने का खतरा बढ़ता है। वृद्धापकाल तेजी से आता है। ऐसा भी डॉ. मेश्राम ने बताया। नींद में सांस लेने में कोई दिक्कत हो रही हो तो, स्लिप एपनिया नामक रोग हो सकता है। इससे दिन में नींद आती है। हार्ट अटैक का खतरा बना रहता है। डॉ. मेश्राम के अभ्यास के अनुसार 92 ट्रक चालकों पर रिसर्च किया किया गया। इसमें 54 फीसदी ऐसे थे जिन्हें ट्रक चलाते समय झपकी लगी, लेकिन तुरंत जागकर ट्रक रोका। इससे दुर्घटनाएं टल गई। इनमें से 94 फीसदी को निद्रानाश की बीमारी होकर उनकी नींद खराब हो चुकी थी। उनकी यह बीमारी दुर्घटना का बड़ा कारण है।
Created On :   17 March 2023 12:05 PM IST












