कृषि सखियों ने वैज्ञानिकों से सीखे प्राकृतिक खेती के गुर

Krishi Sakhis learned the tricks of natural farming from scientists
कृषि सखियों ने वैज्ञानिकों से सीखे प्राकृतिक खेती के गुर
पन्ना कृषि सखियों ने वैज्ञानिकों से सीखे प्राकृतिक खेती के गुर

डिजिटल डेस्क,पन्ना। देशी खाद एवं देशी बीज आज मानव समाज एवं प्राकृतिक संरक्षण के लिये आवश्यक हो गया है। मोटे अनाज को मिलेट वर्ष घोषित किया एवं अन्न योजना पर काम करने की प्राथकिता है। स्वयं सेवी संस्था समर्थन कृषि विज्ञान केन्द्र,कृषि विभाग एवं राज्य ग्रामीण आजिविका मिशन के साथ मिलकर जिले में परम्परागत खेती एवं कृषि के सतत् विकास को लेकर काम किया जा रहा है। कृषि सखी का प्रशिक्षण कृषि विज्ञान केन्द्र राज्य ग्रामीण आजिविका मिशन, रिलायन्स फाउन्डेशन एवं समर्थन के संयुक्त तत्वाधान में प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। प्रशिक्षण में वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. पी.एन. त्रिपाठी, डॉ. आर.के. जायसवाल, संतोष सिंह, सुशील शर्मा, विवेक मिश्रा, मनीष  पाण्डेय, ज्ञानेन्द्र तिवारी, प्रदीप पिडहा, प्रकाश, शिवमन, धरमराज ने कृषि सखी का प्रशिक्षण एवं फील्ड प्रशिक्षण किया। परम्परागत खेती एवं देशी बीज जलवायु के अनुकूल कृषि वैज्ञानिकों ने जैविक खेती को बढ़ावा देने एवं देशीबीज को पुनर्जीवित कर हमें मोटे को पुन: खेती करके जीवित करना है। 40 कृषि सखी के साथ 2000 किसान जुड़े है  एक वर्ष में दो हजार किसान तक पहुंच बनाकर कर काम करेगे। ड़ॉ. आर.के. जायसवाल ने प्राकृतिक खेती में जीवामृत एवं मल्चिंग विधि को मुख्य घटक बताया एवं देशी केचुओं को जो जमीन के नीचे है उनको पुन: सक्रिय करने की बात कही। कृषि विशेषज्ञ राज्य ग्रामीण आजिविका मिशन के सुशील शर्मा ने कहा की कृषि सखी हमारे सबसे महत्वपूर्ण कड़ी है और प्रशिक्षण के बाद किसानों को जैविक खेती के जानकार गांव में मिल जायेगे एवं खेती की लागत कम होगी। संतोष सिंह ने पोषण वाटिका से पोषणयुक्त भाोजन से स्वस्थ्य एवं कुपोषण से कमी लाने की बात कही। कार्यक्रम का संचालन करते हुए ज्ञानेन्द्र तिवारी ने कहा की हमारी कृषि सखी 2000 हजार किसानों को प्राकृतिक खेती के गुन सिखाकर जिले में अगुआ की भूमिका का निर्वहन करेगी। प्रत्येक माह बैठक कर अपने जिले में जानकारी सांझाकर प्राकृतिक खेती को बढाने में मदद करेगी। कृषि सखियों ने कहा की आज का यह प्रशिक्षण कृषि विज्ञान केन्द्र के माध्यम से किया गया जो बहुत उपयोगी रहा। सीधा जीवामृत एवं नीमाअस्त्र बनाकर सीखने को मिला मात्रा एवं लगने वाली सामाग्री को समझ बनी और किसानो की प्रयोगशाला देखकर बहुत अच्छा लगा। 

Created On :   26 Feb 2023 3:11 PM IST

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