न स्टाफ, न भवन,महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय का बुरा हाल

lack of facilities in the Bundelkhand university of the state
न स्टाफ, न भवन,महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय का बुरा हाल
न स्टाफ, न भवन,महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय का बुरा हाल

डिजिटल डेस्क, छतरपुर। महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय को शुरू हुए चार साल से अधिक हो गए हैं। सागर संभाग के इकलौते राज्य सरकार के विश्वविद्यालय को प्रदेश सरकार खिलवाड़ बनाए हुए है। इन चार साल में इस विश्वविद्यालय को प्रदेश सरकार द्वारा न तो स्टाफ उपलब्ध कराया गया और न ही इसके लिए भवन की व्यवस्था की गई। ऐसे में महाराजा कॉलेज के कॉमर्स विभाग में संचालित हो रहे इस विश्वविद्यालय के प्रबंधन को उस समय बड़ी परेशानी जाती है जब संभाग के करीब 132 कॉलेजों की परीक्षा एकसाथ संचालित कराना होती है। ऐसे में परीक्षा की मानीटरिंग के लिए न तो विश्वविद्यालय में पर्याप्त और विश्वसनीय स्टाफ मौजूद होता है और न ही परीक्षाओं को पारदर्शी और निष्पक्ष ढंग से कराने के लिए उडऩदस्ता गठित करने के लिए पर्याप्त राजपत्रित अधिकारी होते हैं ऐसे में जिन कॉलेजों में परीक्षा होती है उन्हीं के स्टाफ का सहारा लेना होता है। इसके चलते परीक्षाओं की विश्वसीयता पर भी सवाल उठने लगे हैं। अब 26 दिसंबर से परीक्षाएं शुरू हो रही हैं जो विश्वविद्यालय प्रबंधन के लिए एक कठिन चुनौती से कम नहीं हैं।

57 परीक्षा केंद्रों पर होगी परीक्षा
महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय द्वारा 26 दिसंबर से सागर संभाग के छह जिले के 165 कॉलेजों में अध्ययनरत नियमित और स्वाध्यायी परीक्षार्थियों की परीक्षा संपन्न कराने जा रहा है। इसके लिए इन जिलों में 57 परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं। छतरपुर में 16, पन्ना में 8, दमोह में 7, सागर में 17, टीकमगढ़ व निवाड़ी 9 परीक्षा केंद्रों में परीक्षा का आयोजन होगा। इन परीक्षा केंद्रों में छतरपुर जिले में 65, पन्ना में 20, दमोह में 15, सागर में 41, टीकमगढ़ व निवाड़ी के 24 कुल 165 कॉलेजों के छात्र-छात्राएं परीक्षा देंगे। इनमें से जिले के पीजी कॉलेजों को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश कॉलेज ऐसे हैं जहां इतना स्टाफ नहीं है जो परीक्षाएं सुचारू रूप से संचालित करा सकें। ऐसे में अशासकीय हायर सेकंडरी स्कूलों के स्टाफ के साथ ही कॉलेज के पूर्व छात्रों को परीक्षा छात्र-छात्राओं को वीक्षक के रूप में तैनात कर परीक्षाएं कराने की तैयारी है। जब कॉलेजों के पास ही पर्याप्त स्टाफ नहीं है तो विश्वविद्यालय के लिए ये कॉलेज कहां से स्टाफ उपलब्ध कराएंगे यह सबसे बड़ी समस्या है।
अधिकांश अशासकीय कॉलेजों में परीक्षा अधीक्षक, सहायक अधीक्षक से लेकर वीक्षक तक ऐसे लोग तैनात किए जाते हैं जो न तो यूजीसी की गाइड लाइन के तहत शैक्षणिक योग्यता रखते हैं और न ही वे यूजीसी की धारा 28 के तहत कॉलेज स्टाफ के रूप में अप्रूवल हैं। इनका कहीं कोई व्यवस्थित रिकार्ड भी नहीं है, अगर ये परीक्षा में धांधली कराते हुए पकड़े भी जाते हैं तो इनके खिलाफ विश्वविद्यालय प्रबंधन सख्त कार्रवाई नहीं कर सकता है। नियमानुसार परीक्षा के दौरान अधीक्षक और सहायक अधीक्षक सरकारी कॉलेजों के प्राध्यापकों को नियुक्त किया जाता है। अगर किसी स्थिति में ये उपलब्ध नहीं होते हैं तो निजी कॉलेजों के परीक्षा केंद्रों पर वहां धारा 28 के तहत अप्रूवल प्राचार्य और वरिष्ठ प्राध्यापक को जिम्मेदारी सौंपी जाती है लेकिन अधिकांश कॉलेजों में जो स्टाफ धारा 28 के तहत अप्रूवल है वह मौके पर रहता ही नहीं है। उनके केवल दस्तावेज ही उपलब्ध होते हैं।

Created On :   25 Dec 2018 7:36 AM GMT

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story