केंद्र से आगे है महाराष्ट्र की ई-विधान प्रणाली

Maharashtras e-Vidhan system is ahead of the Center
केंद्र से आगे है महाराष्ट्र की ई-विधान प्रणाली
एनआईसी से करार टला  केंद्र से आगे है महाराष्ट्र की ई-विधान प्रणाली

अमित कुमार,मुंबई ।  महाराष्ट्र विधानमंडल राष्ट्रीय ई-विधान एप्लीकेशन (नेवा)से जुड़ने के लिए राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) के साथ फिलहाल करार नहीं करेगा। ई-विधान प्रणाली लागू करने के लिए महाराष्ट्र विधानमंडल और एनआईसी के बीच होने वाला करार टल गया है। महाराष्ट्र विधानमंडल सचिवालय के एक अधिकारी ने "दैनिक भास्कर' से बातचीत में यह जानकारी दी।  अधिकारी ने कहा कि एनआईसी की ई-विधान प्रणाली के मुकाबले महाराष्ट्र विधानमंडल के ऑनलाइन कामकाज एप्लीकेशन ज्यादा अपडेटेड हैं। इसलिए यदि हम एनआईसी से करार करेंगे तो महाराष्ट्र विधानमंडल को ई-विधानप्रणाली के तहत कामकाज के लिए चार कदम पीछे जाना पड़ेगा। क्योंकिई-विधान प्रणाली में फिलहाल ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके से कामकाज हो रहा है। जबकि महाराष्ट्र विधानमंडल के दोनों सदनों के प्रश्नकाल, ध्यानाकर्षण प्रस्ताव, कार्य स्थगनप्रस्ताव सहित अन्य सभी प्रस्तावों को सदन के कामकाज में शामिल करने के लिए विधायक ऑनलाइन आवेदन करते हैं।

महाराष्ट्र विधानमंडल में विधानसभा और विधान परिषद दोनों सदनों के विधायकों को पहले से ही लैपटॉप उपलब्ध करा दिया गया है। इसके अलावा यूट्यूब पर दोनों सदनों के कामकाज का लाइव प्रसारण भी किया जाता है। इसलिए महाराष्ट्र विधानमंडल ने फिलहाल ई-विधानप्रणाली शुरू करने के लिए करार नहीं करने का फैसला लिया है। एनआईसी के नेवा एप्लीकेशन के लिए जब अपडेटेड वर्जन का इस्तेमाल किया जाएगा तब महाराष्ट्र विधानमंडल भी ई-विधान प्रणाली से जुड़ जाएगा। हालांकि इसमें एक साल से ज्यादा का समय लग सकता है। अधिकारी ने बताया किफिलहाल महाराष्ट्र विधानमंडल की ओर से ई-विधान प्रणाली काडेमो शुरू है। जिसमें दोनों सदनों के कामकाज और विधायकों की जानकारी अपलोड की जा रही है। अधिकारी ने बताया किबिहार, उत्तर प्रदेश और पूर्वोत्तरके राज्यों में ऑनलाइन कामकाज शुरू नहीं था। इसलिए देश के कई प्रदेशों ने क्लाउड आधारित नेशनल ई-विधान प्रणाली को लागू किया है। 

राष्ट्रीय ई-विधान एप्लीकेशन लागू करने के फायदे 
प्रदेश में यदि राष्ट्रीय ई-विधान एप्लीकेशन (नेवा) लागू होगा तो महाराष्ट्र विधानमंडल के कामकाज कोकागज रहित बनाने के लिए 60-40 प्रतिशत के अनुपात में केंद्र सरकार से निधि मिल सकेगी। यानी ई-विधान प्रणाली को लागू करने के लिए परियोजना पर आने वाले कुल खर्च में से 40 प्रतिशत हिस्सा केंद्र सरकार से मिल सकेगा। जबकि 60 प्रतिशत राशि राज्य सरकार को खर्च करना पड़ेगा। विधानमंडल के कामकाज के लिए इस्तेमाल होने वाले कागज का उपयोग धीरे-धीरे बंद हो जाएगा। देश के सभी विधानमंडलों के कामकाज के नियम लगभग एक समान हो जाएंगे। नेवा एप्लीकेशन पर देश के सभी विधानसभा और विधान परिषद से जुड़ी जानकारी एक जगह पर उपलब्ध हो सकेगी।  

Created On :   7 Jan 2023 6:00 PM IST

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