सरकारी अस्पतालों में चिकित्सा का स्तर घटा, इलाज के अभाव में हो रही मौतें

Medical level decreased in government hospitals, deaths due to lack of treatment
सरकारी अस्पतालों में चिकित्सा का स्तर घटा, इलाज के अभाव में हो रही मौतें
सरकारी अस्पतालों में चिकित्सा का स्तर घटा, इलाज के अभाव में हो रही मौतें

डिजिटल डेस्क, नागपुर। प्रदेश के अस्पतालों में मरीजों के इलाज के लिए ठोस नियमावली न होने से चिकित्सा का स्तर घटता जा रहा है। सही इलाज के अभाव में अनेक मरीज बेमौत मारे जा रहे हैं। यह मुद्दा बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में चंद्रपुर के कोरपना तहसील की निवासी ममता कटारे की याचिका में उठाया गया। उन्होंने यह याचिका अपने पति संजय कटारे का इलाज के अभाव में मृत्यु हो जाने के कारण हाईकोर्ट में दायर की। मामले की गंभीरता देखते हुए मुख्य न्या.दीपांकर दत्ता व न्या.पुष्पा गनेड़ीवाला की खंडपीठ ने इसे जनहित याचिका के रूप में सुनने का फैसला किया है। मामले में याचिकाकर्ता की ओर से एड.रजनीश व्यास कामकाज देख रहे हैं। 

यह है मामला : याचिकाकर्ता के अनुसार, उनके पति चंद्रपुर के लोनी गांव की जिला परिषद स्कूल में शिक्षक थे। 2 जून 2016 को एक विवाह समारोह के दौरान उनकी तबीयत बिगड़ गई। उन्हें काटोल स्थित लता मंगेशकर अस्पताल ले जाया गया। हालत में सुधार न होने पर उन्हें निजी अस्पताल ले जाया गया, लेकिन निजी अस्पताल ने भर्ती करने से मना कर दिया। फिर उन्हें काटोल शासकीय अस्पताल ले जाया गया, जहां परिजनों को बताया गया कि मरीज की मृत्यु हो गई है। परिजनों ने लता मंगेशकर अस्पताल प्रबंधन पर इलाज में लापरवाही बरतने की शिकायत काटोल पुलिस थाने में दर्ज कराई। मामले में ठोस कार्रवाई न होने से उन्होंने याचिका दायर की। 

गिनाईं स्वास्थ्य सेवा में खामियां  : याचिकाकर्ता ने कोर्ट में मुद्दा उपस्थित किया कि फिलहाल प्रदेश में स्वास्थ्य समस्याओं का बुरा हाल है। द बॉम्बे नर्सिंग होम रजिस्ट्रेशन एक्ट 1949 को ठीक से लागू नहीं किया गया। यहां तक कि राज्य सरकार और सेंटर फॉर इन्क्वायरी इन टू हेल्थ एंड अलाइड थीम्स के साथ मिल कर विविध नियम बनाए गए थे। अब तक इन्हें भी अमल में नहीं लाया गया है। इन नियमों के न होने से मरीज के इलाज के लिए कोई प्रोटोकॉल ही नहीं है। इसी संस्था के सर्वे के अनुसार, प्रदेश में केवल 5 प्रतिशत अस्पतालों के पास एम्बुलेंस सेवा है। 45 प्रतिशत अस्पतालों में स्टाफ नहीं हैं। जिला स्तर के अस्पतालों में एक्स-रे मशीन को चलाने के लिए प्रशिक्षित स्टाफ नहीं हैं, जबकि इंडियन स्टैंडर्ड के अनुसार अस्पताल चलाने के लिए एम्बुलेंस, शव वाहिका, ट्रक, पार्किंग जैसी सुविधाएं होना जरूरी हैं। राज्य सरकार की यह जिम्मेदारी बनती है कि वे मरीजों के सही इलाज के लिए कदम उठाए।
 

Created On :   2 Feb 2021 6:17 AM GMT

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