सिवनी : आखिरी गेंद तक चले मैच की तरह रहे परिणाम, पल पल रहा रोमांच

MP Election: 4 assembly constituencies results of Seoni district
सिवनी : आखिरी गेंद तक चले मैच की तरह रहे परिणाम, पल पल रहा रोमांच
सिवनी : आखिरी गेंद तक चले मैच की तरह रहे परिणाम, पल पल रहा रोमांच

डिजिटल डेस्क, सिवनी। जिले की चार विधानसभाओं में दोनों प्रमुख दलों को दो-दो सीटों से संतोष करना पड़ा लेकिन इस परिणाम की घोषणा से पहले दिन भर में कई बार रोमांच की सी स्थिति बनती बिगड़ती रही। खासकर सिवनी और केवलारी में परिणाम बार बार लोगों के रोमांच और तनाव  को बढ़ाते रहे। सिवनी में शुरूआती दस राउंड तक कांग्रेस के मोहन चंदेल आगे रहे। इसके बाद दिनेश राय ने बढ़त पकड़ी जो आखिरी राउंड तक बरकरार रही। इसी तरह का आलम केवलारी विधानसभा का रहा जहां भाजपा के प्रत्याशी राकेश पाल को खेल से बाहर मान रहे कांग्रेसियों को झटका लगा। शुरूआती छह राउंड तक राकेश पाल थोड़ी लीड बना रहे थे लेकिन बाद में रजनीश सिंह ने बढ़त हासिल कर ली। आखिरी के राउंड में खुलीू ईवीएम कमल निशान पर गई और अप्रत्याशित रूप से राकेश पाल ने केवलारी में भाजपा का परचम फहरा दिया। इस नतीजे ने राजनीतिक पंडितों को चौंका दिया। वहीं लखनादौन और बरघाट में कांग्रेस की जीत प्रत्याशित थी। इस बार पिछले चुनावों की तरह तीन अंकों में जीत हार नहीं हुई।

चंदेल ने उड़ा दिए थे होश
सिवनी का परिणाम काफी रोमांचक रहा। शुरूआत के 11राउंड तक कांग्रेस के मोहन चंदेल भाजपा के प्रत्याशी दिनेश राय से बढ़त बनाए हुए थे। जिससे दिनेश राय के समर्थकों में मायूसी थी। शुरूआती ईवीएम मोहन चंदेल के समर्थक क्षेत्रों से खोली गईं थीं। जिसमें मोहन को लगातार राउंड दर राउंड बढ़त मिलती जा रही थी। बारहवें राउंड से भाजपा के प्रत्याशी ने लगभग एक हजार वोटों से बढ़त बनाई जो आखिरी तक कायम रही। दिनेश राय ने अपने निकटतम प्रत्याशी मोहन चंदेल को 21624 मतों से पराजित किया। दिनेश राय की जीत ने भाजपा समर्थकों को खुशी मनाने का मौका दे दिया। शहर के विभिन्न इलाकों में रात तक आतिशबाजी की जाती रही। सुबह के वक्त जहां भाजपा कार्यालय में सन्नाटा पसरा हुआ था वहीं शाम को अचानक से रौनक बढ़ गई।

केवलारी में पाल का कमाल
बहुत हुए 25 साल अबकि बार राकेश पाल का नारा जब भाजपा ने केवलारी विधानसभा के लिए यह नारा दिया था तो किसी को भी यकीन नहीं था कि राकेश कांग्रेस के दिग्गज नेता रजनीश सिंह को कड़ी टक्कर दे सकेंगे। कमलनाथ के केवलारी विधानसभा क्षेत्र के दौरे और रजनीश को सरकार बनने पर मंत्री बनने का इशारा देने के बाद राकेश पाल को कांग्रेस ज्यादा तवज्जो नहीं दे रही थी लेकिन चुनाव के तीन चार दिन पहले राकेश पाल की गणित में रजनीश की दोबारा जीत और लगातार छठवी विधानसभा में कांग्रेस की जीत के दावों की हवा निकाल दी। शुरूआत में जब पांच सात सौ वोटों से पांच छह राउंड तक आगे चल रहे राकेश पाल को कांग्रेस समर्थकों ने गंभीरता से नहीं लिया। सभी को उम्मीद थी कि अभी कांग्रेस की पहुंच वाले इलाकों की ईवीएम खुलेगी और पासा पलट जाएगा। बीच के कुछ राउंड में ऐसा हुआ भी और राकेश पाल लगभग दो हजार मतों से आगे पीछे होते रहे।  18 राउंड के बाद से राकेश पाल ने जो बढ़त हासिल की वह अंत तक बरकरार रही। पूर्व कद्दावर नेता हरवंश सिंह की विरासत संभाल रहे रजनीश की हार केवलारी में कांग्रेसियों को बड़ा झटका है। पूर्व में कांग्रेस में रहे राकेश पाल को भाजपा ने एक वर्ष पूर्व जिलाध्यक्ष बनाया था। इसके बाद जब उन्हें केवलारी से प्रत्याशी घोषित किया गया तब भी किसी को 7370 मतों से अप्रत्याशित जीत की किसी को उम्मीद नहीं थी।

लखनादौन में योगेन्द्र का परचम
लखनादौन में कांग्रेस के प्रत्याशी योगेन्द्र सिंह की जीत भी सुनिश्चित ही मानी जा रही थी। भाजपा ने उनके सामने एक नए प्रत्याशी विजय उइके को उतारा था। योगेन्द्र सिंह की मां और हिमाचल प्रदेश की पूर्व राज्यपाल रही उर्मिला ंिसंह की लखनादौन में अच्छी पैठ रही है। गोंडवाना राजघराने से ताल्लुक रखने वाले योगेन्द्र सिंह की माता उर्मिला ंिसह का निधन कुछ माह पूर्व ही हुआ है ऐसे में लोगों की सहानुभूति भी उनकी ओर थी। योगेन्द्र सिंह पिछले पांच वर्षों में क्षेत्र में सक्रिय नजर आए हैं। क्षेत्र में पानी की समस्या के लिए वे कई बार कोशिशें करते रहे ऐसे में नए विजय उइके योगेन्द्र सिंह के सामने कमजोर प्रत्याशी साबित हुए। योगेन्द्र सिंह ने विजय उइके को 12 हजार से अधिक मतों से पराजित किया। योगेन्द्र सिंह का यह दूसरा कार्यकाल है।

बरघाट में रंग लाई पांच वर्षों की मेहनत
बरघाट विधानसभा में कांग्रेस के अर्जुन काकोडिय़ा पिछले चुनावों में महज ढाई सौ वोटों से कमल मर्सकोले से पराजित हो गए थे। इसके बाद काकोडिय़ा ने स्थानीय स्तर पर लगातार संवाद बनाए रखा। लोगों के हर दुख सुख में वे नजर आते रहे। कांग्रेस के कार्यकर्ता भी हारने के बावजूद लगातार जनता के सतत संपर्क में थे जिसका परिणाम मंगलवार को मिला। काकोडिय़ा के सामने नरेश बरकड़े थे। जो कुरई क्षेत्र में तो सक्रिय हैं लेकिन पूरे क्षेत्र में काकोडिय़ा की पकड़ मजबूत मानी जाती रही है। इस बार भाजपा ने पूर्व विधायक कमल मर्सकोले की टिकट काट दी थी जिसे लेकर अरी गंगेरुआ मंडल में कार्यकर्ताओं में काफी नाराजगी थी। कार्यकर्ताओं ने इसे आदिवासी अस्मिता से जोड़ लिया था। जिसके बाद कमल बागी हो गए थे। नाम वापसी के आखिरी दिन काफी हंगामे के बीच कमल ने नाम वापस लिया था। कार्यकर्ताओं की निराशा और काकोडिय़ा के क्षेत्र में लगातार जीवंत संवाद का फायदा कांग्रेस को मिला।

 

Created On :   12 Dec 2018 1:58 PM GMT

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