स्टॉम्प पेपर खरीदने के वक्त खुद रहना होगा
डिजिटल डेस्क, नागपुर। स्टॉम्प पेपर की किल्लत और कालाबाजारी से नागरिक परेशान हैं। बुधवार को जिलाधिकारी कार्यालय में दोपहर 3 बजे तक सभी स्टॉम्प वेंडरों के पास का स्टॉम्प पेपर का स्टॉक खत्म हो गया। पूछताछ में पता चला कि शासन द्वारा स्टॉम्प पेपर की आपूर्ति अब 5 अप्रैल के बाद ही सुलभ होगी। इसी बीच शासन द्वारा 1 अप्रैल से नया नियम लागू कर दिया गया है, जिसके मुताबिक अब स्टॉम्प पेपर दूसरे के नाम से नहीं खरीदा जा सकेगा। खरीदार को प्रत्यक्ष में अपने पहचान पत्र के साथ उपस्थित होकर खरीदना होगा। इस नियम के विरोध में राज्य के सभी स्टॉम्प वेंडरों ने आंदोलन छेड़ने का निर्णय लिया है। आंदोलन के पूर्व 8 अप्रैल को धुले में स्टॉम्प वेंडरों की राज्य स्तरीय बैठक आयोजित की गई है।
रोजाना 23 लाख की खपत
उपराजधानी में 45 अधिकृत स्टॉम्प वेंडर हैं। एक वेंडर रोज करीब 50 हजार रुपए के स्टॉम्प पेपर की बिक्री करता है। इस हिसाब से रोज करीब 23 लाख रुपए के स्टॉम्प पेपर की खपत है। शासन द्वारा प्रतिमाह 1 वेंडर को 3 लाख के स्टॉम्प पेपर उपलब्ध कराए जा रहे हैं। यह स्टॉम्प पेपर वेंडर अधिकतम 6-7 दिनों में सभी स्टॉम्प पेपर बेच देते हैं और करीब 23 दिन खाली रहते हैं। ऐसे में स्टॉम्प पेपर की कालाबाजारी की जाती है। 100 रुपए का स्टॉम्प पेपर 110 रुपए में व 500 रुपए का स्टॉम्प पेपर 700 रुपए में बेचा जा रहा है।
पर्यायी व्यवस्था करेंगे
बुधवार को स्टॉम्प वेंडरों के पास स्टॉम्प पेपर का स्टॉक खत्म होने की जानकारी हमें नहीं है। आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए जिला कोषागार कार्यालय द्वारा 31 अप्रैल को कुछ प्रमाण में स्टॉम्प पेपर की खेप उपलब्ध कराई जाएगी। प्रधान मुद्रांक कार्यालय मुंबई द्वारा आवश्यकता के अनुसार स्टॉम्प पेपर उपलब्ध कराए जा रहे हैं। स्टॉम्प वेंडरों को सीमित स्टॉम्प पेपर दिए जाने का आरोप बेबुनियाद है। वे जितना चाहें, उतना स्टॉम्प पेपर कोषागार से ले सकते हैं। -राजेश राऊत, मुद्रांक उप-महानिरीक्षक, नागपुर
Created On :   30 March 2023 11:17 AM IST