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समग्र विकास का आईना होगी मेट्रो, समय से पहले पूरा करने की तैयारी- दीक्षित
डिजिटल डेस्क, नागपुर। ‘माझी मेट्रो’ सटीक मैनेजमेंट का देश में सर्वोत्तम उदाहरण होगी। तमाम मुश्किलों के बावजूद हम इसे लागत से 10 प्रतिशत कम राशि में पूरा करेंगे, वह भी निर्धारित समय के पहले। यह दावा मेट्रो के महानिदेशक बृजेश दीक्षित ने किया है। दैनिक भास्कर कार्यालय में वह मेट्रो उपक्रम साकार होने के बाद शहर में आनेवाले बदलाव को लेकर चर्चा कर रहे थे। मार्च 2019 में मेट्रो के सफर का लक्ष्य रखते हुए उन्होंने कहा कि : नागपुर के लिए यह मात्र यातायात की एक सुविधा नहीं, समग्र विकास का आईना होगी। देश के चार महानगरों के बाद पांचवें स्थान पर शुमार होने लायक नागपुर है और यहां हो रहे विकासात्मक बदलाव इसकी पुष्टि भी करते हैं।
विभिन्न स्रोतों से रेवन्यू निकालने की प्लानिंग
बड़े-बड़े प्रोजेक्ट बन जाते हैं, लेकिन व्यवस्था को चलाते वक्त कई प्रोजेक्ट दम तोड़ देते हैं। इसका मुख्य कारण यह होता है कि सही तरह से प्लानिंग नहीं होती है। मेट्रो प्रोजेक्ट को साकार करने के बाद व्यवस्था सही ढंग से चलते रहने के लिए अभी से प्लानिंग की गई है। हांगकांग में चलनेवाली मेट्रो यात्री किराए के अलावा नॉन फेयर बॉक्स से 40 प्रतिशत अर्निंग पाती है, जो दुनिया में हाईएस्ट है। वही, इंडिया में दिल्ली मेट्रो 20 प्रतिशत नॉन फेयर रेवेन्यू पर निर्भर है, लेकिन नागपुर मेट्रो 50 प्रतिशत यात्री किराए से अर्निंग की उम्मीद रखती है। वहीं बाकी 50 प्रतिशत अर्निंग सुपरविजन चार्ज, स्टैंप ड्यूटी आदि नॉन फेयर बॉक्स से प्राप्त करनेवाली है।
दुर्घटनाओं में आएगी कमी
नागपुर शहर में वर्तमान में एक्सिडेंट का प्रमाण बहुत ज्यादा है। मेट्रो सुविधा के बाद इसमें कमी आएगी, इसलिए कि दोपहिया और चार पहिया वाहनों की अपेक्षा लोग मेट्रो से आना-जाना सुविधाजनक महसूस करेंगे।
प्रदूषण भी कम होगा
डीजल-पेट्रोल पर चलने वाले वाहनों की संख्या सड़कों पर कम होगी तो जाहिर है कि प्रदूषण में भी कमी आएगी।
सेहत के लिए फायदेमंद
मेट्रो से सफर करने वाले मान लीजिए बर्डी में उतरते हैं, तो आस-पास के दो-चार किलोमीटर का काम पैदल ही घूम कर आसानी से कर सकेंगे। अभी कम दूरी के लिए भी वाहनों पर घूमने की आदत पड़ चुकी है।
सोशल लाइफ बदल जाएगी
मेट्रो साकार होने के बाद पूरे शहर की सोशल लाइफ बदल जाएगी। धीरे-धीरे इसका एहसास भी लोगों को होगा। शहरीकरण के दौर में बड़ी दूरियां सिमटने लगी हैं। हालांकि हम इसमें अभी पीछे हैं पर बहुत पिछड़े नहीं हैं।
Created On :   12 Oct 2018 6:30 AM GMT