वन विभाग में  ई-टेंडरिंग और ई-आॅक्शन में करोड़ों के भ्रष्टाचार का आरोप

वन विभाग में  ई-टेंडरिंग और ई-आॅक्शन में करोड़ों के भ्रष्टाचार का आरोप
वन विभाग में  ई-टेंडरिंग और ई-आॅक्शन में करोड़ों के भ्रष्टाचार का आरोप
वन विभाग में  ई-टेंडरिंग और ई-आॅक्शन में करोड़ों के भ्रष्टाचार का आरोप
हाईलाइट
  • चुनावी माहौल में भ्रष्टाचार का यह मुद्दा गर्मा सकता है
  • सत्ता पक्ष के नेताओं ने लगाया भ्रष्टाचार का आरोप
  • सामान खरीदी के आदेश बिना ही निकाले टेंडर

डिजिटल डेस्क, नागपुर। वन विभाग में ई-टेंडरिंग व ई-आॅक्शन में भ्रष्टाचार का मामला सामने आ रहा है। जानकारी के अनुसार, जहां सामान खरीदी के आदेश बगैर टेंडर निकाले दे दिए गए, वहीं जान-बूझकर ई-टेंडरिंग का नियम लागू नहीं किया जा रहा है। अब स्थिति यह है कि राज्य में सत्तारूढ़ पक्ष के नेताओं ने ही कुछ अधिकारियों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए निलंबन की मांग की है। चुनावी माहौल में भ्रष्टाचार का यह मुद्दा गर्मा सकता है।  

गलती नंबर-1 : जान-बूझकर लापरवाही
महाराष्ट्र वन विभाग में ई-टेंडरिंग का नियम वर्ष 2017 से लागू है, लेकिन यहां अभी तक लागू नहीं हो पाया। बल्लारशाह के मुख्य डिपो की चार दीवारें कई महीनों से टूटी हुई हैं, पर जान-बूझकर उसे नहीं सुधारा गया और न ही यहां सीसीटीवी कैमरे लगाए गए। ऐसे में करोड़ों की लकड़ियां चोरी हो रही हैं। 

गलती नंबर-2 : शासनादेश का उल्लंघन
महाराष्ट्र शासन के 2014 के शासनादेश के अनुसार, सीसीटीवी कैमरा लगाना जरूरी है। साथ ही वन अधिकारी प्रवीण श्रीवास्तव पर भी आरोप है कि उन्होंने 4 करोड़ के सामान की खरीदी के आदेश बगैर टेंडर निकाले ही दे दिए। इसमें भी बड़ा भ्रष्टाचार हुआ है। 

गलती नंबर-3 : ‘कम्पा’ की बैठक नहीं
आरोप यह भी है कि पीसीसीएफ विकास गुप्ता ने ‘कम्पा’ की मीटिंग ही नहीं ली, जबकि हर माह बैठक का प्रावधान है। इनके द्वारा भेजी गई ‘कम्पा’ की रिपोर्ट को भी रोक दिया गया है। इसके चलते ‘कम्पा’ का फंड भी गंवाना पड़ा है।  पीसीसीएफ गुप्ता के पास ‘कम्पा’ का कार्यभार है।

अब उठी जांच बिठाने की मांग
भाजपा के महानगर उपाध्यक्ष राजेश्वर सिंह ने प्रधान मुख्य वनसंरक्षक एवं वनबल प्रमुख उमेश कुमार अग्रवाल को ज्ञापन सौंपकर प्रधान मुख्य वन संरक्षक एस.एच. पाटील के निलंबन व उन पर जांच बिठाने की मांग की है। निवेदन की प्रति मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, वनमंत्री सुधीर मुनगंटीवार व पालकमंत्री चंद्रशेखर बावनकुले को भी भेजी गई है। श्री सिंह का आरोप है कि पाटील डिपो, ई-टेंडरिंग व ई-आॅक्शन का कार्य देखते हैं। साथ ही कार्यालय व डिपो के रख-रखाव की जिम्मेदारी भी उन पर है। इसमें उन्होंने कई भ्रष्टाचार किए हैं। 

प्रति वर्ष 100 करोड़ से ज्यादा की खरीदी
ई-टेंडरिंग केंद्रीय वाणिज्य विभाग का पोर्टल है। महाराष्ट्र सरकार ने इसके लिए एमओयू कर रखा है। इस पर निविदा जारी करने पर पारदर्शिता के साथ सबसे कम दर पर सामान मिलने का अवसर रहता है। नागपुर में वन विभाग का मुख्यालय है। यहां से ही पूरे महाराष्ट्र के विभागों के लिए खरीद  व फंड जारी होता है। अनुमानत: प्रति वर्ष 100 करोड़ से ज्यादा की खरीदी वन विभाग करता है। ई-टेंडर से सामान खरीदी पर सब कुछ खुला रहेगा। शायद इसीलिए  वन विभाग ई-टेंडरिंग से बचना चाह रहा है। 
 

शिकायत मिली है, जांच करेंगे
संबंधित मामले की शिकायत मिली है। हम जांच करेंगे। शिकायत में तथ्य पाए जाने पर कार्रवाई 
की जाएगी। 
-उमेश कुमार अग्रवाल, प्रधान मुख्य वनसंरक्षक एवं वनबल प्रमुख 
 

Created On :   8 Nov 2018 4:58 AM GMT

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