भंडारण में नागपुर फिसड्डी, 49 गोदामों में मात्र 25,329 मीट्रिक टन ही अनाज

Nagpur is backward in storage, only 25,329 metric tonnes grains in 49 go downs
भंडारण में नागपुर फिसड्डी, 49 गोदामों में मात्र 25,329 मीट्रिक टन ही अनाज
भंडारण में नागपुर फिसड्डी, 49 गोदामों में मात्र 25,329 मीट्रिक टन ही अनाज

डिजिटल डेस्क, नागपुर। जिले में अनाज, दलहन, तिलहन समेत कपास का उत्पादन बड़े पैमाने पर किया जाता है। करीब 3 लाख 91 हजार मीट्रिक टन अनाज यहां के किसान उगाते हैं, परंतु करोड़ों की राशि का अनाज उचित भंडारण की क्षमता उपलब्ध नहीं होने के कारण अनेक स्थानों पर बारिश से बचाव न होने पर सड़ जाता है। मौजूदा स्थिति में जिले में विविध विभागों के केवल 49 गोदाम उपलब्ध हैं। इनकी संग्रहण क्षमता महज 25 हजार 329 मीट्रिक टन हैं। ऐसे में निजी व्यापारियों के पास पहुंचने वाले अनाज को यदि छोड़ दिया जाए तो समर्थन मूल्य पर खरीदा जाने वाला अनाज ठीक ढंग से रखने के लिए प्रशासन के पास पर्याप्त गोदामों की व्यवस्था अब तक नहीं बन पाई है।

महाराष्ट्र के 225 गोदाम अयोग्य
सरकारी रिपोर्ट के अनुसार राज्य में सार्वजनिक वितरण व्यवस्था के तहत वितरित अनाज की व्यवस्था खाद्य निगम के गोदामों द्वारा की जाती है। प्रशासन के एवं किराए पर लिए गए गोदामों में अनाज को संग्रहित कर रखा जाता है। बीते वर्ष सरकार के कुल 1102 गोदामों में कुल 6.94 लाख मीट्रिक टन अनाज का संग्रहण किया गया था। इनमं  से करीब 1 लाख टन क्षमता वाले 225 गोदाम ऐसे पाए गए थे, जहां अनाज को रखने के लिए योग्य नहीं माना गया। वहीं सरकार ने 106 निजी गोदामों को किराए पर ले रखा है, जहां 73 हजार मीट्रिक टन अनाज रखा गया है।

कॉटन मार्केट में पुराने तोड़कर बनेंगे नए 2 गोदाम
सरकार ने एक परिपत्रक जारी कर शहर के कॉटन मार्केट में पुराने गोदामों की मरम्मत करने के बजाय उसे तोड़कर नए 2 गोदामों का निर्माण करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। 1849.82 वर्ग मीटर के प्रस्तावित इमारत के निर्माण से 1800 मीट्रिक टन क्षमता वाले 2 गोदाम बनाए जाएंगे। 5 करोड़ 96 लाख 68 हजार 761 रुपए की लागत से शीघ्र ही इसका निर्माण किया जाएगा।

1955 राशन दुकानों को होती हैं आपूर्ति
बीते वर्ष तक जिले में 47 गोदामों में कुल 30,338 मीट्रिक टन अनाज को संग्रहित कर रखने की जानकारी है। इन्हीं 47 गोदामों से सरकार की ओर से गरीबों के लिए चलाई जाने वाली राशन संबंधित योजनाओं में जिले के 1955 राशन दुकानों को अनाज की आपूर्ति की जाती हैं। यही दुकानें घटिया व सड़े हुए अनाज को जिले के 10 लाख 66 हजार 582 राशनकार्ड धारक गरीबों में वितरित किया जाता हैं। इसके चलते समय-समय पर निम्न स्तर का अनाज प्राप्त होने की शिकायतें मिलती हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने की थी दखल
यूपीए-2 सरकार के दौरान जब सरकारी अनाज गोदामों की दयनीय अवस्था को लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा तो न्यायालय ने इस पर चिंता जताते हुए सरकार द्वारा तत्काल नए गोदामों के निर्माण करने एवं अनाज खराब न होने पाए, इसके लिए कड़े निर्देश दिए थे। देश में हर साल करीब साढ़े 7 लाख टन अनाज सड़ने की बात उजागर हुई थी। तब से गोदामों के निर्माण को लेकर महाराष्ट्र सरकार भी सजग हुई। लगभग सभी जिलों में गोदामों के निर्माण को लेकर प्रस्ताव मंगवाए गए। मंजूरी व निधि उपलब्ध कराने के बावजूद आज भी अनेक स्थानों पर स्थिति में कोई खास बदलाव नजर नहीं आ रहा है।

128 में से केवल 31 गोदामों का निर्माण
सरकार की ओर से भले ही बीते वर्षों में 128 नए अनाज गोदामों का निर्माण कराने के लिए मंजूरी देते हुए 111.04 करोड़ रुपए की निधि उपलब्ध कराई हो लेकिन इनमें से अब तक केवल 31 गोदामों का ही निर्माण किया जा सका है। नाबार्ड के ग्रामीण विकास निधि से प्राप्त कर्ज के माध्यम से बनाए जा रहे नए गोदामों के निर्माण को लेकर संबंधित विभागों की ओर से देरी हो रही है। इसका खामियाजा अनाज संग्रहण की क्षमता पर पड़ रहा है। बीते 4 वर्षों से 97 गोदामों का निर्माण प्रशासन की ओर से प्रगति पथ पर ही दर्शाया जा रहा है। अनाज सड़ने की अवस्था में सरकार का लगातार नुकसान हो रहा है, इसके बावजूद संबंधितों के खिलाफ कठोर कार्रवाई नहीं होने से सरकार की कल्याणकारी योजना अधर में अटकी हुई है।

Created On :   9 Sep 2018 12:12 PM GMT

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