एनडीसीसी बैंक घोटाला : बढ़ सकती है मंत्री सुनील केदार की मुश्किलें

NDCC Bank scam: Minister Sunil Kedars problems may increase
एनडीसीसी बैंक घोटाला : बढ़ सकती है मंत्री सुनील केदार की मुश्किलें
एनडीसीसी बैंक घोटाला : बढ़ सकती है मंत्री सुनील केदार की मुश्किलें

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  हाईकोर्ट के आदेश के बाद 24 सितंबर को नागपुर के अतिरिक्त मुख्य न्यायदंडाधिकारी के समक्ष होने वाली नागपुर जिला मध्यवर्ती सहकारी (एनडीसीसी) बैंक घोटाले की सुनवाई पर समूचे शहर की निगाहें टिकी हुई हैं। 152 करोड़ रुपए के इस घोटाले में राज्य के पशु व दुग्धविकास मंत्री सुनील केदार मुख्य आरोपी हैं। हाईकोर्ट के दखल के बाद अब ट्रायल रफ्तार पकड़ेगा। हाईकोर्ट ने  24 सितंबर को मामले से जुड़े गवाहों का क्रॉस एक्जामिनेशन करने के आदेश दिए हैं। ऐसे में प्रकरण से जुड़े पक्ष भी हाईकोर्ट के आदेश के बाद सजग हो गए हैं। उल्लेखनीय है कि  वर्षों से लंबित इस प्रकरण मंे नया मोड़ तब आया जब हाईकोर्ट ने देरी को लेकर  नाराजगी जाहिर की थी। इसके बाद ट्रायल शुरू हुआ। कोर्ट ने कहा था कि आरोपियों के खिलाफ पिछले 18 वर्षों में एक इंच भी ट्रायल आगे नहीं बढ़ा। बार-बार आदेश जारी करने के बावजूद किसी न किसी कारण से निचली अदालत ट्रायल पूरा नहीं कर सकी। पिछले 18 वर्षों में ट्रायल में जो देर हुई है, वह चिंताजनक है। पूरा न्यायपालिका प्रबंधन इस देरी के लिए समाज के प्रति जवाबदेह है। 152 करोड़ के इस घोटाले में गरीब किसानों और निवेशकों का पैसा गया है। देरी के इस मुद्दे को हाईकोर्ट ने जनहित याचिका के रूप में सुनने का निर्णय लिया था। तब से हाईकोर्ट इस प्रकरण को जनहित याचिका के रूप में सुनवाई कर रहा है।

निचली अदालत में क्या हुआ ?
नागपुर खंडपीठ के आदेश के बाद आखिरकर 4 दिसंबर 2019 से अतिरिक्त सीजेएम एस.आर.तोतला के कोर्ट में एनडीसीसी बैंक के 150 करोड़ रुपए के घोटाले का ट्रायल शुरू हुआ। कोर्ट में सर्वप्रथम फरियादी तत्कालीन विशेष लेखा परीक्षक विश्वनाथ अवसर की गवाही ली गई। इसके बाद 14 नवंबर को आरोपी विधायक सुनील केदार, अशोक चौधरी, केतन सेठ, महेंद्र अग्रवाल, श्रीप्रकाश पोद्दार, अमित वर्मा, सुबोध भंडारी, नंदकिशोर त्रिवेदी और सुरेश पेशकर के खिलाफ लगे आरोपों का विवरण उन्हें सौंपा। आरोपियों के खिलाफ भादंवि 406, 409, 120-बी, 468, 471 और 34 के तहत आरोप दर्ज हुए है। अब 24 सितंबर को अन्य गवाहों का क्रॉस एक्जामिनेशन होगा।

शुरुआत इस तरह हुई
 वर्ष 2002 में सामने आए नागपुर जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक के करोड़ों रुपए के इस घोटाले मंे विशेष लेखा परीक्षक विश्वनाथ असवरे ने बैंक का ऑडिट करके 29 अप्रैल 2002 में गणेशपेठ पुलिस थाने मंे शिकायत दर्ज कराई थी। इसके बाद बैंक के पूर्व अध्यक्ष सुनील केदार, महाव्यवस्थापक अशोक चौधरी और अन्य पर धारा 406, 409, 468, 12-ब, 34 के तहत मामला दर्ज किया गया था। 
 इस प्रकरण में ब्रोकर केतन सेठ, महेंद्र अग्रवाल, श्रीप्रकाश पोद्दार, पूर्व महाप्रबंधक अशोक चौधरी, मुख्य अकाउंटेंड सुरेश पेशकर, सुबोध भंडारा, कनन मेवावाला, नंदकिशोर त्रिवेदी और अमित वर्मा को आरोपी बनाया गया था।  
दरअसल वर्ष 2001-02 में बैंक ने होम ट्रेड लिमि.मुंबई, इंद्रमणि मर्चेंट्स प्रा.लि.कोलकत्ता, सिंडिकेट मैनेजमेंट सर्विसेस अहमदाबाद व गिल्टेज मैनेजमेंट सर्विसेस मुंबई के जरिए 125 रुपए के सरकारी शेयर खरीदे थे, जिसमें भारी अनियमितताएं पाई गई थी। 22 नवंबर 2002 को सीबीआई ने इस मामले में आरोप पत्र दायर किया था। 

यह रहे देरी के कारण
याचिकाकर्ता ओमप्रकाश कामडी ने यह मुद्दा नागपुर खंडपीठ के समक्ष उठाया, तो नागपुर खंडपीठ ने 23 दिसंबर 2014 को मुख्य न्यायदंडाधिकारी को एक वर्ष के भीतर ट्रायल पूरा करने के आदेश दिए थे, लेकिन ट्रायल एक वर्ष में पूरा नहीं हो सका। प्रकरण मंे आरोपी संदीप अग्रवाल ने बॉम्बे हाईकोर्ट की एकल बेंच में अर्जी दायर की थी। जिसके बाद एकल बेंच ने आरोपी के खिलाफ ट्रायल चलाने पर स्टे दे दिया था। 
देरी के मुद्दे पर संज्ञान लेते हुए नागपुर खंडपीठ ने 4 अप्रैल 2018 को मुख्य न्यायदंडाधिकारी को ट्रायल फिर शुरू करने की अनुमति दी थी।  बावजूद निचली अदालत में ट्रायल आगे नहीं बढ़ा। 6 मार्च 2019 को फिर नागपुर खंडपीठ ने निचली अदालत को 2 माह का समय दिया। 
अब निचली अदालत ने नागपुर खंडपीठ को स्पष्टीकरण दिया कि, ट्रायल का पूरा रिकॉर्ड बॉम्बे हाईकोर्ट भेजे जाने के कारण ट्रायल आगे नहीं बढ़ाया जा सका। ऐसे में अब हाईकोर्ट ने संदीप अग्रवाल के ट्रायल का हिस्सा अलग करके शेष ट्रायल नागपुर में चलाने के आदेश दिए थे। 
 

Created On :   23 Sep 2020 8:04 AM GMT

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