ठगी का नया फंडा, हर लिंक शेयर न करें, हो सकते हैं ठगी का शिकार

New fund of fraud, do not share every link, may be a victim of fraud
ठगी का नया फंडा, हर लिंक शेयर न करें, हो सकते हैं ठगी का शिकार
ठगी का नया फंडा, हर लिंक शेयर न करें, हो सकते हैं ठगी का शिकार

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  किसी अनजान या गुमनाम मोबाइल नंबर से भेजे गए हर ‘लिंक’ को सिर्फ संदेश के आधार पर डाउनलोड न करें और न ही गोपनीय जानकारी किसी के साथ शेयर करें। साइबर अपराधियों का यह नया फंडा हो सकता है। साइबर अपराधी फोन कॉल के जरिए ही मोबाइल लिंक डाउनलोड करवाकर आपके मोबाइल का ‘एक्सिस’ ले लेते हैं। एक तरह से मोबाइल की एक्टिविटी साइबर अपराधी के पास पहुंच जाती है। एक्सिस के आधार पर साइबर ठग आपके मोबाइल से अकाउंट संबंधी पूरी जानकारी और ओटीपी लेकर ठगी करते हैं। संतरानगरी में हर माह करीब 200 से ज्यादा लोग साइबर अपराधी की ठगी के शिकार हो रहे हैं।  

बागुल बने साइबर थाने के पहले थानेदार
 नागपुर में पहले साइबर थाने के थानेदार पुलिस निरीक्षक अशोक बागुल बने। दूसरे पुलिस निरीक्षक जमादार हैं, जो इसके पूर्व गणेशपेठ थाने में कार्यरत थे। पुलिस निरीक्षक बागुल को करीब 31 वर्ष पुलिस विभाग की सेवा में हो चुके हैं। वह साइबर की आपराधिक घटनाओं के मामले में काफी गहन मंथन करते रहते हैं। बागुल ने बताया कि उनका पहला लक्ष्य साइबर अपराध पर नियंत्रण पाना है। साइबर थाने के लिए फिलहाल 25 से 30 कर्मचारी हैं। उन्हें प्रशिक्षित करने का निर्णय पुलिस आयुक्त डा. भूषणकुमार उपाध्याय और अतिरिक्त पुलिस आयुक्त डा. नीलेश भरणे ने लिया है। योजना बन चुकी है। 

जानकारी कतई शेयर न करें 
जब भी कोई लिंक डाउनलोड करने का संदेश आए, तो सीधे गूगल से नंबर सर्च करके संपर्क न करें,  संबंधित बैंक या विभाग की वेबसाइट के जरिए नंबर लें। अनजान या गुमनाम नंबर से आया कोई भी लिंक डाउनलोड न करें। किसी के साथ बैंक डिटेल या ओटीपी नंबर बिल्कुल शेयर न करें। जरूरत पड़ने पर साइबर पुलिस से मदद ले सकते हैं।-डॉ. नीलेश भरणे, अतिरिक्त पुलिस आयुक्त 

 


 

Created On :   14 Aug 2020 8:14 AM GMT

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