गांव के अस्पताल में नहीं संसाधन, शहर दौड़ रहे बीमार

No resources in village hospital, city running sick
गांव के अस्पताल में नहीं संसाधन, शहर दौड़ रहे बीमार
गांव के अस्पताल में नहीं संसाधन, शहर दौड़ रहे बीमार

डिजिटल डेस्क, नागपुर । जिले के मौदा में करीब तीन साल पहले अस्पताल बनकर तैयार हो गया, लेकिन जरूरी संसाधन के अभाव में आज भी उपचार के लिए ग्रामीणों को शहर की दौड़ लगाना पड़ रहा हैं। भव्य अस्पताल में एक्स- रे मशीन तो है, लेकिन इसे चलाने वाला टेक्नीशियन, मरीजों के लाने-ले जाने के लिए एंबुलेंस नहीं है। ऐसे में लोगों को 108 नंबर दबाकर एंबुलेंस का इंतजार करना पड़ता है। 

100 गांवों की जनता निर्भर
जिले के मौदा में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को तोड़कर ग्रामीण अस्पताल बनाया गया। करोड़ों की लागत से बना यह अस्पताल तीन साल पहले शुरू हो गया, लेकिन यहां आज भी स्टाफ की भारी कमी है। यहां केवल 3 डाक्टर व एक वैद्यकीय अधीक्षक है। मौदा के तहत आने वाले 100 से ज्यादा गांवों के लोग दूर-दूर से यहां पहुंचते हैं, लेकिन समुचित व्यवस्था के अभाव में उपचार के लिए शहर जाना मजबूरी बन गई है। अस्पताल में नार्मल डिलीवरी होती है, लेकिन हालात क्रिटिकल होने पर सिजेरियन की व्यवस्था नहीं है। सुंघनी देने के लिए यहां एनेस्थीसिया उपलब्ध नहीं है। टेक्नीशियन नहीं होने से एक्स-रे मशीन धूल खा रही है। इसके अलावा कर्मचारी की कमी है। रोगी को स्ट्रेचर पर ले जाने के लिए भी कर्मचारी उपलब्ध नहीं है। यहां महिला रोगी बड़ी संख्या में पहुंचती हैं, लेकिन महिला डाॅक्टर नहीं होने से ग्रामीण महिलाएं खुलकर अपनी परेशानी नहीं बता पातीं। 

प्रशासन का भी ध्यान नहीं 
मनसे विद्यार्थी सेना मौदा प्रमुख मृणाल तिघरे ने मौदा ग्रामीण रुग्णालय में एंबुलेंस व स्टाफ की कमी दूर करने का निवेदन तहसीलदार के मार्फत जिलाधीश को भेजा। 8 महीने बाद भी इस पर कार्रवाई नहीं हुई। महिला डाॅक्टर नहीं होने से महिलाआें को समुचित इलाज नहीं मिलता। दर्द से कराहती महिलाआें को डिलीवरी के लिए शहर जाना पड़ता है। अस्पताल तो बन गया, लेकिन ग्रामवासियों को इसका लाभ नहीं िमल रहा है। 

प्रस्ताव भेजा है
अस्पताल में एंबुलेंस नहीं है। इसके लिए प्रस्ताव भेजा गया है। फिलहाल यहां 108 नंबर से एंबुलेंस मुहैया की जाती है। टेक्नीशियन की नियुक्ति शीघ्र कर दी जाएगी। 3 डाॅक्टर व एक वैद्यकीय अधीक्षक नियुक्त किया है। स्टाफ की कमी भी दूर की जाएगी। एनेस्थीसिया की स्पेशल पोस्ट होने से यहां नियुक्ति करना फिलहाल संभव नहीं है। डॉक्टर महिला हो, ऐसा कोई नियम नहीं है। -डा. देवेंद्र पातुरकर, जिला शल्य चिकित्सक नागपुर. 

Created On :   30 Oct 2020 9:59 AM GMT

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