पोषण आहार : स्कूलों को देना होगा 5 साल का हिसाब
डिजिटल डेस्क, नागपुर। सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों को दिए जाने वाले पोषण आहार का अब पिछले 5 वर्ष का तहसील निहाय ऑडिट किया जाएगा। स्कूलों को अपने पिछले 5 वर्ष का रिकॉर्ड तैयार रखना होगा। राज्य सरकार ने इस कार्य के लिए शिंदे-चौहाण व गांधीन नामक निजी कंपनी की नियुक्ति की है। कंपनी के अधिकारी 10 से 18 अप्रैल के बीच नागपुर जिले के विविध तहसील में स्थित स्कूलों के पोषाण आहार का ऑडिट करेगी। जिसमें स्कूलों से वर्ष 2015 से 2019 के बीच शालेय पोषण आहार के तहत जमा-खर्च, ईंधन, सब्जी, मददनीसों का मानधन, तेल, अनाज जैसी चीजों की जानकारी देनी होगी।
कई योजनाएं चलाई जाती हैं
सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या बढ़े, विद्यार्थी नियमित रूप से स्कूल आएं इसके लिए सरकार द्वारा विविध योजनाएं चलाई जाती हैं। इसी में शालेय पोषण आहार योजना भी शामिल है। जिसमें विद्यार्थियों को स्कूल में ही मध्यान्ह भोजन दिया जाता है। इसके लिए सरकार चावल व अन्य सामग्री स्कूलों तक पहुंचाती है। सब्जी, तेल और मसाले जैसी चीजें स्कूलों को खुद खरीदनी पड़ती हैं। जिसके बदले सरकार स्कूलों को पैसा देती है। पोषण आहार के सही वितरण की जिम्मेदारी स्कूल मुख्याध्यापक को दी गई है। रोज के आहार का ऑनलाइन डेटा पंचायत समिति को भेजना होता है। आहार की नियमित जांच भी की जाती है। नागपुर जिले की 2747 स्कूलों में कक्षा 1 से 8वीं तक के 3 लाख विद्यार्थियों को इस योजना के तहत मध्यान्ह भोजन दिया जाता है। हांलाकि शिक्षक राज्य सरकार के इस फैसले से नाराज है। उनके अनुसार पहले ही मध्यान्ह भोजन में पढ़ाई का बहुत सा समय चला जाता है, अब 5 वर्ष के ऑडिट में और समय खर्च होगा।
Created On :   8 April 2023 3:13 PM IST