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संपत्ति कर और पानी बिल 50 प्रतिशत माफ करें -संदीप जोशी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बिजली बिल के बाद अब संपत्ति कर और पानी बिल में कटौती की मांग तेज हो गई है। मनपा सत्तापक्ष ने आयुक्त से अपने अधिकारों का इस्तेमाल कर संपत्ति कर और पानी बिल 50 प्रतिशत तक माफ करने की मांग की है।
स्थिति विकट
महापौर संदीप जोशी ने कहा कि कोरोना संक्रमण के कारण व्यापारी, व्यवसायी सहित सभी नागरिक परेशान हैं। स्थिति विकट है, लिहाजा संपत्ति कर और पानी बिल 50 प्रतिशत माफ करना अपेक्षित है। जनप्रतिनिधियों की भूमिका को देखते हुए महापौर जोशी ने अप्रैल-मई-जून और जुलाई-अगस्त-सितंबर का पानी बिल 50 प्रतिशत करने का निर्देश दिया। साथ ही इस संबंध में सभागृह में प्रस्ताव पेश करने को भी कहा। महापौर ने कहा कि मनपा कानून अनुसार शास्ती माफ करने का अधिकार आयुक्त को है। वे संवेदनशीलता दिखाते हुए संपत्ति कर व पानी बिल पर शास्ती माफ करें।
ये थे उपस्थित
संपत्ति कर और पानी बिल माफ करने संबंध में बुधवार को महापौर की अध्यक्षता में शहर के सभी जनप्रतिनिधियों की बैठक हुई। बैठक में विधायक कृष्णा खोपड़े, गिरीश व्यास, नागो गाणार, मोहन मते, प्रवीण दटके, सत्तापक्ष नेता संदीप जाधव, विरोधी पक्षनेता तानाजी वनवे, कर समिति सभापति महेंद्र धनविजय, वरिष्ठ नगरसेवक दयाशंकर तिवारी, सुनील अग्रवाल, अतिरिक्त आयुक्त राम जोशी, उपायुक्त (राजस्व) मिलिंद मेश्राम आदि उपस्थित थे।
जनप्रतिनिधियों ने अपनी-अपनी बात रखी
संकट की इस घड़ी में 50 प्रतिशत कर माफ करने से जनता को राहत मिलेगी। एकमुश्त कर देने वालों की शास्ती माफ हो।
-विधायक कृष्णा खोपड़े
जनता पर कर न लादते हुए उन्हें दिलासा देने का समय है। जनहित में 50 प्रतिशत कर कटौती करें। यह समय की मांग है।
-विधायक मोहन मते
कर बढ़ोतरी नागरिकों के लिए दिलासादायक नहीं है। मनपा सभागृह में निर्णय ले। कर से लोगों की कराह न निकले
- विधायक गिरीश व्यास
पिछले वर्ष भी शास्ती माफ करने की मांग की गई थी। वन टाइम सेटलमेंट का मौका दिया जाना चाहिए।
- सत्तापक्ष नेता संदीप जाधव
संकट में कर बढ़ोतरी ठीक नहीं और कर बढ़ोतरी का पांच वर्ष के लिए लिया गया निर्णय भी योग्य नहीं।
-विरोधी पक्षनेता तानाजी वनवे
आयुक्त नहीं पहुंचे बैठक में
हर बार की तरह मनपा आयुक्त तुकाराम मुंढे जनप्रतिनिधियों की इस बैठक में भी नहीं पहुंचे। संपत्ति कर व जलापूर्ति कर दोनों विभाग किसी भी अतिरिक्त आयुक्त को न सौंपते हुए आयुक्त ने खुद अपने पास रखा है, लेकिन चर्चा के दौरान बैठक में अनुपस्थित रहते हैं। पानी कर वृद्धि कम करें, इस संबंध में पत्र भी दिया गया। उस पर कोई जवाब नहीं मिला। आज की बैठक में सभी जनप्रतिनिधि थे। ऐसे गंभीर बैठक में आयुक्त का अनुपस्थित रहना सही नहीं है। -संदीप जोशी, महापौर
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डिजिटल डेस्क, जबलपुर। किसी के लिए भी प्रॉपर्टी खरीदना जीवन के महत्वपूर्ण कामों में से एक होता है। आप सारी जमा पूंजी और कर्ज लेकर अपने सपनों के घर को खरीदते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि इसमें इतनी ही सावधानी बरती जाय जिससे कि आपकी मेहनत की कमाई को कोई चट ना कर सके। प्रॉपर्टी की कोई भी डील करने से पहले पूरा रिसर्च वर्क होना चाहिए। हर कागजात को सावधानी से चेक करने के बाद ही डील पर आगे बढ़ना चाहिए। हालांकि कई बार हमें मालूम नहीं होता कि सही और सटीक जानकारी कहा से मिलेगी। इसमें bhaskarproperty.com आपकी मदद कर सकता है।
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ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।