रायपुर : विशेष लेख : ग्रामीणों के लिए न्याय की अगली कड़ी ’गोधन न्याय योजना’
डिजिटल डेस्क, रायपुर, 21 जुलाई 2020 छत्तीसगढ़ देश का पहला ऐसा राज्य है जिसने गोबर खरीदने की इस अनूठी योजना की शुरूआत की है। चाहे बात धान खरीदी की हो या फिर कर्ज माफी की छत्तीसगढ़ सरकार ने अपने शासन के शुरूआती दिनो से ही किसानो के हित में लगातार निर्णय लिये है।़ शासन ने ग्रामीण विकास को केंद्रित कर राजीव गांधी किसान न्याय योजना एवं सुराजी गांव योजना भी प्रारंभ किया है।ं अपनी योजनाओं के माध्यम से छत्तीसगढ़ सरकार विलुप्त होती जा रही प्राचीन ग्रामीण परंपराओं को पुनर्जीवित करने का कार्य कर रही है। गोधन न्याय योजना पशुपालकों और ग्रामीणों के हित में लिया गया निर्णय है, जो आने वाले समय में राज्य के विकास में मील का पत्थर साबित होगा। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी का मानना था कि देश की आत्मा गांवों में बसती है। वास्तव में ग्राम के विकास से ही देश का विकास संभव है। राज्य द्वारा गांवों के विकास और समृद्धि के लिए अनेक योजनाएं चलायी जा रही है। गोधन न्याय योजना एक बहुआयामी योजना है, जो ग्रामीणों के लिए वरदान साबित होगी। इससे कई लक्ष्य एक साथ हासिल किये जा सकते हैं। निश्चित ही गोधन न्याय योजना किसानांे और पशुपालकों के हित में एक क्रातिंकारी योजना साबित होगी। इस योजना से कृषि लागत में कमी होगी, पशुधन की खुली चराई पर भी रोक लगेगी। पशुपालकों को वित्तीय मदद के साथ रोजगार भी मिलेगा जिससे वे आर्थिक रूप से सदृढ़ होंगे। गोबर खाद से जमीन की उर्वरा शक्ति बढने मे मदद मिलेगी। इस योजना से पर्यावरणीय सेहत में सुधार होगा। साथ ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था में बड़े बदलाव की उम्मीद है। जैविक खाद के उपयोग को बढ़ावा मिलने से रासायनिक खाद के उपयोग में कमी आएगी। भूमि की उर्वरता में सुधार होगा। विष रहित खाद्य पदार्थों की उपलब्धता बढ़ेगी, फलो और सब्जियों की गुणवत्ता एवं स्वाद में सुधार होगा जिससे पोषण का स्तर में और अधिक सुधार होगा। योजना से ग्रामीण युवाओं को स्थानीय स्तर पर रोजगार तो उपलब्ध होगा ही साथ उन्हे आय का नया जरिया प्राप्त होगा गोधन न्याय योजना का दूरगामी परिणाम यह भी है, कि इससे स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर सृजित होंगे। रोजगार के तलाश मे जाने वाले ग्रामीणो का पलायन रूकेगा। शासन का उद्देश्य सभी गोठानों को आजीविका के नये केन्द्र के रूप में विकसित करना है। गौठानो के बनने से अब गौवंश का उचित रख रखाव एवं देखभाल भी हो रहा है। गोठानो के माध्यम से अतिरिक्त गोबर से खाद के अलावा विभिन्न उत्पाद जैसे गमला अगरबत्ती भी स्व-सहायता समूहो द्वारा निर्मित किये जा सकेंगे। क्रमांक: 2743/विशाल
Created On :   23 July 2020 6:26 PM IST