जलवायु परिवर्तन से आ सकता है खतरा, तेज बारिश में डूब सकता है शहर

rapid rain could sink many big cities in Maharashtra : report
जलवायु परिवर्तन से आ सकता है खतरा, तेज बारिश में डूब सकता है शहर
जलवायु परिवर्तन से आ सकता है खतरा, तेज बारिश में डूब सकता है शहर

डिजिटल डेस्क, नागपुर। देश और दुनिया में तेजी से हो रहे जलवायु परिवर्तन का असर आगामी दिनों में शहर और महानगरों पर भी देखने मिल सकता है। जियोफिजिकल रिसर्च लेटर जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक जलवायु परिवर्तन की वजह से अल्पावधि में होने वाली तेज बारिश शहरों को डूबाे सकती है। अल्पावधि में होने वाली बारिश शहरों में वर्षा जल निकासी के तंत्र को बुरी तरह प्रभावित करेगी। आशंका जताई गई है कि देश के करीब 78 शहरों को यह बारिश पूरी तरह जलमग्न कर सकती है। इन 78 शहरों में महाराष्ट्र का नागपुर शहर भी शामिल है। जियोफिजिकल रिसर्च लेटर जर्नल द्वारा जताई गई यह आशंका तब और बढ़ जाती है, जब 6 जुलाई 2018 की अल्पावधि की बारिश का दृश्य नजरों के सामने आता है। 4-5 घंटे की अल्पावधि की इस बारिश ने उस समय पूरे शहरों को जलमग्न कर दिया था। नागपुर में चल रहे विधानमंडल के मानसून अधिवेशन की कार्यवाही तक को स्थगित करना पड़ा था। विधानभवन परिसर सहित शहर पानी में डूबा था।

आपदा प्रबंधन की राहत केवल मरहम 
56 हजार करोड़ रुपए की निधि खर्च कर शहर का स्वरुप बदला जा रहा है। लेकिन शहर में जलजमाव व बाढ़ की स्थिति से निपटने के लिए स्थायी स्वरुप में नागपुर महानगरपालिका के पास वर्तमान और भविष्यकालीन कोई पुख्ता योजना उपलब्ध नहीं है। बरसों पुरानी ड्रेनेज सिस्टम अब बेकार साबित होने लगी है। शहर के विभिन्न इलाकों में जब जल-जमाव होने लगता है तो आपदा प्रबंधन का राहत कार्य केवल मरहम की तर्ज पर क्रियान्वित किया जाता है। शहर में जलजमाव होने न पाए, इसके लिए मनपा व जिला प्रशासन के पास कोई योजना व नियोजन उपलब्ध नहीं है। यहीं वजह है कि नागपुर शहर की 2200 कि.मी. लंबी और बरसों पुरानी ड्रेनेज लाइनें 100 मिलीमीटर की बारिश को भी सह नहीं सकती है। अचानक 100 मि.मी से अधिक बारिश होने पर जलनिकासी अपेक्षित रफ्तार से नहीं हो पाती है। तत्काल इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाया गया तो भविष्य में भले नागपुर का बाहरी स्वरूप स्मार्ट सिटी का नजर आएगा, लेकिन अंदरुनी ड्रेनेज हर बार बाढ़ व जलजमाव को जन्म देता रहेगा।

जल निकासी की व्यवस्था बंद
फिलहाल शहर का बड़े पैमाने पर स्वरूप बदला जा रहा है। जगह-जगह सीमेंट सड़क के काम, मेट्रो रेल और उड़ानपुल के काम हो रहे हैं। विकास की रफ्तार पर यह भले हमें आगे दिखाते हो, लेकिन इसने शहर की जल निकासी व्यवस्था को पूरी तरह बर्बाद कर दिया है। शहर भर में काम होने से संबंधित मार्गों पर जल निकासी व्यवस्था बंद हो चुकी है। अगर इसके काम खत्म भी होते हैं, तो महानगरपालिका या संबंधित संस्था को नए िसरे से जल निकासी व्यवस्था करनी होगी। रही-सही कसर मनपा की बदइंतजामी ने पूरी कर दी है। जगह-जगह नालियां जाम और चोक है। हल्की सी बारिश में सड़कें जाम होती हैं, जिसे बरसों से साफ नहीं किया गया है। बारिश के पहले नदी-नालियों को साफ करने का ढोंग रचा जाता है, लेकिन आधी से ज्यादा साफ नहीं होती है। 

इतनी बुरी भी स्थिति नहीं 
शहर के ड्रेनेज सिस्टम की इतनी भी बुरी स्थिति नहीं है। अगर ड्रेनेज या जल निकासी व्यवस्था में कोई बाधा न हो तो पानी आसानी से निकल जाता है। फिलहाल जगह-जगह मेट्रो, सीमेंट रोड, उड़ानपुल के काम चल रहे हैं, जिसकी वजह से ड्रेनेज सिस्टम जाम है। हालांकि बारिश से पहले शहर की सभी नदी-नालियां साफ की जाती हैं।  जुलाई में बारिश इतनी ज्यादा थी कि पानी अचानक जमा हो गया। इसे निकासी में कुछ वक्त लगा। 
-डॉ. सुनील कामले, वैद्यकीय अधिकारी, मनपा 

Created On :   19 Nov 2018 10:45 AM GMT

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