आरोपी पुलिस कर्मियों को राहत, हाई कोर्ट ने आदेश पीछे लिया

डिजिटल डेस्क, नागपुर। 2004 में हुए नागपुर के चर्चित सोहन यादव हत्याकांड में एक नया मोड़ आया है। बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने मामले में आरोपी तत्कालीन जांच अधिकारी अरुण बरैय्या और अन्य 5 पुलिसकर्मियों के खिलाफ चार्जशीट दायर करने का अपना आदेश पीछे ले लिया है। हाई कोर्ट ने 24 जुलाई 2018 को इन पुलिसकर्मियों के खिलाफ राज्य सरकार को चार्जशीट दायर करने का आदेश दिया था, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर हाई कोर्ट ने अपने इस फैसले पर पुनर्विचार किया है।
रिपोर्ट अस्वीकार : पुनर्विचार के दौरान हाई कोर्ट ने सीआईडी के उपअधीक्षक तायड़े की उस रिपोर्ट को अस्वीकार किया, जिसमें तायड़े ने उक्त पुलिसकर्मियों को गलत तरीके से जांच का दोषी ठहराया था। हाई कोर्ट का मानना है कि इस रिपोर्ट में कई विरोधाभास है और अनेक तथ्य साबित नहीं हुए हैं, इसलिए इनके आधार पर पुलिसकर्मियों के खिलाफ चार्जशीट दायर करने का आदेश देना सही नहीं है।
कई बार जांच हुई : 28 सितंबर 2004 को धंतोली में सोहन यादव नामक एक व्यक्ति की हत्या हुई। मनोज गुड़धे पर शराब की नशे में हत्या करने और उसकी मां शीला पर सबूत मिटाने का मामला दर्ज हुआ। तत्कालीन जांच अधिकारी बरैय्या ने दोनों मां-बेटे को गिरफ्तार किया, लेकिन आरोपियों ने मुद्दा उठाया कि उन्हें गलत तरीके से आरोपी बनाया गया है। जमानत पर रिहा होने के बाद उन्होंने उच्च अधिकारियाें को सही जांच के लिए निवेदन दिया। इस मामले में राज्य सीआईडी के पुलिस निरीक्षक आैर अजनी क्षेत्र के सहायक पुलिस आयुक्त, अपराध शाखा और अन्य कई स्तरों पर स्वतंत्र जांच हुई, जिसमें पुलिसकर्मियों को क्लीन चिट दे दी गई, लेकिन एक जगह आकर मामला फंस गया। राज्य सीआईडी के डीआईजी ने इस मामले में तत्कालीन उपअधीक्षक से एक और बार जांच कराई। जांच अधिकारी तायड़े की रिपोर्ट ने मामले को नया मोड़ दे दिया। निष्कर्ष दिया कि हत्या मनोज और शीला गुडधे ने नहीं, बल्कि मनोज शर्मा और अन्य व्यक्तियों ने की है। पुलिस अधिकारी बरैय्या ने मामले में गलत लोगों को आरोपी बनाया और उन्हें फंसाने के लिए सबूत भी प्लांट किए।
सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंचा : तायडे की इस रिपोर्ट के आधार पर शीला और मनोज निर्दोष रिहा हो गए। उन्होंने स्वयं पर हुए अन्याय के लिए एक बार फिर हाईकोर्ट की शरण ली। प्रार्थना की कि उन्हें मुआवजा मिले और दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई हो। हाईकोर्ट ने 24 जुलाई 2018 को इसे स्वीकार किया। राज्य सरकार को मां-बेटे को 5 लाख का मुआवजा देने का आदेश दिया और दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ चार्जशीट दायर करने का आदेश दिया, जिसके बाद पुलिस ने बरैय्या समेत 6 पुलिस कर्मियों और अन्य 5 व्यक्तियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की। इसके खिलाफ बरैय्या ने सर्वोच्च न्यायालय की शरण ली। सर्वोच्च न्यायालय ने मनोज और शीला को तो निर्दोष माना, लेकिन पुलिसकर्मियों के खिलाफ चार्जशीट दायर करने के फैसले पर पुनर्विचार करने का आदेश दिया।
Created On :   15 Feb 2023 12:16 PM IST