हाईकोर्ट की सख्ती के बाद नागपुर के लिए उपलब्ध हुए रेमडेसिविर इंजेक्शन

Remedesivir injection available for Nagpur after high court strictness
हाईकोर्ट की सख्ती के बाद नागपुर के लिए उपलब्ध हुए रेमडेसिविर इंजेक्शन
हाईकोर्ट की सख्ती के बाद नागपुर के लिए उपलब्ध हुए रेमडेसिविर इंजेक्शन

डिजिटल डेस्क, नागपुर ।  नागपुर में कोरोना मरीजों के लिए जीवनावश्यक रेमडेसिविर इंजेक्शन और आॅक्सीजन आपूर्ति के मुद्दे पर नागपुर खंडपीठ ने दिनभर ही नहीं, रात 10 बजे तक लगातार सुनवाई की।  कोर्ट की सख्ती के बाद न केवल राज्य सरकार और प्रशासन हलचल में आए, बल्कि नागपुर के लिए बड़ी संख्या में इंजेक्शन भी उपलब्ध कराए गए। हुआ यूं नागपुर में हाहाकार मचा रहे कोरोना संक्रमण और जीवनावश्यक रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमी को देखते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने 19 अप्रैल को राज्य सरकार को आदेश दिए थे कि वे फौरन नागपुर को 10 हजार रेमडेसिविर उपलब्ध कराएं। लेकिन इसके दो दिनों के बाद भी नागपुर के लिए रेमडेसिविर उपलब्ध नहीं कराए गई। बुधवार को न्या.सुनील शुक्रे और न्या.श्रीराम मोडक खंडपीठ में जब इस मामले में सुनवाई हुई तो जिला प्रशासन और एफडीए ने हाथ खड़े करते हुए यह साफ कर दिया कि रेमडेसिविर की खरीदी और वितरण में उनकी कोई भूमिका नहीं होने के कारण कोर्ट के आदेश का पालन नहीं हो सका। इसके लिए वे माफी चाहते हैं।

प्रशासन के इस शपथपत्र पर हाईकोर्ट ने सख्त नाराजगी जताई। हाईकोर्ट ने कहा कि हमारे आदेश के पालन में जिला प्रशासन और एफडीए ने असमर्थता दर्शाते हुए कई कारण दिए हैं। लेकिन असल में ये कारण बहुत हल्के और विरोधाभासों से भरे हुए हैं। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि अब अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ रहे हैं। ऐसा करके ये अधिकारी अपने मौलिक कर्तव्यों का उल्लंघन कर रहे हैं। ऐसे में नागपुर में रेमडेसिविर और आॅक्सीजन आपूर्ति को लेकर  हाईकोर्ट ने नागपुर कोविड-19 समिति को तत्काल बैठक लेकर ठोस समाधान के साथ रात 8 बजे सुनवाई में हाजिर रहने के आदेश दिए। हाईकोर्ट ने उन्हें उत्पादन कंपनी के प्रतिनिधियों, सप्लायर, एजेंट के साथ बैठक लेकर ठोस समाधान के साथ आने के आदेश दिए। हाईकोर्ट की सख्ती से प्रशासनिक अमले में हड़कंप मच गया।

हरकत में आए सरकार और प्रशासन
आदेशानुसार बुधवार की शाम को नागपुर कोविड-19 समिति की बैठक संपन्न हुई। इसके बाद रात 8 बजे नागपुर खंडपीठ में दोबारा सुनवाई शुरू हुई। जिसमें विभागीय आयुक्त संजीव कुमार ने हाईकोर्ट को बताया कि 19 से 21 अप्रैल के बीच नागपुर को कुल 5245 रेमडेसिविर इंजेक्शन उपलब्ध कराए गए। इसके अलावा 6752 रेमडेसिविर गुरुवार सुबह तक उपलब्ध होंगे। हाईकोर्ट ने नोडल अधिकारी को सरकारी और निजी अस्पतालों में इसके योग्य वितरण के आदेश दिए हैं। हाईकोर्ट को यह भी बताया गया कि देश में कुल 7 रेमडेसिविर उत्पादक कंपनियां 88 लाख वायल प्रति माह उत्पादन की क्षमता रखी है। ऐसे में हाईकोर्ट ने  केंद्रीय ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल संस्था महानिदेशक को विदर्भ सहित देश भर में इसके योग्य वितरण के आदेश दिए। हाईकोर्ट ने महानिदेशक को अगली सुनवाई में प्रत्यक्ष या वर्चुअल तरीके से उपस्थित रहकर स्थिति स्पष्ट करने के आदेश दिए हैं।

कालाबाजारी रोकने के आदेश
हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि उन्हें पता चला है कि नागपुर में कुछ रेमडेसिविर स्टॉकिस्ट और डिपो रेमडेसिविर अवैध रूप से जमा करके रख रहे हैं, कोर्ट ने एफडीए को ऐसे प्रतिष्ठानों पर तुरंत कार्रवाई के आदेश दिए। उल्लेखनीय है कि रेमेडेसिविर की कीमतों पर सरकारी नियंत्रण लगाने को लेकर भी मुंबई में बैठकों का दौर चल रहा है। हाईकोर्ट ने एफडीए और ड्रग केंद्रीय ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल संस्था महानिदेशक के इस पर स्थिति स्पष्ट करने के आदेश दिए हैं। सुनवाई के दौरान मेडिकल अधिष्ठाता सुधीर गुप्ता ने बताया कि मेडिकल को बीते दो दिनों से रेमडेसिविर सप्लाई नहीं की गई है। हाईकोर्ट ने एफडीए को फौरन 100 रेमडेसिविर मेडिकल के लिए उपलब्ध कराने के आदेश दिए। इस मामले में राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एम.जी.भांगडे, केंद्र सरकार की ओर से एड. उल्हास औरंगाबादकर, न्यायालयीन मित्र एड.श्रीरंग भंडारकर, सेजल लाखानी रेणु, मनपा की ओर से एड. सुधीर पुराणिक, मध्यस्थी अर्जदार की ओर से  अधिवक्ता एम. अनिल कुमार, एड. तुषार मंडलेकर ने पैरवी की।

ऑक्सीजन आपूर्ति सुनिश्चित करें
जिलाधिकारी रवींद्र ठाकरे ने हाईकोर्ट को बताया कि नागपुर को 166.5 मीट्रिक टन और विदर्भ के अन्य जिलों को 60 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की प्रतिदिन जरूरत है। जबकि यहां उत्पादन महज 146 मीट्रिक टन प्रतिदिन तक ही सीमिति है। राज्य को भिलाई स्टील प्लांट की ओर से पूर्व में 110 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति होती है। लेकिन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आदेश के बाद यह आपूर्ति घटकर 60 मीट्रिक टन प्रतिदिन रह गई है। हाईकोर्ट ने स्टील प्लांट को पूर्ववत: आपूर्ति करने के आदेश दिए हैं। हाईकोर्ट ने नागपुर के अस्पतालों को आदेश दिए हैं कि ऑक्सीजन की कमी होने पर वे तुरंत प्रशासन को सूचित करें।

दिन में ये कारण दिए, हाईकोर्ट ने दोबारा शपथपत्र दायर करने को कहा
जिला प्रशासन-अतिरिक्त जिलाधिकारी शिरीश पांडे द्वारा कोर्ट में प्रस्तुत शपथपत्र में बताया गया है कि राज्य सरकार के स्तर पर नागपुर जिले के लिए रेमडेसिविर की आपूर्ति की कोई योजना ही नहीं होने के कारण कोर्ट के आदेश पर अमल नहीं हो सका। यह मामला जिलाधिकारी के नियंत्रण के बाहर का होने के कारण कोर्ट के आदेश का पालन कर पाने में असमर्थ रहे, इसके लिए वे कोर्ट से माफी चाहते हैं। हालांकि राज्य सरकार ने अहमदाबाद स्थित जायडस कैडिला को 57 हजार रेमडेसिविर का आर्डर दिया है। इसके अलावा राज्य सरकार ने 1 लाख रेमडेसिविर आपूर्ति के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू की है। इसके तहत ही कामकाज आगे बढ़ेगा।

हम खरीदी करने वाली एजेंसी नहीं : एफडीए
इस मामले में एफडीए सह आयुक्त विजयकुमार कोसे ने कोर्ट में प्रस्तुत अपने शपथपत्र में सफाई दी रेमडेसिविर इंजेक्शन बनाने वाली सभी 7 कंपनियां महाराष्ट्र के बाहर स्थित हैं। ऐसे में रेमडेसिविर के उत्पादन और वितरण पर राज्य सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है। 19 अप्रैल के आदेश में हाईकोर्ट ने माना था कि रेमडेसिविर के वितरण के लिए राज्य स्तर पर एक समिति है, लेकिन वास्तव में ऐसी कोई समिति ही अस्तित्व में नहीं है। ऐसे में जब हाईकोर्ट ने नागपुर को 10 हजार रेमडेसिविर वितरण का आदेश जारी किया तो सह आयुक्त ने अपने मुंबई स्थित मुख्यालय में इसकी सूचना दी। लेकिन मुख्यालय से जवाब आया कि एफडीए इंजेक्शन की खरीदी करने वाली एजेंसी नहीं है, लिहाजा वो कोर्ट के आदेश पर अमल नहीं कर सकते।

Created On :   22 April 2021 5:16 AM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story