सो रही है रेलवे पुलिस, बढ़ रहे हैं अपराध, महज 13 प्रतिशत मामलों का ही हो सका पर्दाफाश

RPF ignorance : criminal cases in railway increasing continuously
सो रही है रेलवे पुलिस, बढ़ रहे हैं अपराध, महज 13 प्रतिशत मामलों का ही हो सका पर्दाफाश
सो रही है रेलवे पुलिस, बढ़ रहे हैं अपराध, महज 13 प्रतिशत मामलों का ही हो सका पर्दाफाश

डिजिटल डेस्क, नागपुर। रेलवे पुलिस अधीक्षक नागपुर कार्यक्षेत्र के तहत पिछले 15 महीने में ट्रेनों से गिरकर 721 यात्रियों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा अन्य आपराधिक मामले भी बढ़ते जा रहे हैं। इधर रेलवे पुलिस का डिटेक्शन का ग्राफ बेहद खराब है। 6133 में से केवल 813 मामलों का ही पर्दाफाश हो पाया है। यह खुलासा आरटीआई में हुआ है। रेलवे से गांजा तस्करी के 27 मामले सामने आए हैं।

महज 13 फीसदी मामलों का ही हो सका है पर्दाफाश

रेलवे पुलिस अधीक्षक नागपुर का कार्यक्षेत्र विदर्भ के अलावा मराठवाड़ा व खानदेश भी है। 1 जनवरी 2017 से 31 मार्च 2018 (15 महीने) के बीच ट्रेनों से गिरकर 721 यात्रियों की मौत हो चुकी है। 2017 में कुल 6133 मामले दर्ज हुए थे, जिनमें से केवल 813 मामलों का ही पर्दाफाश हो सका है यानी 13 फीसदी मामले ही उजागर हो सके हैं। गत वर्ष की तुलना इस वर्ष अापराधिक मामलों में इजाफा हुआ है। इस साल के पहले तीन महीने में 2018 मामले दर्ज हुए, जिसमें से 105 मामले ही पुलिस की पकड़ में आए हैं। इस साल डिटेक्शन का ग्राफ गिरकर 7 फीसदी हो गया। अपराध बढ़े आैर डिटेक्शन घट गया है, जो पुलिस विभाग के लिए चिंता की बात है।

रेल व रेल परिसर में गांजा की तस्करी भी बढ़ गई है। रेलवे पुलिस ने गांजा तस्करी के 27 मामले पकड़े। 20 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया, जिसमें 2 महिला आरोपी हैं। आरोपियों से 515 किलो गांजा जब्त किया गया, जिसकी कीमत 43 लाख 78 हजार 214 रुपए बताई गई। गांजा के अलावा अन्य नशीला पदार्थ रेलवे पुलिस के हाथ नहीं लग सका है।

चोरियां बढ़ीं 

इस साल पहले तीन महीने में जो 2018 मामले दर्ज हुए हैं, उसमें चोरियों की संख्या 2014 है। रेल व रेल परिसर में चोरों का आतंक है। रेलवे पुलिस 2014 में से केवल 105 चोरियां ही पकड़ सकी है। शासकीय रेलवे पुलिस थाने में सबसे ज्यादा चोरी की शिकायतें ही दर्ज होती हैं।

4 राज्यों से जुड़ती है रेलवे पुलिस की सीमाएं 

रेलवे पुलिस अधीक्षक (एसपी) का कार्यक्षेत्र अन्य पुलिस अधीक्षकों की तुलना में बहुत बड़ा है। संभवत: देश का सबसे बड़ा कार्यक्षेत्र है। रेलवे एसपी के कार्यक्षेत्र में राज्य के 23 जिले आते हैं। इसके अलावा रेलवे पुलिस की सीमाएं चार राज्यों से जुड़ी हुई हैं। रेलवे एसपी का कार्यक्षेत्र पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना व गुजरात की सीमा से जुड़ा हुआ है। पुलिस थानों के हिसाब से देखा जाए तो गोंदिया से बल्लारशाह, नागपुर जिले के नरखेड से बल्लारशाह, नागपुर से इगतपुरी व नंदुरबार तक है। नंदुरबार से सटकर ही गुजरात की सीमा है।

भाषा बड़ी समस्या बन गई है 

रेल में सफर के दौरान चोरी होने पर यात्री अगले स्टेशन पर रेल रुकने के बाद रेलवे पुलिस थाने में शिकायत कर सकता है। तेलंगाना के यात्री को सामान्यत: मराठी, हिंदी बोलने में परेशानी होती है। दक्षिण भारत से आनेवाले यात्री दक्षिण भारत में बोली जानेवाली भाषा या अंग्रेजी बोलते हैं। इन यात्रियों से भाषा को लेकर पुलिस के सामने समस्या खड़ी हो जाती है। नागपुर रेलवे स्टेशन रेल 15 मिनट रुकती है। इतने समय में शिकायत दर्ज नहीं हो सकी तो यात्री को ट्रेन छूटने का डर लगा रहता है। आनलाइन शिकायत दर्ज की जाती है, लेकिन चोरी के मामले में शिकायतकर्ता से संदिग्ध आरोपी के बारे में बहुत सी जानकारी लेनी होती है। शिकायतकर्ता यात्री से समुचित जानकारी नहीं मिलने से भी मामलों का पर्दाफाश नहीं हो पाता।

बड़ा कार्यक्षेत्र भी एक चुनौती है 

अभय कोलारकर, आरटीआई एक्टिविस्ट के मुताबिक रेलवे एसपी का कार्यक्षेत्र राज्य के 23 जिलों में फैला है। इतने बड़े कार्यक्षेत्र पर पैनी नजर रखना या घटनास्थल पर पहुंचना भी एक चुनौती है। सबसे ज्यादा गाड़ियां दक्षिण भारत से आती-जाती हैं। पुलिस को दक्षिण भारत की भाषा का ज्यादा ज्ञान नहीं होता। इन यात्रियों से घटना का ब्यौरा लेने या बातचीत करने में पुलिस को परेशानी होती है। इतने बड़े कार्यक्षेत्र के लिए मौजूदा स्टॉफ व अधिकारियों की संख्या भी नाकाफी है। रेलवे में चोरियां बढ़ी हैं और इसे डिटेक्ट करने के लिए मेन पावर भी उतना ही जरूरी है। विशेषकर चोरियों की रोकथाम के लिए रेलवे पुलिस को अपनी रणनीति में बदलाव करना जरूरी है। सफर के दौरान गेट के पास बैठनेवालों पर आैर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

Created On :   9 May 2018 6:34 PM GMT

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