दो साल से नहीं होे पाया नागपुर में अधिवेशन

Session could not be held in Nagpur for two years
दो साल से नहीं होे पाया नागपुर में अधिवेशन
शीतसत्र दो साल से नहीं होे पाया नागपुर में अधिवेशन

डिजिटल डेस्क, नागपुर। दो साल पहले राज्य में महाविकास आघाड़ी की सरकार बनी। सरकार का पहला अधिवेशन नागपुर में ही हुआ, लेकिन उसके बाद यहां अधिवेशन नहीं हो पाया। विदर्भवादी नेता यहां अधिवेशन की मांग करते रह गए। पहले कोरोना संकट की बाधा थी। अब सरकार का निर्णय आड़े आया है। हालांकि यहां का विधानसभा गृह इस वर्ष के आरंभ में एक दिन के लिए खुला। राज्य सचिवालय के स्थायी कक्ष का उद्घाटन हुआ। वह कार्यक्रम भले ही सरकार का था, लेकिन पूरी तरह से राजनीतिक नजर आया। कांग्रेस की सभा के तौर पर कार्यकर्ता विधानभवन में जुटे थे। विधानसभा के तत्कालीन अध्यक्ष नाना पटोले के समर्थक कार्यकर्ता विधानसभा सदस्यों की कुर्सी पर थे। 

शीत सत्र को लेकर हुई थी किरकिरी
 गौरतलब है कि राज्य पुनर्गठन के तहत नागपुर करार 1953 हुआ था। उसमें प्रावधान है कि नागपुर को राज्य की दूसरी राजधानी का दर्जा है। लिहाजा यहां साल में कम से कम एक अधिवेशन कराना होगा। हालांकि नागपुर करार में भी यह उल्लेख नहीं है कि बजट अधिवेशन, शीत अधिवेशन व मानसून अधिवेशन में से कौन सा अधिवेशन नागपुर में होगा। सामान्य तौर पर यहां शीतकालीन अधिवेशन होते रहा है। विशेष स्थिति में ही यहां अन्य अधिवेशन हुए। लेकिन देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व की सरकार ने नागपुर के बजाय मुंबई में शीत अधिवेशन कराया था। तब 2018 में नागपुर में मानसून अधिवेशन कराना पड़ा था। नागपुर में 1961, 1966 व 1971 में मानसून अधिवेशन हुआ था। अधिवेशन स्थल बदलने को लेकर तत्कालीन सरकार की काफी आलोचना हुई थी। 2018 में जमकर बारिश हुई थी। स्थिति यहां तक पहुंची थी कि नागपुर में अधिवेशन के समय विधानसभा सभागृह में पानी घुस गया था। बिजली संयंत्र प्रभावित हुआ था। तब अधिवेशन की कार्यवाही हो रोककर 3 दिन का अवकाश लेना पड़ा था।

एक अधिवेशन होना चाहिए
पूर्व गृहराज्यमंत्री व भाजपा नेता रणजीत पाटील ने कहा है कि नागपुर में कम से कम एक अधिवेशन होना चाहिए। विदर्भ के विषयों पर चर्चा हो पाएगी। लेकिन आघाड़ी सरकार नागपुर में अधिवेशन कराने से कतराती रही है। अधिवेशन को लेकर बैठक में िवपक्ष  के नेताओं के मतों को नजरअंदाज किया जाता रहा है। 

फडणवीस सरकार के निर्णय को पलटा
नवंबर 2019 में महाविकास आघाड़ी सरकार बनी। तब सरकार का पहला अधिवेशन नागपुर में हुआ। वह शीतकालीन अधिवेशन था। महाविकास आघाड़ी सरकार ने फडणवीस सरकार के निर्णय को पलटा था। उस अधिवेशन के बाद नागपुर में अधिवेशन नहीं हो पाया। वर्ष 2020 में मुंबई में अधिवेशन के दौरान ही कोरोना की आहट सुनाई दी थी। लिहाजा अधिवेशन को जल्द समाप्त करना पड़ा था। उसके बाद बजट अधिवेशन भी मुंबई में ही हुआ। 

निर्णय स्वीकार करना ही होगा
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अतुल लोंढे ने कहा है कि विदर्भ के विषयाें पर चर्चा होनी ही चाहिए, लेकिन विविध स्थितियों को देखते हुए राज्यमंत्रिमंडल के निर्णय को सभी को स्वीकार करना ही होगा।

नागपुर करार का उल्लंघन
महाविकास आघाड़ी सरकार नागपुर करार का उल्लंघन कर रही है। नागपुर के बजाय मुंबई में शीतकालीन अधिवेशन कराने का निर्णय लिया गया, लेकिन विदर्भ के मंत्री कुछ भी नहीं बोल पाए। नागपुर में अधिवेशन होता, तो विदर्भ के विविध विषयों पर प्रमुखता से चर्चा होती। राज्य सरकार अपने दायित्व से बचने का प्रयास कर रही है। इस सरकार को बर्खास्त करने की मांग राज्यपाल से करेंगे। कृष्णा खोपडे, विधायक

Created On :   26 Nov 2021 5:20 AM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story