बाघ के जबड़े से बची, 11 दिन उपचार के बाद डिस्चार्ज हुई 5 साल बच्ची

Survived from the jaws of the tiger, 5 year old girl discharged after 11 days of treatment
बाघ के जबड़े से बची, 11 दिन उपचार के बाद डिस्चार्ज हुई 5 साल बच्ची
बाघ के जबड़े से बची, 11 दिन उपचार के बाद डिस्चार्ज हुई 5 साल बच्ची

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बाघ के जबड़े से जीवित बची 5 साल की बच्ची प्राजक्ता को डिस्चार्ज कर दिया गया। नागपुर के दंत चिकित्सा महाविद्यालय में उसे भर्ती किया गया था। उसे 15 जुलाई को दंत चिकित्सा महाविद्यालय में लाया गया था। प्राजक्ता के चेहरे की हड्डियां अनेक स्थानों से टूट गई थीं। आंखों और चेहरे के पास गहरे घाव हो गए थे। उसकी एक आंख बंद नहीं होती थी। डॉक्टरों के अनुसार, उसे फेशियल पाल्सी यानी चेहरे की विकृति हो गई थी। इसमें एक बात सकारात्मक रही कि बाघ के दांत बच्ची के मस्तिष्क तक नहीं पहुंचे थे। 

11 दिन में चार सर्जरी : इस घटना के बाद बच्ची काफी सदमे में थी। दंत चिकित्सा विभाग के डॉक्टरों ने बच्ची की मानसिकता को देख पहले उसमें सकारात्मकता पैदा करने की कोशिश शुरू कर दी। प्रयास रंग लाया और बच्ची सदमे से बाहर निकल आई। उस पर 11 दिन में अलग-अलग चार सर्जरी की गई। धीरे-धीरे सुधार होने लगा। उसकी आंख बंद होने लगी है। सोमवार को उसे डिस्चार्ज किया गया, लेकिन हर 8-10 दिन बाद उसे जांच के लिए आना पड़ेगा। जब अर्चना से पूछा गया कि इतनी शक्ति कहां से आई, तो वह बोली मुझे नहीं पता। मैं केवल अपनी बेटी को बचाने के लिए लड़ी थी। वह बाघ था या सिंह यह बात अर्चना भूल चुकी है। लेकिन उसने बाघ ही बताया है। वन विभाग की तरफ से 20 हजार रुपए की मदद मिली है। इस तरह प्राजक्ता का पुनर्जन्म हुआ। दंत चिकित्सा महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. मंगेश फडनाइक, मुख शल्य क्रिया विभाग के प्रमुख डॉ. अभय दातारकर, डॉ. वसुंधरा भड़, डॉ. वैभव कारेमोरे समेत पूरी टीम ने प्राजक्ता के उपचार में सहयोग किया।

बेटी को बचाने बाघ से लड़ी मां
चंद्रपुर जिले से सात किलोमीटर की दूरी पर जुनोना गांव है। इस छोटे से गांव में संदीप मेश्राम का परिवार रहता है। 30 जून को दोपहर दो बजे संदीप की पत्नी अर्चना किसी काम से घर से थोड़ी दूरी पर गई। पीछे-पीछे उसकी पांच साल की बच्ची प्राजक्ता भी जाने लगी। अर्चना ने जब पलटकर देखा, तो उसकी बेटी पर बाघ ने हमला कर दिया था। बाघ ने प्राजक्ता का सिर अपने जबड़े में पकड़ लिया था। वह भाग ही रहा था, तभी अर्चना ने पास पड़ी एक लकड़ी उठाई और बाघ पर जान लगाकर प्रहार किया। तिलमिलाए बाघ ने बच्ची को छोड़ दिया। पलटकर वह अर्चना पर हमला करने वाला था, तभी उसने लकड़ी सामने किया। बाघ ठिठका, मगर दूसरे ही पल उसने फिर से प्राजक्ता को जबड़े में जकड़ लिया। इस बार भी अर्चना ने  पूरी ताकत लगाकर लकड़ी से बाघ के पीठ पर वार किया। अर्चना का उग्र रूप देखकर बाघ वहां से जंगल की तरफ भाग गया।

अनेक हडि्डयां टूट गईं थीं : मां ने अपनी बेटी को बचाने के लिए पूरी ताकत लगा दी, लेकिन उसे खून से लथपथ देख घबरा उठी। मदद के लिए गुहार लगाई। लोग पहुंचे और प्राजक्ता के पिता संदीप के साथ उपचार के लिए बच्ची को जिला अस्पताल ले गए। वहां से उसे नागपुर के मेडिकल अस्पताल में ले जाने को कहा गया था।
 

Created On :   27 July 2021 7:09 AM GMT

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