परीक्षा कार्य की टेंडर प्रक्रिया विवादों में  

Tender process of examination work in dispute
परीक्षा कार्य की टेंडर प्रक्रिया विवादों में  
नागपुर यूनिवर्सिटी परीक्षा कार्य की टेंडर प्रक्रिया विवादों में  

डिजिटल डस्क, नागपुर । राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय द्वारा परीक्षा के कामकाज के लिए आयोजित टेंडर प्रक्रिया विवादों में आ गई है। विवि प्रशासन पर टेंडर नियमों से छेड़छाड़ कर शर्तें शिथिल करने का आरोप है। पूर्व सीनेट सदस्य एड. मनमोहन बाजपेयी ने राज्यपाल को पत्र लिख कर इस पूरे मामले की शिकायत की है। उनका आरोप है कि विवि फिर एक बार एमकेसीएल को वापस लाने का प्रयास कर रहा है। दरअसल नागपुर विवि परीक्षा के तकनीकी कामकाज के लिए नई कंपनी की तलाश में है। इसके पहले कुलगुरु डॉ. सुभाष चौधरी ने एमकेसीएल कंपनी को यह काम सौंपा था, लेकिन मामला विवादों में आने के बाद उच्च शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटील ने इस कंपनी को बाहर करने का आदेश दिया था। अब नई कंपनी की नियुक्ति के लिए विवि ने टेंडर प्रक्रिया आयोजित की है।

पुराने नियम के अनुसार टेंडर भरने वाली कंपनी का 3 वर्ष में कम से कम 5 करोड़ का टर्नओवर होना चाहिए, लेकिन इस बार विवि को ऐसी कंपनी चाहिए, जिसने बीते 3 वर्ष में 100 करोड़ का टर्नओवर किया हो। विवि पर आरोप है कि यह नियम एमकेसीएल जैसी कंपनी को वापस लाने के लिए लागू किया गया है। पूर्व में टेंडर भरने के लिए 30 दिन का समय दिया गया था, इस बार महज 15 दिन में टेंडर भरना है। पुरानी टेंडर प्रक्रिया में कंपनी की जिम्मेदारी अधिक थी। मनुष्य बल पहुंचाने, पेपर, सॉफ्टवेयर, मशीनें उपलब्ध कराने जैसे काम कंपनी को दिए गए थे। इस बार ज्यादा दाम चुका कर भी विवि कंपनी से बहुत कम काम कराना चाहता है। कंपनी को केवल सर्वर सॉफ्टवेयर और ट्रेनिंग वेंडर उपलब्ध कराने को कहा गया है।

विवि के अधिकारी मौन : इस संबंध में कुलगुरु डॉ. सुभाष चौधरी से फोन पर संपर्क किया गया, लेकिन उन्होंने कोई उत्तर नहीं दिया, न ही उन्होंने वाट्सएप पर भेजे गए प्रश्नों का जवाब दिया। कुलसचिव डॉ. राजू हिवसे ने भी फोन पर कोई उत्तर नहीं दिया।

विद्यार्थियों पर बोझ : शिकायत में अंदेशा व्यक्त किया गया है कि इस प्रक्रिया के कारण विद्यार्थियों पर आर्थिक खर्च बढ़ेगा। पूर्व में जब विवि ही सभी परीक्षा लेता था, तब 4 लाख परीक्षार्थियों के लिहाज से कंपनी का बिल 5 करोड़ रुपए तक निकलता था। अब सिर्फ विवि आधी परीक्षा ही लेता है, शेष परीक्षा कॉलेजों को सौंपी गई है। अब विवि पर 2 से 2.50 लाख विद्यार्थियों की परीक्षा का ही भार है, इसके बावजूद कंपनी का बिल 12 से 14 करोड़ रुपए तक जाने की संभावना है। यह रकम अंतत: विद्यार्थियों को ही फीस के रूप में चुकानी है।
 

Created On :   10 Feb 2023 7:53 AM GMT

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