भोसले की समझदारी से पेशवाओं से विवाद टला

डिजिटल डेस्क, नागपुर। वाद-विवाद होने पर नागपुर के भोसले परिवार ने समझदारी दिखाकर पेशवाओं से विवाद टाला। इस इतिहास का उदाहरण देकर और समझदारी आगे दिखाई होती, तो हिंदुस्थान कभी अंगरेजों के कब्जे में नहीं जाता। यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कही। महल स्थित सीनियर भोंसला पैलेस में श्रीमंत राजे रघुजी महाराज भोंसले (प्रथम) बहुउद्देशीय स्मृति प्रतिष्ठान व महाराजा ऑफ नागपुर ट्रस्ट की ओर से आयोजित राजरत्न पुरस्कार 2023 के वितरण समारोह में वे बोल रहे थे। मंच पर श्रीमंत राजे रघुजी महाराज भोंसले (पंचम) व श्रीमंत डॉ राजे मुधोजी भोंसले उपस्थित थे।
भागवत ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज के समय दक्षिण भारत मुक्त हुआ और नागपुर में भोंसले काल में पूर्व भारत विदेशियों से मुक्त हुआ। इसी दौरान भारत मुक्ति के समय नागपुरकर भोंसले और पेशवे अपने-अपने मार्ग से बिहार की ओर निकले थे। इस दरम्यान दोनों आमने-सामने आ गए और आगे कौन जाएगा, बिहार पर कौन कब्जा करेगा जैसी विवाद की स्थिति निर्माण हुई। दोनों ही वीर थे, किन्तु नागपुर के भोंसले ने विवाद को न बढ़ाते हुए खुद पहल कर पेशवाओं को बिहार पर राज करने का मार्ग देने से विवाद खत्म हो गया। भोंसले राजघराना और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के रिश्ते सिर्फ और सिर्फ देशभक्ति-देशहित के कारण मजबूत हुए हैं। राजा यानि रूलर यह संकल्पना हमारे यहां कभी नहीं थी। राजा यानि प्रजासेवक, यही संकल्पना रही है। स्वतंत्रता युद्ध में अनेक राजाओं ने प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से क्रांतिकारियों को समर्थन दिया, जिसके कारण अब राजपाठ नहीं होने के बावजूद राजघरानों के प्रति आम जनता के मन में श्रद्धाभाव कायम है। संचालन सारंग ढोक ने किया। आभार किशन शर्मा ने माना। इस दौरान वरिष्ठ पत्रकार महेश उपदेव, मुकेश कुकडे, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. वि.स. जोग, खिलाड़ी गिरीश उपाध्याय, शास्त्रीय संगीत साधक नरेंद्रनाथ मेनन, रंगकर्मी अनिल पालकर, मृदुल घनोटे, हितवी शाह को पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर प्रा. डॉ. भालचंद्र हरदास व निकिता रमानी को विशेष सम्मान प्रदान किया गया।
Created On :   15 Feb 2023 1:36 PM IST