शहर के आसपास तेंदुओं की संख्या तिगुनी से ज्यादा, संघर्ष का खतरा बढ़ा

The number of leopards around Jaipur has more than tripled, increasing the risk of conflict
शहर के आसपास तेंदुओं की संख्या तिगुनी से ज्यादा, संघर्ष का खतरा बढ़ा
जयपुर शहर के आसपास तेंदुओं की संख्या तिगुनी से ज्यादा, संघर्ष का खतरा बढ़ा

डिजिटल डेस्क, जयपुर। जयपुर के दो वन आश्रयों - झालाना लेपर्ड रिजर्व और अंबागढ़ में तेंदुए की आबादी तीन गुना से ज्यादा होने के कारण शहरी क्षेत्रों में लगातार मानव-पशु संघर्ष बढ़ा है, जिसकी पुष्टि वन अधिकारियों ने की है।

साल 2012 में तेंदुओं की संख्या 12 थी, लेकिन अब यह 2022 में बढ़कर 40 हो गई है - यानी एक दशक में यह तीन गुना से अधिक हो गई है, भले ही जानवरों का आश्रय सिकुड़ता जा रहा है।

वन विभाग के अधिकारियों ने कहा कि झालाना रिजर्व में पिछले कुछ वर्षो में तेंदुओं की आबादी में सबसे अधिक वृद्धि देखी गई है।

एक सूत्र ने बताया कि जयपुर में झालाना और कुकस-चंदवाजी से लेकर दिल्ली जाने वाली सड़क तक फैले वन क्षेत्र में 60 तेंदुए थे ।

झालाना और आसपास के जंगल राजमार्गो के कारण आवासीय इलाकों से कटे हुए हैं।

सवाल यह है कि क्या यह वन क्षेत्र इतनी बड़ी संख्या में तेंदुओं को पाल सकता है? क्या कभी अधिकारियों द्वारा परभक्षियों की वहन-क्षमता और शिकार के आधार का अध्ययन किया गया? क्या झालाना और आसपास के अन्य वन क्षेत्रों में पर्याप्त प्राकृतिक शिकार आधार उपलब्ध है?

ये ऐसे सवाल हैं, जिनका जवाब नहीं मिलता और अधिकारी ऐसे सवालों पर मुंह फेर लेते हैं। वे आगंतुकों के लिए जीप सफारी की सुविधा देने में व्यस्त हैं, जो अब तेंदुए को देखने के लिए पहले से लाइन में लगते हैं।

सफारी प्रभारी का कहना है कि तेंदुए को हफ्ते में नहीं तो पखवाड़े में दो बार शिकार की जरूरत पड़ती है। उनमें से लगभग 40 को प्रतिवर्ष कुछ हजार पशुओं की जरूरत होगी। उन्होंने स्वीकार किया कि इस जंगल में शिकार-आधार की कमी हुई है। चूंकि हिरण अच्छी संख्या में नहीं हैं, इसलिए तेंदुए को मोर के अंडे, मोरनी को पकड़ने और तीतरों का शिकार करना पड़ता है।

बताया गया है कि तेंदुए गिलहरी जैसे मूषक प्रजाति के जंतुओं का शिकार कर भी जीवित रहने की कोशिश करते हैं, जो काफी संख्या में हैं।

पर्यावरणविदों ने आईएएनएस को बताया कि तेंदुए के लिए बंदरों पर झपट्टा मारना आसान नहीं होता, इसलिए वे अक्सर भूखे रह जाते हैं। रात के समय ये आवारा कुत्तों की तलाश में रिहायशी कॉलोनियों में घुस जाते हैं, जिससे इंसानों की जान को भी खतरा रहता है।

झालाना तेंदुआ रिजर्व के एक रेंजर जनेश्वर चौधरी के अनुसार, नवीनतम गणना से पता चलता है कि झालाना तेंदुआ रिजर्व और जयपुर के अंबागढ़ तेंदुआ रिजर्व में 40 तेंदुए हैं।

जयपुर में झालाना के बाद आने वाला अंबागढ़ दूसरा तेंदुआ रिजर्व है। दोनों का संयुक्त क्षेत्र 36 वर्ग किलोमीटर से अधिक है, जिसे जयपुर-आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग दो हिस्सों में बांटता है।

दोनों में से 20 वर्ग किमी क्षेत्र वाला झालाना बड़ा और पुराना तेंदुआ रिजर्व है, जहां 40 में से अधिकांश तेंदुए रहते हैं।

उन्होंने कहा कि 36 वर्ग किमी के क्षेत्र में 10-12 तेंदुए ही होने चाहिए, लेकिन यहां 40 तेंदुए हैं, जो जंगल से अधिक प्रदान कर सकते हैं।

एक पर्यावरणविद ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर कहा कि वन अधिकारियों ने छह साल पहले लगभग 22 वर्ग किमी के क्षेत्र में रहने वाले तेंदुओं की संख्या 10 होने का अनुमान लगाया था। हालांकि, उनके भोजन और आश्रय की उपलब्धता के बारे में पूछे जाने पर अब वे चुप्पी साधे हुए हैं और मानव-पशु संघर्ष बदस्तूर जारी है।

(आईएएनएस)

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Created On :   7 Jan 2023 7:30 PM IST

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