विवाह का झांसा देकर नाबालिग का यौन उत्पीड़न करने वाले को नहीं मिली जमानत

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बाल यौन शोषण का अपराध गंभीर प्रकृति का है।इस तरह के अपराध में एफआईआर दर्ज करने में देरी प्रासंगिक नहीं है। बांबे हाईकोर्ट ने यह बात कहते हुए 15 साल की बच्ची के यौन उत्पीड़न के मामले में आरोपी एक शख्स को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया है। न्यायमूर्ति अनूजा प्रभुदेसाई ने मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद पाया कि आरोपी शादीसुदा है इसके बावजूद उसनेविवाह का वादा करके कक्षा नौवीं में पढनेवाली 15 साल की लड़की का यौन उत्पीड़न किया है।बच्चों का यौन शोषण गंभीर अपराध है। लिहाजा मामले से जुड़े आरोपी को जमानत नहीं दी जा सकती है। वहीं आरोपी की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने कहा कि निजी विवाद के चलते पीड़ित बच्ची की मां ने पुलिस में कई महीनों के विलंब के बाद शिकायत दर्ज कराई है।
आरोपी पुलिस की जांच में सहयोग करने को तैयार है। इसलिए उसे हिरासत में लेकर पूछताछ करने की जरूरत नहीं है,जबकि सरकारी वकील ने आरोपी की जमानत का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि आरोपी पहले से शादीसुदा है,उसके बच्चे है इसके बावजूद उसने नाबालिग को शादी का झांसा देकर उसका यौन उत्पीड़न किया है। न्यायमूर्ति ने मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि इस तरह के मामले में एफआईआर दर्ज करने में देरी प्रासंगिक नहीं है। क्योंकि बाल शोषण अपराध गंभीर प्रकृति का है। इसलिए आरोपी के जमानत आवेदन को खारिज कर दिया है। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 354ए व पाक्सो कानून की धारा 8 व 12 के तहत एफआईआर दर्ज की है। मामले में गिरफ्तारी की आशंका को देखते हुए आरोपी ने जमानत के लिए आवेदन दायर किया था। जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था।
Created On :   24 March 2023 7:14 PM IST