आपराधिक मामलों की जानकारी छुपाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट का मुख्यमंत्री फडणवीस को नोटिस

The Supreme Court has issued notice to Maharashtra Chief Minister Devendra Fadnavis
आपराधिक मामलों की जानकारी छुपाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट का मुख्यमंत्री फडणवीस को नोटिस
आपराधिक मामलों की जानकारी छुपाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट का मुख्यमंत्री फडणवीस को नोटिस

डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस को 2014 के विधानसभा चुनाव के दौरान नामांकन के समय दिए हलफनामे में न्यायालय में लंबित दो आपराधिक मामलों की जानकारी छुपाए जाने के मामले पर उन्हे नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने इस मामले में उन्हे छह सप्ताह में जवाब देने को कहा है सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगाई, न्यायमूर्ति संजय किसन कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की पीठ के समक्ष हुई सुनवाई में याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दलील पेश की। उन्होने कोर्ट से कहा कि मुख्यमंत्री ने चुनाव कानून के तहत उनके खिलाफ न्यायालय में लंबित दो मामलों का खुलासा नहीं किया है। यह महत्वपूर्ण जानकारी छुपाकर जनप्रतिनिधी कानून की धारा 125ए का उल्लंघन किया है। लिहाजा फडणवीस का निर्वाचन रद्द किया जाए। कोर्ट ने मामले को सुनने के बाद मुख्यमंत्री को नोटिस जारी कर छह हफ्ते में जवाब देने को कहा है।

उधर राजधानी में एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे मुख्यमंत्री ने सुप्रीम कोर्ट के नोटिस पर पूछे जाने पर उन्होने कहा कि इस मामले में कोई तथ्य नही है। उच्च न्यायालय की नागपुर बेंच ने मामले को खारिज कर दिया था, लेकिन किसी उद्देश के तहत याचिकाक र्ता ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौति दी है। याचिकाकर्ता की ओर से जो अधिवक्ता पैरवी कर रहे है उससे उनकी मंशा को समझा जा सकता है। याचिकाकर्ता एडवोकेट सतीश उके का कहना है कि अगर याचिका में तथ्य नही होता तो क्या मुख्य न्यायाधीश इस मामले को सुनते? कहा कि देवेन्द्र फडणवीस ने चुनावी एफिडेविट में गंभीर जानकारी छुपाई है। जनप्रतिनिधि कानून के उल्लंघन पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त आदेश जारी किए है। हालांकि इस मामले में देवेन्द्र फडणवीस को अपात्र ठहराया जाना चाहिए था। बावजूद वह बीते चार साल से राज्य के सर्वोच्च पद पर बने हुए है।

गौरतलब है कि याचिकाकर्ता सतीश उके ने इस मामले को सिंतबर 2015 में नागपुर के न्यायिक मजिस्ट्रेट (फर्स्ट क्लास) के सामने उठाया था। हालांकि मजिस्ट्रेट ने इसका संज्ञान जरुर लिया, लेकिन मामला न बनने की बात कहकर आवेदन को खारिज कर दिया था। उसके बाद उके ने सेशन कोर्ट में अपील की। सेशन कोर्ट द्वारा इस मामले में फिर से विचार करने के न्यायिक मजिस्ट्रेट को आदेश दिए। जिसे मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में चुनौती दी थी। मामले की सुनवाई में नागपुर उच्च न्यायालय ने न्यायिक मजिस्ट्रेट के फैसले को सही मानते हुए इसे खारिज कर दिया। जिसे एडवोकेट उके ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है

Created On :   14 Dec 2018 5:26 AM GMT

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