हाईकोर्ट के फैसले से मराठा समाज के युवाओं को लगा झटका

The youth of Maratha society got a setback due to the decision of the High Court
हाईकोर्ट के फैसले से मराठा समाज के युवाओं को लगा झटका
कोर्ट ने एसईबीसी को ईडब्लूएस के लाभ देने के फैसले को किया रद्द  हाईकोर्ट के फैसले से मराठा समाज के युवाओं को लगा झटका

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के उस फैसले को रद्द कर दिया है कि जिसके तहत सामाजिक व शैक्षणिक रुप से पिछड़ा वर्ग (एसईबीसी) को पूर्व प्रभाव से आर्थिक रुप से पिछड़े वर्ग (ईडब्लूएस) के लिए तय किए गए लाभ लेने की अनुमति प्रदान की गई थी। इसके तहत  मराठा समुदाय के पात्र लोगों को ईडब्लूएस कोटे का लाभ लेने की अनुमति दी गई थी। महाराष्ट्र की महाविकास आघाड़ी सरकार ने यह फैसला लिया था। जिसे हाईकोर्ट ने शनिवार को जारी अपने 53 पन्ने के फैसले में अवैध व मनमानीपूर्ण घोषित किया है।  मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति एमएस कर्णिक की खंडपीठ ने इस मुद्दे को लेकर ईडब्लूएस श्रेणी के उम्मदीवारों की ओर से दायर याचिकाओं पर शुक्रवार को फैसला सुनाया था जिसकी प्रति शनिवार को उपलब्ध हुई है। 27 जुलाई 2019 को हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा मराठा समुदाय को एसईबीसी श्रेणी के तहत दिए गए आरक्षण के फैसले को सही ठहराया था। जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर  पहले अंतरिम रोक लगाई फिर इसे अंसवैधानिक मानते हुए इसे रद्द कर दिया। गौरतलब है कि ईडब्लूएस कोटा ऐसे सभी लोगों के लिए खुला है जो किसी आरक्षित कोटे के दायरे में नहीं आते हैं और उनकी सालाना आय आठ लाख रुपए से कम है। 

मराठा आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राज्य सरकार ने 15 जुलाई 2021 को एक शासनादेश जारी किया। इसके तहत एसईबीसी के उन सभी पात्र उम्मीदवारों की नौकरी बहाल करने को कहा जिनका चयन सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से पहले किया गया था। शासनादेश में कहा था कि एसईबीसी के उम्मीदवारों को ईडब्लूएस कोटे का लाभ दिया जाए। जिसके खिलाफ ईडब्लूएस वर्ग के उम्मीदवारों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में मुख्य रुप से 15 जुलाई 2021 के शासनादेश को चुनौती दी गई थी। कोर्ट में एसईबीसी श्रेणी के उम्मदीवारों ने भी याचिका दायर की थी जिसे खंडपीठ ने अस्वीकार कर दिया है। इस श्रेणी के उम्मीदवारों की मांग थी कि सरकारी बिजली कंपनी महावितरण की ओर से 400 रिक्त पदों पर उन्हें नौकरी दी जाए। महावितरण ने इस दिशा में कदम भी बढाया था। किंतु खंडपीठ ने मामले से जुड़े सभी पक्षों को सुनने के बाद कहा कि हमे सरकार की ओर से जारी किया गया शासनादेश न्यायसंगत नहीं नजर आ रहा है। इसलिए सरकार की ओर से इस मामले में लिए गए फैसले को अवैध घोषित किया जाता है। 

सुप्रीम कोर्ट में अपील करे राज्य सरकारः पाटील 
महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता डा संजय लाखे पाटिल ने हाईकोर्ट के इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि उच्च न्यायालय के इस फैसले से मराठा समाज के युवाओं में असंतोष फैल गया है। इसलिए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे व उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की सरकार को तुरंत हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करनी चाहिए और मराठा समुदाय को न्याय दिलाना चाहिए। क्योंकि हाईकोर्ट ने महाविकास आघाडी सरकार के फैसले को अवैध घोषित किया है।  प्रदेश कांग्रेस कार्यालय गांधी भवन में पत्रकारों से बातचीत में लाखे पाटिल ने कहा कि हाईकोर्ट की ओर से दिया गया फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है। महाविकास आघाड़ी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले से प्रभावित मराठा समुदाय को एसईबीसी के तहत लाभ देने के लिए दिसंबर 2020 में अध्यादेश जारी किया था और इसे पूर्वलक्षी प्रभाव से लागू किया था। ताकि मराठा समुदाय के युवाओं राहत मिल सके

Created On :   30 July 2022 7:09 PM IST

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